NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दलितों और स्त्रियों की चेतना संस्कृति एक है : ममता कालिया
दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में इस साल दूसरा दलित महोत्सव मनाया गया। 'साहित्य से एक नयी दुनिया संभव है' के विषय वाले इस महोत्सव में देश भर से साहित्यकार हिस्सा लेने आए हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Feb 2020
 किरोड़ीमल कॉलेज

किरोड़ीमल कॉलेज, नई दिल्ली में इस साल द्वितीय दलित महोत्सव मनाया गया। यह महोत्सव 2019 में शुरू हुआ था, और यह इसका दूसरा साल है।

महोत्सव का इस वर्ष का विषय “साहित्य से एक नयी दुनिया संभव है” था। इसमें ममता कालिया, बल्ली सिंह चीमा, चौथी राम यादव , विमल थोराट जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने शिरकत की। इसके अलावा कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों और देशों से आए कलाकारों, लेखकों और साहित्यकारों ने भी हिस्सा लिया। इस महोत्सव का शुभारम्भ टोनी मॉरीसन खुले मंच पर हैदराबाद से आए प्रसिद्ध कलाकार रामझोल के समूह द्वारा लोक गायन के साथ हुआ। इस मंत्रमुग्ध कर देने वाले लोक गायन की ख़ास बात इसकी शैली और इसमें प्राचीन वाद्य यंत्र रबाब का प्रयोग था।

इसके बाद जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने विकास के नाम पर होने वाले विनाश और जल, जंगल जमीन से जुडी अपनी कवितायेँ सुनाकर दर्शकगण में जोश का संचार किया।

WhatsApp Image 2020-02-16 at 9.02.20 PM.jpeg

इसके बाद डॉ हेमलता और डॉ प्रमोद मेहरा ने कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। डॉ. नीलम और डॉ सीमा माथुर के साथ दर्शकों ने प्रस्तावना पाठ में हिस्सा लिया। किरोड़ीमल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. विभा सिंह चौहान ने सामाजिक संस्थाओं और समाज के सरोकारों के बीच सम्बद्धता पर जोर दिया। कार्यक्रम में दिवंगत दलित साहित्यकारों के लिए २ मिनट का मौन व्रत रखा गया। अम्बेडकरवादी लेखक संघ के संयोजक डॉ नाम देव ने आंबेडकर, मार्क्स, फुले की बात करते हुए समतामूलक समाज की स्थापना पर जोर दिया। अलेस के संस्थापक सदस्य सूरज बड़त्या ने कहा कि हम वर्ष दर वर्ष इस कार्यक्रम को अधिक व्यापक बनाने की बात की और कहा कि जल्द ही इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाया जायेगा।  

वंचित ही हैं सबसे संचित : ममता कालिया

सुप्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया ने कहा कि दलित और स्त्री चेतना की संस्कृति में कई समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति से भी अपने अधिकार न मिलने साहित्य का रुख किया जाए। उन्होंने वंचित वर्ग को दुख की ताकत याद दिलाते हुए कहा कि वंचित वर्ग ही सबसे संचित है।  नेपाल से आये चेतनारायण रसैली ने भारत के संविधान की तारीफ करते हुए कहा कि दोनों देशों के साहित्य की भूमिका की बात की। चौथीराम यादव ने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि जाति की लड़ाई लड़ने वालों को ही जातिवादी करार दिया जाता है। प्रोफेसर कालीचरण स्नेही ने कहा कि दलितों के प्रतीकों को अब राष्ट्रीय स्तर पर गर्व के साथ अपनाया जाए।

WhatsApp Image 2020-02-16 at 9.02.48 PM (1).jpeg

प्रमुख इतिहासकार मनमोहन बावा ने आगंतुकों और आयोजकों को साधुवाद दिया। प्रोफेसर विवेक कुमार ने अपने गहन ज्ञान का परिचय देते हुए समाजशास्त्रीय दृष्टि से दलित चिंतन, पर्यावरण, सांस्कृतिक पूंजी आदि पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में रिदम पत्रिका और डॉ नीलम, डॉ नाम देव, सुदेश कुमार तंवर, सूरज बड़त्या और सुजीत कुमार की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। हेमन्त बौद्ध के "कर्म है बाबा का'' गीत गाकर उद्घाटन सत्र का समापन किया।

