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किसान आंदोलन: सर्द रात, बूंदा-बांदी भी तोड़ नहीं पाई किसानों के हौसलें
पिछले  72 दिनों से दिन रात सड़कों पर डटे हुए हैं।  उनके हौसलें को न भीषण ठंड हिला सकी और न ही बिना मौसम की बरसात। वो लगातार अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। 
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Feb 2021
Farmers protest

दिल्ली-उत्तरप्रदेश सीमा पर भारी सुरक्षा वाले प्रदर्शन स्थल गाजीपुर में सैकड़ों किसान सर्द रात और बृहस्पतिवार सुबह बूंदाबांदी के बीच नए कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की अपनी मांग को लेकर डटे रहे ।

कई किसानों ने दिल्ली-मेरठ राजमार्ग के एक हिस्से में अस्थायी तंबू लगा रखे हैं वहीं कई किसान ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में ही आराम करते हैं। सड़क पर बिछायी गई दरियों पर भी कुछ किसान खुले आसमान के नीचे डटे रहते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था कड़ी किए जाने के खिलाफ प्रदर्शनकारियों की आलोचना के बाद प्रदर्शन स्थल के आसपास की सड़कों से कीलें हटा दी गई है। वहीं दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि कीलों का स्थान बदला गया है।

एक प्रदर्शनकारी ने न्यूज चैनल से कहा, ‘‘जिस तरह वे कीलें हटा रहे हैं, उसी तरह कानून भी वापस लेंगे।’’
हालांकि दिल्ली पुलिस के उपायुक्त (पूर्व) दीपक यादव ने कहा कि सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था पहले की तरह कायम रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी तस्वीरें और वीडियो प्रसारित किए जा रहे हैं, जिसमें दिख रहा है कि गाजीपुर में कीलें निकाली जा रही हैं। लेकिन, इनका स्थान बदला जा रहा है और सीमा पर सुरक्षा इंतजाम यथावत रहेंगे।’’

इसी तरह दिल्ली के अन्य बॉर्डर सिंघु और टिकरी पर भी किसान विपरीत हालत में पिछले  72 दिनों से दिन रात सड़को पर डटे हुए हैं।  उनके हौसलें को न भीषण ठंड हिला सकी और न ही बिना मौसम की बरसात। वो लगातार अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।  

सयुंक्त किसान मोर्चा जो इस किसान आंदोलन को संयुक्त रूप से नेतृत्व कर रहा है।  उसने सरकार द्वारा बाधित इंटरनेट सेवाओं के तत्काल बहाल करने की मांग की है। इसे सरकार द्वारा असहमति की आवाज़ को दबाने का  प्रयास बताया जा रहा है। उन्होंने कहा इससे आंदोलनकारी किसानों के साथ-साथ मीडिया और स्थानीय लोगों में भी बहुत दिक्कत हो रही है। विशेषकर छात्रों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी परीक्षाएं नजदीक हैं। एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है दूसरी तरफ देश की जनता को इंटरनेट से वंचित रखा जा रहा है।

आंदोलनों को सोशल मीडिया पर मिल रहे वैश्विक समर्थन का स्वागत किया और जिस तरह से बीजेपी उसको देश के ख़िलाफ़ बता कर प्रचार कर रही है, उसपर भी सँयुक्त मोर्चे ने तल्ख़ टिप्पणी की है।  उन्होंने कहा  देश-दुनिया से किसान आंदोलन को लगातार समर्थन मिल रहा है। शर्म की बात है कि सरकार इसे अंदरूनी मामला बताकर दबाना चाहती है। जो लोग किसानों को समर्थन कर रहे हैं उन्हें ट्रोल किया जा रहा है, जो कि निंदनीय है।

जिस तरह से लगातर राजनीतिक दल भी किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए धरने प्रदर्शन में जा रहे हैं।  उस पर  सँयुक्त किसान मोर्चा ने कहा यह आंदोलन पूर्णतः किसानों का आंदोलन है व किसानों पर लग रहे सभी बेबुनियाद आरोपों को हम खारिज करते हैं। यह आंदोलन शुरू से ही पूर्ण रूप से अराजनैतिक रहा है व अराजनैतिक रहेगा। किसी भी राजनैतिक दल के नेता को सयुंक्त किसान मोर्चा का मंच नहीं दिया जाएगा। राजनैतिक दलों एवं नेताओं का किसान आंदोलन को समर्थन स्वागतयोग्य है परंतु किसी भी स्थिति में सयुंक्त किसान मोर्चा के मंच पर जगह नहीं दी जाएगी।

आज सयुंक्त किसान मोर्चा के एक प्रतिनिधिमंडल ने 26 जनवरी की पुलिस कार्रवाई में मारे गए उत्तराखंड के किसान नवरीत सिंह की अंतिम अरदास में शामिल हुआ और नवरीत  को श्रद्धांजलि दी ।

मोर्चे के मुताबिक अब तक संकलित जानकारी के अनुसार 125 किसानों पर FIR दर्ज है व 21 किसान लापता हैं। किसान मोर्चा का कानूनी सहायता केंद्र हर बॉर्डर पर लगाया जा चुका है व इन सभी केसों से संबंधित लगातार कार्रवाई कर रहा है।


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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License