NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कांग्रेस बनाम कांग्रेस : जी-23 की पॉलिटिक्स क्या है!
प्रश्न सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व और उसकी कार्यशैली का नहीं है बल्कि उसके उन तमाम नेताओं की वैचारिक प्रतिबद्धता का भी है जिन्होंने लंबे समय तक सत्ता का सुख भोगा है।
कृष्ण सिंह
16 Mar 2022
G-23
कांग्रेस के ‘जी-23 समूह’ के नेता। फाइल फ़ोटो, साभार: पीटीआई

कांग्रेस अब तक के अपने इतिहास में सबसे खराब दौर से गुजर रही है। पांच राज्यों के अभी हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जो बुरी तरह से हार हुई है उसने उसके नेतृत्व को लेकर नए सिरे से सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर पार्टी के भीतर पहले से ही प्रश्न उठते रहे हैं। पार्टी के नेताओं के एक समूह, जिसे जी-23 कहा जाता है, ने सन 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक स्तर पर बदलाव की बात कही थी। हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद जी-23 के नेता फिर से अतिसक्रिय हुए हैं और पार्टी नेतृत्व की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

कांग्रेस के भीतर चल रहे इस द्वंद के बाद पार्टी की कार्यसमिति की बैठक हुई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि यदि कुछ लोग यह मानते हैं कि इस स्थिति के लिए गांधी परिवार जिम्मेदार है और उसको किनारे हो जाना चाहिए तो वह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पार्टी के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं और वे हट जाएंगे। सोनिया गांधी के इस प्रस्ताव को कार्यसमिति के सदस्यों ने ठुकरा दिया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्यसमिति की बैठक के बाद जी-23 में शामिल नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेतृत्व पर बहुत ही करारा हमला किया है। सिब्बल ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा कि ‘मैं सबकी कांग्रेस चाहता हूं। कुछ घर की कांग्रेस चाहते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि गांधी परिवार को हट जाना चाहिए और किसी अन्य नेता को मौका देना चाहिए। सिब्बल ने इस साक्षात्कार में कांग्रेस और उसके नेतृत्व को लेकर जो भी बाते कहीं हैं उन बातों को लेकर जी-23 की ओर से अभी तक स्पष्ट तौर पर कोई असहमति जाहिर नहीं की गई है। इससे जाहिर होता है कि जी-23 में शामिल नेता कपिल सिब्बल की बातों से इत्तेफाक रखते हैं। इसलिए यहां एक प्रश्न पैदा होता है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जी-23 के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा भी मौजूद थे, तो उन्होंने बैठक में क्यों नहीं कहा कि गांधी परिवार को किनारे हो जाना चाहिए और पार्टी को अब एक नए नेतृत्व की आवश्यकता है। आखिर जी-23 के नेताओं का यह दोहरा चेहरा क्यों है? यानी बैठक में कुछ और बाहर कुछ।  

कपिल सिब्बल ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार को जो साक्षात्कार दिया है उसमें कई तरह के संकेत छिपे हुए हैं। “सब की कांग्रेस बनाम घर की कांग्रेस”, यह लगभग उसी तरह की भाषा है जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल भाजपा और नरेंद्र मोदी गांधी परिवार पर हमला करने के लिए करते हैं। ‘सब की कांग्रेस’ का अर्थ समझाते हुए सिब्बल कहते हैं कि इसमें वे सभी लोग शामिल हैं जो भाजपा को नहीं चाहते हैं। वह कहते हैं कि ममता बनर्जी भी कांग्रेसी थीं और शरद पवार भी कांग्रेसी थे। तो क्या उनके कहने का अर्थ यह है कि एक नई कांग्रेस का गठन हो जिसमें ममता बनर्जी और शरद पवार भी हों? इन दो कद्दावर नेताओं का नाम लेकर वह क्या संकेत देना चाहते हैं?

नए नेता के नाम का खुलासा क्यों नहीं करता जी-23

कांग्रेस में मुकम्मल बदलाव को लेकर जी-23 नेताओं की विस्तृत और ठोस योजना क्या है, इसका कोई स्पष्ट खाका अभी तक सामने नहीं आया है। आखिर जी-23 उस एक नेता का नाम सामने क्यों नहीं रखता जिसमें कांग्रेस को नए सिरे से पुनर्जीवित कर सकने की क्षमता है। जी-23 में जो नेता हैं उनमें से अगर भूपिन्दर सिंह हुड्डा को छोड़ दिया जाए तो कोई भी नेता मास लीडर (जन नेता) नहीं है। कांग्रेस को हिंदी पट्टी में नए सिरे से खड़ा करने की जरूरत है जहां उसका मुकाबला भाजपा-जैसी बहुत ही ताकतवर राजनीतिक शक्ति से है। क्या जी-23 में कोई ऐसा नेता है जिसकी पूरी हिंदी पट्टी में व्यापक अपील हो?

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि जिन नेताओं को उत्तर प्रदेश में प्रचार करने के लिए कहा गया था कि उनमें से कई नेता आए ही नहीं।

क्या कांग्रेस में विचारधारा का संघर्ष चल रहा है!

