NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़: आदिवासियों के फ़र्ज़ी एनकाउंटर वाले एड़समेटा कांड को 9 साल पूरे, माकपा ने कहा दोषियों पर दर्ज हो हत्या का मामला 
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले स्थित एड़समेटा गांव में,  पुलिस गोलीबारी के दौरान चार नाबालिग समेत 8 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने इस नक्सली ऑपरेशन के तौर पर पेश किया था, परन्तु अब जाँच रिपोर्ट आई जिसने साफ किया ये कोई ऑपरेशन नहीं बल्कि ये एक सरकारी पुलिसया दमन था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Mar 2022
chhattisgarh

आज से लगभग 9  साल पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले स्थित एड़समेटा गांव में,  पुलिस गोलीबारी के दौरान चार नाबालिग समेत 8 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने इस नक्सली ऑपरेशन के तौर पर पेश किया था, परन्तु अब जाँच रिपोर्ट आई जिसने साफ किया ये कोई ऑपरेशन नहीं बल्कि ये एक सरकारी पुलिसया दमन था। नौ साल बाद इस मामले में राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आ गई है। आयोग ने मुठभेड़ को फर्जी करार बता दिया है। इस रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया किमारे गए लोग नक्सली नहीं थे। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा के सदन में पेश की है।

 मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने एड़समेटा जांच आयोग की रिपोर्ट के मद्देनजर मई 2013 में एडसमेटा में सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए, निर्दोष आदिवासियों की हत्या को 'राज्य प्रायोजित हत्या' करार देते हुए इसके लिए जिम्मेदार सुरक्षा बलों के सभी लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और उन्हें उदाहरणीय सजा देने की मांग की है। इस हत्याकांड में सुरक्षा बलों द्वारा 3 बच्चों सहित आठ आदिवासियों की हत्या कर दी गई थी तथा इसे नक्सली मुठभेड़ के रूप में प्रचारित किया गया था।

जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर ही रखना काफी नहीं है, बल्कि इसे आम जनता के लिए सार्वजनिक भी किया जाना चाहिए और आयोग द्वारा चिन्हित सुरक्षा बलों के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज करना चाहिए। आदिवासियों के नरसंहार को कथित नक्सली मुठभेड़ का रूप देने की सुरक्षा बलों की कोशिश से स्पष्ट है कि नरसंहार के साक्ष्यों को भी नष्ट करने की कोशिश की गई थी।

उन्होंने कहा कि यह घटना तत्कालीन भाजपा राज में हुई थी, जिसका आदिवासीविरोधी चरित्र बहुत ही स्पष्ट है। लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, जिसे संवेदनशीलता दिखाते हुए आदिवासियों के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए, न कि सुरक्षा बलों के कुकृत्यों की लीपापोती। उन्होंने कहा कि भाजपा की तरह कांग्रेस की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण आदिवासियों के लिए न्याय की लड़ाई एक अंतहीन इंतज़ार में तब्दील हो गई है।

माकपा नेता ने कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद आदिवासियों पर सुरक्षा बलों के अत्याचार की जांच पर जितनी भी रिपोर्टें आई हैं, उन्हें सार्वजनिक किया जाना जरूरी है और सभी मामलों में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। वास्तव में आदिवासियों के खिलाफ ये अत्याचार जल-जंगल-जमीन-खनिज व अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर कॉर्पोरेटों के कब्जे और उनके मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं, ताकि आदिवासियों को जंगलों से विस्थापित किया जा सके। इसके खिलाफ आदिवासी प्रतिरोध को कुचलने के लिए इन इलाकों का बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण किया जा रहा है। माकपा ने आदिवासी इलाकों में पेसा कानून के खिलाफ जाकर ग्राम सभाओं की सहमति के बिना बनाये गए सुरक्षा बलों के सभी कैम्पों को वापस लेने की मांग की है, ताकि आदिवासियों के 'राज्य प्रायोजित' नरसंहारों पर रोक लगाई जा सके।

ये भी पढ़ें: बीजापुर एनकाउंटर रिपोर्ट: CRPF की 'एक भूल' ने ले ली 8 मासूम आदिवासियों की जान!

Chhattisgarh
Fake encounter of tribals
CPIM

Related Stories

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License