NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कोरोना और लॉकडाउन के बीच बिहार में बाल तस्करी के मामलों में उछाल
पिछले महज दस-बारह दिनों में आठ बार बिहार के ऐसे बच्चों को अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू किया गया है और 100 बच्चों को बाल मज़दूर बनने से बचाया गया है। मगर जितने बच्चों को रेस्क्यू किया गया है, उससे कई गुना अधिक बच्चे इस बीच बिहार छोड़ चुके हैं।
पुष्यमित्र
23 Aug 2020
बसों में भर कर अभिभावकों के साथ जयपुर ले जाये जाते बच्चे।
बसों में भर कर अभिभावकों के साथ जयपुर ले जाये जाते बच्चे।

कोरोना और लॉकडाउन के बीच बिहार में हाल के दिनों में बाल तस्करी तेजी से बढ़ गयी है। स्कूल बंद होने और माता-पिता की आय में भारी गिरावट की वजह से किशोरवय बच्चे बाल मजदूर बनने के लिए विवश हो रहे हैं। उन्हें खास तौर पर चूड़ी फैक्टरियों में काम करने के लिए चोरी-छिपे जयपुर, दूसरे कामों के लिए अहमदाबाद और दूसरी जगहों पर भेजा जा रहा है। गया, मुजफ्फरपुर, रोहतास और अररिया जिले से बड़ी संख्या में बच्चे बसों और स्पेशल ट्रेनों से भेजे जा रहे हैं। पिछले महज दस-बारह दिनों में आठ बार बिहार के ऐसे बच्चों को अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू किया गया है और 100 बच्चों को बाल मजदूर बनने से बचाया गया है। मगर जितने बच्चों को रेस्क्यू किया गया है, उससे कई गुना अधिक बच्चे इस बीच बिहार छोड़ चुके हैं। इस बार बाल तस्करी के लिए ऐसे नये तरीके जा रहे हैं कि चाह कर भी जिम्मेदार अधिकारी उन्हें रोक नहीं पा रहे।

हाल के दिनों में बिहार से बच्चों की तस्करी का पहला मामला तब सामने आया, जब 11 अगस्त, 2020 को जयपुर में एक लक्जरी बस पर सवार 30 बच्चे रेस्क्यू किये गये, वे बच्चे गया, बिहार से जयपुर भेजे गये थे। 14 अगस्त को अररिया से बस से बाहर भेजे जा रहे 10 बच्चों को मुजफ्फरपुर से रेस्क्यू किया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 16 अगस्त को बिहार के 19 बच्चे रेस्क्यू किये गये, ये भी लक्जरी बस से बाहर भेजे जा रहे थे। 19 अगस्त, 2020 को रोहतास जिले में बिहार और यूपी की सीमा पर गया के छह बच्चे रेस्क्यू किये गये, वे भी लक्जरी बस से जयपुर जा रहे थे। 19 अगस्त को ही मोकामा स्टेशन पर एक ट्रेन से जयपुर जा रहे कटिहार के सात बच्चों को रेस्क्यू किया गया। उसी रोज झारखंड के कोडरमा से गया के छह बच्चे रेस्क्यू किये गये, जो हैदराबाद भेजे जा रहे थे। 21 अगस्त को मुजफ्फरपुर में तीन बच्चे रेस्क्यू किये गये जो अहमदाबाद जा रहे थे। 21 अगस्त को ही जयपुर में बस पर सवार सीतामढ़ी के 19 बच्चे रेसक्यू किये गये।

इनमें से कुछ मामलों में रेस्क्यू टीम में शामिल गया के सामाजिक कार्यकर्ता दीनानाथ मौर्य कहते हैं कि जो मामले सामने आ रहे हैं और जितने बच्चे रेस्क्यू हो रहे हैं, वे असल मामले से काफी कम हैं। गया के दलित गांवों की हकीकत यह है कि गांव के गांव खाली हो रहे हैं। रोज अलग-अलग जगहों से लक्जरी बसें आ रही हैं और माता-पिता को दस हजार रुपये एडवांस देकर बच्चों को ले जा रही हैं।

वे कहते हैं कि इनमें से ज्यादातर बसें जयपुर से आ रही हैं, जहां के चूड़ी कारखानों में गया के बच्चों की खूब मांग रहती है। यहां से पहले भी बड़ी संख्या में बच्चे जयपुर जाते रहे हैं, हाल के दिनों में एक सर्वेक्षण के दौरान पता चला था कि जयपुर की चूड़ी फैक्टरियों में बिहार के डेढ़ लाख से अधिक बच्चे काम करते हैं, इसमें ज्यादातर बच्चे गया जिले के हैं। अत्यंत गरीब जाति मुसहरों की बहुलता वाले गया जिले में पिछले कुछ सालों में एक हजार से कुछ अधिक बाल तस्करी के शिकार बच्चों को रेस्क्यू कराया गया है। ऐसा माना जाता है कि यहां के हर पांच मुसहर परिवारों में से दो के बच्चे बाल मजदूरी के लिए बाहर भेजे जाते हैं।

