NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
लैटिन अमेरिका
चिली : तीसरे हफ़्ते भी सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी
चिली की जनता राष्ट्रपति पिनेरा के इस्तीफ़े की मांग पर अड़ी हुई है, लोग राष्ट्रीय संविधान सभा की स्थापना की माँग के साथ उन सभी सरकार से जुड़े अधिकारियों को सज़ा दिए जाने की मांग कर रहे हैं  जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है।
पीपल्स डिस्पैच
08 Nov 2019
Anti-government Protests in Chile
“कुछ भी सामान्य नहीं हुआ है” चिली के लोग सेबेस्टियन पिनेरा की सरकार के ख़िलाफ़ लगातार लामबंद हैं और उनकी माँग है कि राष्ट्रीय संविधान सभा का गठन किया जाए। फ़ोटो: फ्रेंते फोटोग्रॉफिको

जहाँ एक ओर चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा का दावा है कि चिली में हालात सामान्य हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा थोपी गई नवउदारवादी नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला 4 नवम्बर को अपने तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है. सोशल यूनिटी बोर्ड की ओर से बुलाये गए ‘सुपर मंडे’ विरोध दिवस में दसियों हज़ार लोग एक बार फिर से राष्ट्रपति के इस्तीफ़े की माँग के साथ देश की सड़कों पर उतर आए।

सोशल यूनिटी बोर्ड एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमें वर्कर्स यूनाइटेड सेंटर (सीयूटी), नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ फ़िज़िकल एम्प्लॉइज़ (एएनईएफ़) सहित सैकड़ों सामाजिक आंदोलनों, छात्रों के संगठनों और ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। बोर्ड ने श्रमिकों और सभी लोगों से आह्वान किया था कि वे पूरे देश भर में विरोध के अलग-अलग तरीक़ों को अपनाएं, जैसे कि मार्च, प्रदर्शन, cacerolazos* और सड़क जाम करने जैसे उपाए। राजधानी सैंटियागो और बंदरगाह वाले शहर वालपरैसो इस विशाल विरोध प्रदर्शन के मुख्य केंद्र रहे।

दोपहर तक, सैंकड़ों की संख्या में श्रमिकों, कार्यकर्ताओं, यूनियन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सैंटियागो में स्थित पूर्व नेशनल कांग्रेस बिल्डिंग और वालपरैसो में चिली की राष्ट्र कांग्रेस के बाहर नीति-निर्माताओं से पिनेरा प्रशासन द्वारा पेश किये गए बिलों पर बहस न करने की माँग करने लगे जिसने देश में नवउदारवादी मॉडल को गहरा दिया है।

उनकी मांगों में राष्ट्रीय संविधान सभा की स्थापना, सरकार द्वारा स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा और पेंशन जैसी सार्वजनिक सेवाओं में निवेश को बढ़ाए जाने की माँग भी शामिल थीं और वे उन सभी पुलिसकर्मियों और सैन्य अधिकारियों को दण्डित किये जाने की मांग कर रहे थे जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों पर दमनात्मक कार्यवाही करते हुए मानवाधिकारों का उल्लंघन किया था।

शाम को एक बार फिर से  सैंटियागो के प्लाज़ा इटालिया में हज़ारों लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया और उन्होंने प्लाज़ा डे लॉस हीरोज़ तक पहुंचने का लक्ष्य बनाकर विकुना मक्केन्ना एवेन्यू से होते हुए शांतिपूर्ण मार्च निकालना शुरू किया। हालांकि, बीच रास्ते में ही राष्ट्रीय पुलिस बल, काराबिनेरोस ने बलपूर्वक इस मार्च को रोक दिया। कारबिनेरोस ने इस विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए आंसू गैस और तेज़ पानी की बौछार का इस्तेमाल किया।

उसी दिन, चिली के मानवाधिकार संगठनों और वकीलों ने राष्ट्रपति पिएनेरा के ख़िलाफ़ क़ानूनी शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया है कि पिछले दो हफ़्तों से जारी नागरिक समुदाय के सामाजिक आंदोलनों पर सुनियोजित तरीक़े से हमले किये गए हैं।

लोकपाल कार्यालय, पीपल्स डिफ़ेंस कमेटी ‘वेरगारा टोलेडो ब्रदर्स’ और लीगल कोआपरेटिव जैसी संस्थाएं राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने के लिए सेंटियागो के सेवेंथ कोर्ट ऑफ़ गारंटी में कानून के तहत अपराध दर्ज करने के लिए गई, जो क़ानून 20,357 के तहत स्थापित है।

इन संगठनों की मांग है कि "जिन घटनाओं का ज़िक्र किया गया है उनकी जांच की जाए" और "मानवता के विरुद्ध अपराध के दोषी के रूप में राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा की ज़िम्मेदारी तय की जाए।"

