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भारत
राजनीति
केंद्र अभी भी लॉकडाउन के दौरान हुई प्रवासी मज़दूरों की मौत के आंकड़े जुटाने में व्यस्त है 
ये आंकड़े उन प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के अनुरूप हैं जिनकी मौत लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद हुई थी। 
रिया बिनॉय
13 Feb 2021
केंद्र अभी भी लॉकडाउन के दौरान हुई प्रवासी मज़दूरों की मौत के आंकड़े जुटाने में व्यस्त है 

श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने राज्यसभा को सूचित किया है कि महाराष्ट्र में कुल 17 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई थी, और इसके अलावा 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी मौत की खबर नहीं है। सरकार ने आश्वस्त किया है कि शेष राज्यों के आंकड़े भी शीघ्र ही सार्वजनिक किये जायेंगे। रिया बिनॉय की रिपोर्ट।

सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में सूचित किया है कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन के लागू होने के बाद से महाराष्ट्र में कुल 17 प्रवासी मजदूरों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा था। 

सरकार की ओर से यह भी सूचित किया गया है कि असम, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल, नागालैंड, मणिपुर और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह से किसी भी प्रवासी श्रमिक के हताहत होने की खबर नहीं है। 

राज्यसभा में मंत्री का जवाब। 

शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा है कि “महाराष्ट्र में आकस्मिक दुर्घटना में हुई 17 मौतों को छोड़ दें तो असम, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल, नागालैंड, मणिपुर और अंडमान एवं निकोबार द्वीप से किसी भी प्रवासी श्रमिक की जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। बाकी के बचे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सूचना एकत्र की जा रही है और इसे सदन के पटल पर रखा जाएगा।”

ये आंकड़े प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के अनुरूप हैं जो मार्च से लेकर सितंबर के बीच राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान या बाद में मारे गए थे।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंत्री गंगवार ने कहा “एकत्रित सूचना के अनुसार, करीब एक करोड़ मजदूर अपने कार्यस्थल वाले राज्यों से अपने-अपने गृह राज्यों के लिए वापस लौट गये थे। इनमें से ज्यादातर लोग अब काम पर वापस जा चुके हैं।”

उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि संगठित क्षेत्र में 10 करोड़ और असंगठित क्षेत्र में 40 करोड़ मजदूर कार्यरत हैं। उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि सरकार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को संगठित क्षेत्र में स्थानांतरित करने को लेकर प्रयासरत है और इसको लेकर विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर रही है।

एक सड़क सुरक्षा एनजीओ, सेफ लाइफ फाउंडेशन द्वारा 2020 में संकलित किये गए आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 198 प्रवासी श्रमिकों के मारे जाने की सूचना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च 2020 से लेकर 31 मई 2020 की अवधि के दौरान कुल 1,461 दुर्घटनायें हुई थीं- जिनमें 198 प्रवासी श्रमिकों सहित कुल 750 लोग मारे गए थे।

प्रवासी श्रमिकों की सड़क दुर्घटना में हुई मौतों के मामले में शीर्ष राज्यों में - उत्तर प्रदेश में 94 मौतें, जबकि मध्य प्रदेश में 38 मौतें, बिहार में 16 मौतें और तत्पश्चात तेलंगाना और महराष्ट्र में क्रमशः 11 और 9 मौतें हुई थीं। इस रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना के प्रमुख कारणों का भी उल्लेख किया गया है जिसमें प्रवासी श्रमिकों के परिवहन के लिए भाड़े पर तैनात बसों और ट्रक ड्राइवरों के बीच थकान की वजह इसकी मुख्य जिम्मेदार थी। इसके बाद तेज रफ्तार से वाहन चलाने और खस्ता-हाल सड़कों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 

हालाँकि एनजीओ रिपोर्ट के मुताबिक इन आंकड़ों को “विभिन्न-स्रोतों की जाँच और मीडिया-ट्रैकिंग” के जरिये संकलित किया गया था।

इस बीच सरकार गिग पर सूचनाओं को एकत्र करने के लिए एक पोर्टल को स्थापित करने की योजना बना रही है (ऐसा कार्य या नौकरी जो कुछ निश्चित अवधि तक चलती है, अक्सर एक परियोजना के जीवनकाल तक या जब तक कंपनी को उस विशिष्ट जरूरत की दरकार रहती है। यह अल्पकालिक या विशिष्ट अवधि के लिए हो सकती है, या दीर्घकालीन या जब तक उसकी जरूरत है तब तक बनाए रखा जा सकता है।) इसे मई और जून तक भवन एवं निर्माण श्रमिकों के लिए तैयार किया जाएगा, जिसे प्रवासी श्रमिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य, भोजन और आवासीय योजनाओं में मदद पहुंचाने में इस्तेमाल में लाया जा सकेगा।

यह आलेख मूल रूप से द लीफलेट में प्रकाशित हुआ था।

रिया बिनॉय सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ़ मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पुणे की पत्रकारिता की छात्रा हैं और द लीफलेट के साथ एक प्रशिक्षु के तौर पर सम्बद्ध हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट यहां नीचे क्लिक कर पढ़ी जा सकती है-

Centre Still Collecting Data on the Death of Migrant Workers During Lockdown

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Lockdown

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