वे कहते हैं, मगर इस बार मामला थोड़ा अलग है। अब वैसे समुदाय के बच्चे भी वहां जाते नजर आ रहे हैं, जो पहले नहीं जाते थे। जिनके माता-पिता थोड़े संपन्न थे और बच्चों से काम नहीं करवाते थे। ऐसा कोरोना और लॉकडाउन की वजह से बढ़ी गरीबी के कारण हुआ है।

दीनानाथ कहते हैं कि इस बार तस्करों ने बच्चों को ले जाने के लिए ऐसे तरीके अपनाये हैं कि चाह कर भी अधिकारी उन्हें रोक नहीं पाते। गुरुवार, 20 अगस्त की घटना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि उन्हें एक बस से 18 बच्चों के जयपुर जाने की खबर मिली। जब उन्होंने जिला बाल संरक्षण आयोग के अधिकारियों के साथ उस बस को रोक कर जांच की तो पाया कि उस बस में उन बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी सवार थे। सभी बच्चों के आधार कार्ड और राशन कार्ड बस ड्राइवर के पास थे, जिसमें उन्हें वयस्क बताया गया था। माता-पिता ने कहा कि वे अपने साथ अपने बच्चों को लेकर काम के लिए जा रहे हैं। इसलिए अधिकारी उन्हें जाने से रोक नहीं पाये। जबकि स्थानीय लोगों का कहना था कि ऐसे मामलों में माता-पिता बच्चों के साथ जाते हैं और वहां बच्चों को छोड़कर लौटती बस से लौट आते हैं।

गया जिले के शेरघाटी के अधिवक्ता नीरज कुमार कश्यप कहते हैं कि कोरोना और लॉकडाउन के बाद हालात ऐसे हो गये हैं कि लोगों को खाने के लाले पड़ गये हैं। बच्चों के स्कूल बंद हैं, इस वजह से उनके पास कोई काम नहीं है। पहले उन्हें मिड-डे मील के जरिये खाने-पीने के लिए कुछ मिल जाता था, अब वह भी बंद है। सरकार के तरफ से घोषणा हुई कि बच्चों को मिड-डे मील के बदले पैसा और अनाज मिलेगा। मगर वह काम भी ठीक से नहीं हो रहा। मजदूरों के पलायन करने से रोकने के लिए बनी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना भी जिले में ठीक से लागू नहीं हो पायी है। ऐसे में कई गरीब मां-बाप दिल पर पत्थर रख कर बच्चों को जयपुर की चूड़ी फैक्टरियों में भेज रहे हैं। वे जानते हैं कि वहां का काम बहुत खतरे का है। मगर उनके पास कोई विकल्प नहीं है।

बिहार में बाल तस्करी को रोकने के लिए सक्रिय संस्था सेंटर डायरेक्ट के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार कहते हैं, लॉकडाउन के दौरान जब प्रवासी मजदूर देश के कोने-कोने से बिहार लौट रहे थे, तो उनके साथ बाल मजदूर भी बड़ी संख्या में बिहार वापस आ गये। हमें तब उम्मीद जगी थी कि अगर सरकार इन्हें यहीं रोकने की व्यवस्था कर ले, थोड़ी सक्रियता दिखाये तो शायद बिहार से बाल तस्करी का कलंक मिट जायेगा। मगर हाल के दिनों में अचानक प्रवासी मजदूर भी काम पर लौटने लगे और उनके साथ-साथ बाल श्रमिकों की तस्करी भी बड़े पैमाने पर शुरू हो गयी। इस बार की स्थिति थोड़ी अधिक ही नाजुक है, क्योंकि इस बार कई नये परिवारों के बच्चे भी बाहर भेजे जा रहे हैं।

सुरेश सवाल उठाते हैं कि जब बिहार में कोरोना की वजह से लॉकडाउन है तो दूसरे राज्य की लक्जरी बसें कैसे यहां आकर मजदूरों और बच्चों को ले जा रही है, यह सोचने की बात है।

सुरेश इस संकट की एक बड़ी वजह पिछले दो साल से बिहार में बाल तस्करी रोकने के अभियान में आयी सुस्ती को भी बताते हैं। वे कहते हैं, बच्चों की तस्करी को रोकने और रेस्क्यू करके वापस लाये गये बच्चों का पुनर्वास करने के लिए जो योजनाएं बनी हैं, उनका ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा। इसके अलावा पंचायती राज के प्रतिनिधियों को इसमें जोड़ा नहीं गया है। मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए बनी योजनाओं जैसे मनरेगा और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना का क्रियान्वयन नहीं हो रहा। इन वजहों से अचानक बच्चों की तस्करी में उछाल आ गया है। सरकार को अलर्ट मोड में आकर इसे रोकना होगा।

इस सम्बंध में पूछने पर बिहार बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रमिला कुमारी अचानक बढ़ी बाल तस्करी के लिए अभिभावकों को ही जिम्मेदार मानती हैं। वे कहती हैं कि लॉकडाउन की शुरुआत से ही बच्चों के लिए सरकार की तरफ से हर तरह की योजनायें लागू की गईं। बाढ़ की वजह से कुछ कमी हो सकता है रह गयी हो। बाढ़ के बाद हमलोग एक बार फिर से अभिभावकों को समझाने का प्रयास करेंगे।

 

(पुष्यमित्र स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Child Trafficking
Child trafficking cases rise in Bihar
Corona
Lockdown
Bihar
Child Labour

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License