चिली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ह्यूमन राइट्स (आईएनडीएच) की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार, सरकार विरोधी प्रदर्शनों में इन पिछले 16 दिनों के दौरान, पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही के चलते 23 से अधिक लोग मारे गए हैं, 4,316 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, 1,564 लोग घायल हैं, और घायलों में से 574 लोगों को गंभीर चोटों के चलते अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और 166 लोग धमकी, यातना और यौन उत्पीड़न का शिकार हुए हैं।

चिली के नारीवादी समूहों ने महिलाओं के ऊपर पुलिस अधिकारियों द्वारा किये गये अत्याचारों के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए कई विरोध प्रदर्शन किए हैं और चिली को 'एक पित्रसत्तात्मक हत्यारे राज्य' के रूप में चिन्हित किया है। आईएनडीएच द्वारा जारी की गई रिपोर्टों के अनुसार, महिला बंदियों को जबरन नग्न किया गया और उन्हें उकड़ूँ की स्थिति में खड़े रहने पर मजबूर किया गया। कई लोगों ने आरोप लगाए कि सुरक्षाकर्मियों ने अपने हथियारों से उनके अंगों को छुआ और अपने आग्नेयास्त्रों के अंगों में प्रवेश कराया। एसोसिएशन ऑफ़ फ़ेमिनिस्ट लॉयर्स ऑफ़ चिली की रेबेका ज़मोरा का आरोप है कि सुरक्षा बलों ने महिलाओं को धमकी भी दी, कि यदि उन्होंने उनके आदेशों का पालन नहीं किया, या विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया तो वह उनका बलात्कार तक कर देंगे।

ग्वाटेमाला की मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, रिगोबर्टा मेनचू, चिली पहुँचीं और उन्होंने चिली में मानवाधिकार की वर्तमान स्थिति के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है। चिली के क्रांतिकारी विक्टर जारा की विधवा जोन टर्नर जारा और फ़ाउंडेशन फॉर डेमोक्रेसी के अध्यक्ष गुइलेर्मो व्हेपी के साथ मेनचू ने गवर्नमेंट पैलेस, ला मोनेडा का दौरा किया, और सोमवार 4 नवंबर को राष्ट्रपति पिएनेरा को संबोधित करते हुए एक पत्र सौंपा।

Capture_9.JPG

रिगोबर्टा मेन्चू के साथ जोआन टर्नर जारा, चिली के क्रांतिकारी विक्टर जारा की विधवा, और फ़ाउंडेशन फॉर डेमोक्रेसी के अध्यक्ष गिलर्मो व्हेपी

पत्र में उन्होंने पुलिस हिंसा के ख़ात्मे, नागरिकों के विरोध करने के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान करने, बातचीत के लिए खुला वातावरण बनाने और संविधान सभा के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया है, जिसका चिली समाज माँग करता आ रहा है।

इस लोकप्रिय विद्रोह की चिंगारी तब फूटी थी जब राजधानी में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के दाम में एकाएक वृद्धि के ख़िलाफ़ हाई स्कूल के छात्रों ने अपना मोर्चा खोला था, लेकिन जल्द ही यह देश में व्यापक सामाजिक असंतोष को उभारने का कारण बना। 18 अक्टूबर से इस आंदोलन ने  चिली समाज को व्यापकतम स्तर पर पिनेरा प्रशासन द्वारा उठाये सामाजिक कार्यों में घनघोर कटौती करने वाले कठोर उपायों और सामाजिक आंदोलनों के कठोर दमन के ख़िलाफ़ आंदोलन करने के लिए मजबूर कर दिया है। चिली की अधिसंख्य जनता ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में घोषित आपातकाल और कर्फ़्यू को ख़ारिज कर दिया है, और यह क़दम लोगों को अंतिम नागरिक-सैन्य तानाशाह अगस्तो पिनोशे के शासनकाल में होने वाली क्रूरताओं की याद दिलाती है।

हालांकि, सरकार के द्वारा राष्ट्रीय पुलिस और सैन्य बलों के हिंसक दमन के ज़रिये जनता के आक्रोश को रोकने के कई प्रयासों के बावजूद, आपातकाल और कर्फ़्यू की स्थिति को धता बताते हुए, चिली की जनता का प्रतिरोध जारी है।

*Cacerolazos लोकप्रिय विरोध प्रदर्शन का एक तरीक़ा है, जिसमें ध्यान आकर्षित करने के लिए लोग बर्तन, भांडे और अन्य बर्तनों को पीट-पीट कर शोर मचाते हैं।

सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Anti-government Protests in Chile Enter a Third Week

1973 coup in Chile
Chile protests
Chile resists
metro fare hike in Chile
Military dictatorship
Police repression
Rigoberta Menchú
Sebastian Piñera
Victor Jara

Related Stories

चिली : पिनेरा सरकार के ख़िलाफ़ ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान

पिनेरा सरकार के ख़िलाफ़ चिली के लोगों ने दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रदर्शन किया

चिली : जनता ने संगीत महोत्सव के दौरान किया सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

चिली: फुटबॉल प्रशंसक की मौत के बाद सरकार-विरोधी आंदोलन तेज

चिली में संघर्ष के तीन महीने


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License