इसके अलावा समानांतर सत्रों में 'दलित आदिवासी अल्पसंख्यक स्त्री की समाज' और 'दलित साहित्य: अतीत वर्तमान भविष्य का मुक्तिगान' विषयों पर विमर्श किया गया। इनकी अध्यक्षता क्रमशः विमल थोराट और  प्रो. विवेक कुमार द्वारा की गई। सत्रों में यह बात कही गई कि दलित स्त्रियाँ अपने वर्ग, जाति और लिंग के कारण तिहरे दमन का शिकार होती हैं। वहीँ आदिवासी समाज की महिलाएं जहाँ एक ओर लैंगिक असमानता से कम पीड़ित हैं, वहीँ दूसरी ओर वे सरकार और कॉर्पोरेट समाज द्वारा अपनी जंगल जमीन की लूट की शिकार हैं। सभी वक्ताओं ने इस कार्यक्रम के आयोजन को बेहद ज़रूरी बताते हुए इसके आयोजकों और दर्शकों को धन्यवाद दिया।

WhatsApp Image 2020-02-16 at 6.36.21 PM (1).jpeg

महोत्सव में किरोड़ीमल कॉलेज के प्रांगन में पुस्तक मेले का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों और आगंतुकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कई नामी प्रकाशकों और धानी समूह ने इसमें अपने स्टॉल भी लगाए थे।

महोत्सव के दूसरे दिन 17 फ़रवरी को दलित, स्त्री, एलजीबीटीक्यूआई, और अल्पसंख्यकों आदि के मुद्दों पर विमर्श किया जयगेय। चार समानांतर सत्र, काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा और ‘ठाकुर का कुआँ’ नाटक का मंचन किया जायेगा। इसमें सुप्रसिद्ध दलित साहित्यकारों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर भी शामिल होंगी।

Kirorimal College
KMC
Dalits
Women
दलित महोत्सव
culture
Delhi University

Related Stories

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?


बाकी खबरें

  • Mothers and Fathers March
    पीपल्स डिस्पैच
    तख़्तापलट का विरोध करने वाले सूडानी युवाओं के साथ मज़बूती से खड़ा है "मदर्स एंड फ़ादर्स मार्च"
    28 Feb 2022
    पूरे सूडान से बुज़ुर्ग लोगों ने सैन्य शासन का विरोध करने वाले युवाओं के समर्थन में सड़कों पर जुलूस निकाले। इस बीच प्रतिरोधक समितियां जल्द ही देश में एक संयुक्त राजनीतिक दृष्टिकोण का ऐलान करने वाली हैं।
  • गौरव गुलमोहर
    यूपी चुनाव: क्या भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं सिटिंग विधायक?
    28 Feb 2022
    'यदि भाजपा यूपी में कम अंतर से चुनाव हारती है तो उसमें एक प्रमुख कारण काम न करने वाले सिटिंग विधायकों का टिकट न काटना होगा।'
  • manipur
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मणिपुर में पहले चरण का चुनाव, 5 ज़िलों की 38 सीटों के लिए 67 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदान
    28 Feb 2022
    मणिपुर विधानसभा के लिए आज पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया। मतदान का समय केवल शाम 4 बजे तक ही था। अपराह्न तीन बजे तक औसतन 67.53 फ़ीसदी मतदान हुआ। अंतिम आंकड़ों का इंतज़ार है।
  • jharkhand
    अनिल अंशुमन
    झारखंड : फिर ज़ोर पकड़ने लगी है ‘स्थानीयता नीति’ बनाने की मांग : भाजपा ने किया विरोध
    28 Feb 2022
    हेमंत सोरेन सरकार को राज्य में होने वाली सरकारी नियुक्तियों के लिए घोषित विसंगतिपूर्ण नियोजन नीति को छात्रों-युवाओं के विरोध के बाद वापस लेना पड़ा है। लेकिन मामला यहीं थम नहीं रहा है।
  • Sergey Lavrov
    भाषा
    यूक्रेन की सेना के हथियार डालने के बाद रूस ‘किसी भी क्षण’ बातचीत के लिए तैयार: लावरोव
    28 Feb 2022
    लावरोव ने यह भी कहा कि रूस के सैन्य अभियान का उद्देश्य यूक्रेन का ‘‘विसैन्यीकरण और नाजी विचारधारा से’’ मुक्त कराना है और कोई भी उस पर कब्जा नहीं करने वाला है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License