NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़: विधवा महिलाओं ने बघेल सरकार को अनुकंपा नियुक्ति पर घेरा, याद दिलाया चुनावी वादा!
प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं ने इनकी मांग पूरी करने का वादा किया था। ढाई साल बीत गए लेकिन अब तक मांगों का कुछ नहीं हुआ। इसलिए अब रायपुर में धरना स्थल के पेड़ के नीचे धरना देना इनकी मजबूरी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Sep 2021
छत्तीसगढ़: विधवा महिलाओं ने बघेल सरकार को अनुकंपा नियुक्ति पर घेरा, याद दिलाया चुनावी वादा!

अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ शिक्षक विधवा महिलाएं बीते 50 दिनों से अधिक समय से धरने पर बैठी हैं। शासन-प्रशासन की अनदेखी से निराश इन महिलाओं ने गुरुवार, 8 सितंबर को खुद को जिंदा जलाने की कोशिश भी की। वहां मौजूद पुलिस ने जैसे-तैसे इन महिलाओं को आत्मदाह करने से रोक लिया। लेकिन इनका धरना अभी भी जारी है।

प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं ने इनकी मांग पूरी करने का वादा किया था। ढाई साल बीत गए लेकिन अब तक मांगों का कुछ नहीं हुआ। इसलिए अब रायपुर में धरना स्थल के पेड़ के नीचे धरना देना इनकी मजबूरी है।

आपको बता दें कि इन सभी विधवा महिलाओं के पति प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पंचायत शिक्षक थे यानी पंचायतों के स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे। लेकिन किसी की बीमारी, तो किसी की हादसे में मौत हो गई। अब पिछले 3-4 सालों से ये महिलाएं पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग लेकर दर-दर भटक रही हैं।

क्या है पूरा मामला?

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये महिलाएं बीते लंबे समय से अनुकंपा पर नौकरी की मांग कर रही हैं। लेकिन ना तो पिछली बीजेपी सरकार ने और ना ही वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने उनकी मांग पूरी की है। चुनाव के समय इनसे बड़े-बड़े वादे जरूर कर दिए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद सब मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

कई रिपोर्ट्स की मानें तो इन महिलाओं पर उनके बच्चों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी है। लेकिन नौकरी ना मिलने की वजह से ये महिलाएं घर छोड़कर राजधानी रायपुर में विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं। सरकार की तरफ से मांग न पूरी किए जाने की वजह से ये महिलाएं इतनी हतोत्साहित हो गई हैं कि अब धरना स्थल पर ही आत्मदाह की कोशिश करने लगी हैं।

‘बहाना बनाती है सरकार’

ताज़ा मामले में ये महिलाएं पिछले 51 दिनों से विरोध प्रदर्शन पर हैं। इन प्रदर्शनकारी महिलाओं ने क्रमिक भूख हड़ताल भी शुरू की है। इन महिलाओं का कहना है कि सरकार बार-बार तरह-तरह के बहाने बनाकर उनकी मांग टाल देती है। लेकिन इस बार प्रदर्शनकारियों ने ठाना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वो यहां से हिलेंगी नहीं।

दो हफ्ते पहले पंचायत दिवंगत अनुकंपा नियुक्ति संघ प्रदेश अध्यक्ष माधुरी मिर्गे ने स्थानीय मीडिया को बताया कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। लेकिन सच्चाई यही है कि महिलाओं की सुनवाई नहीं होती।

माधुरी मिर्गे के अनुसार, "इस सरकार ने चुनाव के पहले वादा किया था कि सरकार में आते ही हम लोगों को अनुकंपा पर नौकरी देंगे। कई महिलाओं की आर्थिक हालत बहुत बिगड़ चुकी है। बच्चे दाने-दाने के लिए मोहताज़ हो गए हैं। वो अपनी मां से पूछते हैं कि घर कब आओगी। मां कहती है कि धरने से सीधे नियुक्ति पत्र लेकर ही आएंगे नहीं तो वहीं प्राण त्याग देंगे।”

सरकार क्या कह रही है?

इस मामले में छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नियमित कर्मचारी के आश्रितों को ही अनुकंपा पर नौकरी मिलती है। जो महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, उनके पतियों की नियुक्ति नियमित नहीं थी। इन्हें नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि उन्होंने आगे ये भी कहा कि इन महिलाओं की मांगें आगे बढ़ाई गई हैं। शासन की तरफ से अनुमति मिलने पर इन्हें अनुकंपा पर नौकरी दी जाएगी।

जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं, तब तक वापसी नहीं!