कांग्रेस में नया खून बनाम पुराना खून का संघर्ष चल रहा है या फिर विचारधारा को लेकर संघर्ष चल रहा है। इसे इत्तेफाक नहीं कहा जा सकता है कि कांग्रेस से नाता तोड़ने वाले नेताओं में से अधिकतर ने भाजपा की शरण ली है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। क्या यह सत्ता का सुख भोगने और मंत्री बनने की लालसा का चरम उदाहरण नहीं है? यहां विचारधारा-जैसी कोई चीज तो दिखाई नहीं देती है। अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस परिवारवादी राजनीति पर प्रहार कर रहे हैं, तो उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर उन्होंने परिवारवादी राजनीति के प्रतीक ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद को भाजपा में क्यों शामिल किया? 

राहुल गांधी की राजनीति 

अगर आप राहुल गांधी की राजनीति को देखें तो कांग्रेस के हालिया राजनीतिक इतिहास में वह अकेले ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को उसकी विभाजनकारी नीतियों और उसकी हिंदुत्व की राजनीति को लेकर लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। वह संघ की सांस्कृतिक विचारधारा पर सवाल उठा रहे हैं। वह भाजपा-संघ के श्रद्धेय पुरुष विनायक दामोदर सावरकर के व्यक्तित्व और उनकी राजनीति को लेकर प्रश्न करते हैं। क्या यह अनायास है या मात्र राजनीति है?

ऐसा लगाता है कि दरअसल राहुल गांधी कांग्रेस में उसकी वास्तविक धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप विपक्षी दलों को देखें तो वाम दलों और द्रमुक के अलावा राहुल गांधी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो आरएसएस पर बिना किसी लाग-लपेट के सीधा हमला करते हैं। दरअसल, भाजपा की असली शक्ति आरएसएस है। कहते हैं कि रावण की नाभि में अमृत था, उसी तरह से भाजपा का अमृत आरएसएस नामक नाभि में है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि कांग्रेस के जी-23 के नेताओं का आरएसएस को लेकर क्या विचार है?

जी-23 में कपिल सिब्बल जैसे एक-आध नेताओं को छोड़ दिया जाए तो संपूर्ण जी-23 को संघ को लेकर देश की जनता के सामने अपनी राय को स्पष्ट करना चाहिए।

अब आती है बात याराना पूंजीवाद की, यानी क्रोनी कैपिटलिज्म की। राहुल गांधी लगातार अडानी-अंबानी-जैसे पूंजीपतियों के साथ मोदी सरकार की यारी को लेकर सवाल उठा रहे हैं। वह दो भारत की बात कर रहे हैं। तो, याराना पूंजीवाद को लेकर जी-23 के नेताओं की क्या राय है, वह भी तो जनता के सामने स्पष्ट हो?

राज्यसभा पहुंचने के घटते अवसर

भारत इस समय विचारधारा के जबरदस्त संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। यह वक्त विपक्षी दलों और उसके तमाम नेताओं की अग्निपरीक्षा का भी है, खासकर कांग्रेस पार्टी के लिए। बिना किसी पद या संसद की सदस्यता के बिना कांग्रेस के नेता पूरी प्रतिबद्धता के साथ भाजपा-आरएसएस का मुकाबला किस तरह से करते हैं, यह देखने वाली बात है?

कांग्रेस वर्तमान में सबसे कमजोर राजनीतिक ताकत है और ऐसे में वह अपने ज्यादातर बुजुर्ग नेताओं को राज्यसभा में नहीं भेज सकती है। जी-23 के जो नेता अभी तक राज्यसभा के जरिये अपनी राजनीति को चमकाते रहे हैं, उनके लिए यह सबसे मुश्किल समय है। कांग्रेस में घमासान का एक अहम कारण यह भी नजर आता है।

राज्यसभा में अभी कांग्रेस के 34 सदस्य हैं, इनमें 13 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें कुछ प्रमुख नाम हैं – राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा, एके एंटोनी, पी. चिदंबरम, विवेक तन्खा, जयराम रमेश, कपिल सिब्बल और अंबिका सोनी। कांग्रेस का राज्यों के स्तर पर जो गणित है उसके लिहाज से कांग्रेस के 9 नेता राज्यसभा में आ सकते हैं। अब इन 9 नेताओं में कौन होगा, यह देखने वाली बात है।

लेकिन कुल मिलाकर कांग्रेस में जो संघर्ष चल रहा है उससे क्या नया निकलता है, यह आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी। प्रश्न सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व और उसकी कार्यशैली का नहीं है बल्कि उसके उन तमाम नेताओं की वैचारिक प्रतिबद्धता का भी है जिन्होंने लंबे समय तक सत्ता का सुख भोगा है। अगर वास्तव में, जी-23 के नेता भाजपा और आरएसएस की विभाजनकारी नीतियों, संस्थानों के लगातार होते क्षरण, सांप्रदायिकता का तेजी से फैलते जहर, संघ-भाजपा का धर्म की राजनीति की आड़ में अंध-राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने, बढ़ती बेरोजगारी, सार्वजनिक उपक्रमों के बेचे जाने और मोदी सरकार के याराना पूंजीवाद तथा उसकी आर्थिक नीतियों से अगर चिंतित हैं तो उन्हें एक नए राजनीतिक विजन के साथ सामने आना होगा और यह भी साबित करना होगा कि वह कांग्रेस और देश की धर्मनिरपेक्ष राजनीति को एक नई राजनीतिक ऊर्जा देने में सक्षम हैं। मीडिया की सुर्खियां बटोरने और अपने कार्यकलापों से भाजपा-संघ को मजबूत करने से तो काम चलेगा नहीं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं)

G-23
Congress
Rahul Gandhi
sonia gandhi
kapil sibbal

Related Stories

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License