दलित-गरीबों, भूमिहीन किसानों के ऐतिहासिक नक्सलबाड़ी उभार के दौर के भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता कॉमरेड बृजबिहारी पांडेय का गुरुवार को निधन हो गया।
पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हाल ही में उनके पेट की सर्जरी हुई थी, वे ठीक हो गए थे, लेकिन सर्जरी के बाद छाती में संक्रमण और अन्य जटिलताओं से पीड़ित हो गए और 26 अगस्त की सुबह पटना के अस्पताल में उनका निधन हो गया।
बृजबिहारी पांडेय कानपुर में भाकपा-माले के पूर्व महासचिव कामरेड विनोद मिश्र के बचपन के मित्र थे। दोनों 1966 में आरईसी दुर्गापुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने एक साथ गए थे, जहां उनकी मुलाकात धूर्जटी प्रसाद बक्शी (डीपी बक्शी) और गौतम सेन से हुई। ये सभी युवक एक साथ नक्सलबाड़ी के उभार से गहरे तौर पर प्रभावित हुए, और कैंपस रेजिमेंटेशन के खिलाफ चल रहे युवा विद्रोह को मजदूर- किसानों के प्रतिरोध के साथ एकजुटता में बदल रहे थे। पांडेय जी के निधन के साथ, दुर्गापुर आरईसी के चार लोगों के समूह का आखिरी हिस्सा भी हमने खो दिया है।
कॉमरेड वीएम और डीपी बक्शी के साथ एक पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ता बनकर, पांडेय जी ने विभिन्न भूमिकाओं और विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। 1974 से, उन्होंने दिल्ली, पंजाब, बंगाल, झारखंड (जहां उन्होंने एक समय के लिए गिरिडीह सचिव के रूप में भी कार्य किया) के साथ-साथ पार्टी की केंद्रीय समिति और पार्टी के मुखपत्रों लिबरेषन और लोकयुद्ध सहित कई अन्य विभागों में काम किया। वह वर्तमान में पार्टी के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे।
पांडेय जी एक बहुभाषाविद थे। उन्हें कई विषयों में महारत हासिल थी। अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली के साथ-साथ वह काफी हद तक पंजाबी भी बोल सकते थे और कुछ तमिल भी समझ सकते थे। विज्ञान, साहित्य, संस्कृति से लेकर राजनीति और इतिहास तक - पांडेय जी की इन सभी क्षेत्रों में गहरी रुचि थी, और जिस भी विषय पर वे ध्यान देते, उस पर शीघ्र ही अधिकार कर लेते। उनके पास धैर्य जैसा दुर्लभ गुण था, जिसने उन्हें एक आदर्श शिक्षक और संरक्षक बना दिया। असंख्य युवा साथियों - पार्टी प्रकाशनों के संपादकों से लेकर जन मोर्चों पर कार्यरत कार्यकर्ताओं तक - ने उनके उदारतापूर्ण संरक्षण का लाभ उठाया। वे खुशी-खुशी एक नौसिखिए को भी कंप्यूटर का उपयोग करने व सिखाने; या भौतिकी के छात्र के साथ क्वांटम भौतिकी पर चर्चा करने के लिए, या जन संस्कृति मंच के साथियों के साथ नवीनतम रोचक उपन्यास या कविता पर चर्चा करने; या फिर अपने दैनिक कार्यों में किसी कॉमरेड द्वारा सामने की जाने वाली जटिल समस्या पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार रहते।
माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने गुरुवार को उनके निधन की सूचना देते हुए गहर दुख प्रकट किया। और तुरंत दिल्ली से पटना के लिए रवाना हो गए। जहां आज उन्हें अंतिम विदाई दी जा रही है।
पांडेय जी अपने पीछे अपने पार्टी साथियों के अलावा अपनी जीवन साथी विभा गुप्ता जिन्हें कॉमरेड झूमा के नाम से जाना जाता है और दो बेटियों अदिति और रिया को छोड़ गए हैं।

कॉमरेड झूमा ने भी एक कविता के जरिये अपने जीवन साथी को याद किया-
अंतिम बिदाई
***********
तुम उस जंग के सिपाही थे
जो दबे-कुचलों की आवाज़ थे
मज़दूर किसान का आंदोलन थे
औरतों के प्रगति के समर्थक थे
सर्वहारा के जीवन के नारा थे
ज्ञान का अथाह सागर थे तुम
तुम मेरे दिल में चालीस साल से बसे रहे
लंबी बीमारी के दौरान भी तुम्हारे
चेहरे की चमक नहीं हुई कभी भी कम
तुम हर राज्य में सबके दिल में बसे हो कॉमरेड
तुम्ही तुम छाए हुए हो मेरे दिल में।
लंबी बीमारी से जूझते हुए भी
अंतिम सांस तक समाज के बारे में ही सोचते रहे तुम
बेहतर समाज का सपना संजोए थे
उस सपने को अब पूरा करना है हमें
इन्कलाबी सम्मान के साथ अंतिम बिदाई तुम्हें
लाल सलाम कॉमरेड बृज बिहारी जी।