गौरतलब है कि प्रदर्शन कर रहीं दिवंगत शिक्षकों की अधिकतर पत्नियां 12वीं पास हैं, कुछ ने बीएड भी किया है। अब इन्हें टीचर एजिबिलिटी टेस्ट, डिप्लोमा इन एजुकेशन के बिना अनुकम्पा नियुक्ति न दिए जाने का नियम बताया जा रहा है। अब इसी नियम के खिलाफ राजधानी रायपुर में प्रदेश भर से आई हुई विधवा महिलाएं आन्दोलन कर रही हैं।

उनका कहना है कि कभी विभाग की आड़ में, तो कभी फंड की कमी बताकर अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी जा रही है। गुरुवार को जिस तरह से दो महिलाओं ने अग्नि समाधि मना करने के बाद भी लेने का प्रयास किया वह चिंताजनक है। सभी आंदोलनकारियों ने ठाना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी। तब तक आंदोलन जारी रहेगा। बीते दिनों महिलाओं ने कफन ओढ़ कर, प्रतीकात्मक फांसी लगाकर प्रदर्शन किया था।

इस संबंध में माधुरी मिर्गे ने मीडिया को बताया कि चुनाव के समय कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कहा था कि सरकार बनने के बाद नियमों को शिथिल करेंगे और आपको नौकरी मिलेगी। माधुरी ने कहा कि हमारे साथ जो हुआ अचानक हुआ, कोई तैयारी तो नहीं करता है न कि पति मरे तो मैं पहले से ही सारे कोर्स कर लूं। अब परिवार में पैसे नहीं कि हम कोर्स करें। हम चाहते हैं कि जिसकी जैसी योग्यता है उसे वैसा रोजगार सरकार दे दे।

Chhattisgarh
bhupesh baghel
Widow women protest
Women protest
Compassionate Appointment

Related Stories

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

छत्तीसगढ़ :दो सूत्रीय मांगों को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर मनरेगा कर्मी

अर्बन कंपनी की महिला कर्मचारी नई कार्यप्रणाली के ख़िलाफ़ कर रहीं प्रदर्शन

कोरबा : रोज़गार की मांग को लेकर एक माह से भू-विस्थापितों का धरना जारी

‘माओवादी इलाकों में ज़िंदगी बंदूक की नाल पर टिकी होती है’

छत्तीसगढ़: जशपुर के स्पंज आयरन प्लांट के ख़िलाफ़ आदिवासी समुदायों का प्रदर्शन जारी 

किसान संसद: अब देश चलाना चाहती हैं महिला किसान

हसदेव अरण्य: केते बेसन पर 14 जुलाई को होने वाली जन सुनवाई को टाले जाने की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है

छत्तीसगढ़ : सिलगेर में प्रदर्शन कर रहे आदिवसियों से मिलने जा रहे एक प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने रोका


बाकी खबरें

  • SFI PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    SFI ने किया चक्का जाम, अब होगी "सड़क पर कक्षा": एसएफआई
    09 Feb 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय को फिर से खोलने के लिए SFI ने प्रदर्शन किया, इस दौरान छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं का विरोध किया। साथ ही सड़क पर कक्षा लगाकर प्रशासन को चुनौत दी।
  • PTI
    समीना खान
    चुनावी घोषणापत्र: न जनता गंभीरता से लेती है, न राजनीतिक पार्टियां
    09 Feb 2022
    घोषणापत्र सत्ताधारी पार्टी का प्रश्नपत्र होता है और सत्ताकाल उसका परीक्षाकाल। इस दस्तावेज़ के ज़रिए पार्टी अपनी ओर से जनता को दी जाने वाली सुविधाओं का जिक्र करती है और जनता उनके आधार पर चुनाव करती है।…
  • हर्षवर्धन
    जन्मदिन विशेष : क्रांतिकारी शिव वर्मा की कहानी
    09 Feb 2022
    शिव वर्मा के माध्यम से ही आज हम भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु, भगवती चरण वोहरा, जतिन दास और महाबीर सिंह आदि की कमानियों से परिचित हुए हैं। यह लेख उस लेखक की एक छोटी सी कहानी है जिसके बारे…
  • budget
    संतोष वर्मा, अनिशा अनुस्तूपा
    ग्रामीण विकास का बजट क्या उम्मीदों पर खरा उतरेगा?
    09 Feb 2022
    कोविड-19 महामारी से पैदा हुए ग्रामीण संकट को कम करने के लिए ख़र्च में वृद्धि होनी चाहिए थी, लेकिन महामारी के बाद के बजट में प्रचलित प्रवृत्ति इस अपेक्षा के मामले में खरा नहीं उतरती है
  • Election
    एम.ओबैद
    यूपी चुनावः प्रचार और भाषणों में स्थानीय मुद्दों को नहीं मिल रही जगह, भाजपा वोटर भी नाराज़
    09 Feb 2022
    ऐसे बहुत से स्थानीय मुद्दे हैं जिनको लेकर लोग नाराज हैं इनमें चाहे रोजगार की कमी का मामला हो, उद्योग की अनदेखी करने का या सड़क, बिजली, पानी, महिला सुरक्षा, शिक्षा का मामला हो। इन मुद्दों पर चर्चा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License