NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में लगातार गिरावट से यह साफ़ है कि मंदी लंबे समय तक कायम रहेगी!
देश का औद्योगिक उत्पादन इस बार जून में सालाना आधार पर 16.6 प्रतिशत घट गया। वहीं, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़े बताते हैं कि अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में बीते वर्ष इसी अवधि की तुलना में 35.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Aug 2020
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
प्रतीकात्मक तस्वीर

देश का औद्योगिक उत्पादन इस बार जून में सालाना आधार पर 16.6 प्रतिशत घट गया। सरकारी आंकड़े के अनुसार मुख्य रूप से विनिर्माण, खनन और बिजली उत्पादन कम रहने से औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आयी।

मंगलवार को जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआई) आंकड़े के अनुसार जून महीने में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 17.1 प्रतिशत जबकि खनन और बिजली उत्पादन में क्रमश: 19.8 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की गिरावट आयी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़े बताते हैं कि अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में बीते वर्ष इसी अवधि की तुलना में 35.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ, जबकि वर्ष 2019 की अप्रैल-जून तिमाही में इसमें 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। आँकड़े बताते हैं कि इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (67.6 प्रतिशत), पूंजीगत वस्तुओं (64.3 प्रतिशत) और विनिर्माण (40.7 प्रतिशत) में सबसे अधिक संकुचन देखने को मिला।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, ‘कोविड-19 महामारी के बाद के महीनों के आईआईपी को कोरोना वायरस संक्रमण के पूर्व महीनों से तुलना करना उपयुक्त नहीं है।’ हालांकि मासिक आधार पर आईआईपी में सुधार हुआ है।

अप्रैल में सूचकांक 53.6 था जो मई में सुधरकर 89.5 और जून में 107.8 रहा। एहतियाती उपाय और कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये सरकार के ‘लॉकडाउन’ लगाये जाने से बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियां मार्च, 2020 के बाद से ठप रही। बाद में औद्योगिक गतिविधियों में छूट दी गयी, जिससे चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है आईआईपी?

आसान भाषा में कहें तो देश के कल-कारखानों में उत्पादन का क्या हाल है। एक महीने में उत्पादन घटा, बढ़ा या स्थिर रहा। यह जानने का सबसे प्रचलित तरीका आईआईपी है। भारत में प्रत्येक माह इस सूचकांक के आंकड़े जारी किए जाते हैं। दरअसल ये सूचकांक इंडस्‍ट्री के क्षेत्र में हो रही बढ़ोतरी या कमी को बताने का सबसे सरल तरीका है।

सरकार, रिजर्व बैंक व उद्योग जगत आईआईपी के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखकर अपनी नीति-रणनीति तय करते हैं। वहीं, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय जीडीपी के तिमाही अनुमान लगाते वक्त मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडीशन) निकालने को आईआईपी का इस्तेमाल करता है।

सांख्यिकी कार्यालय हर महीने 12 तारीख को आईआईपी के आंकड़े जारी करता है। अगर किसी महीने 12 तारीख को सरकारी अवकाश है, तो आईआईपी के आंकड़े उसके अगले कार्यदिवस पर आते हैं। हालांकि सरकार कई बार अपनी नाक बचाने के लिए आंकड़े जारी करने में देरी भी करती है।

उदाहरण के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने गत अप्रैल महीने के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) से जुड़े आंकड़े जारी नहीं करने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘वित्त मंत्री कहती हैं कि अर्थव्यवस्था सुरक्षित हाथों में है। यह इतनी सुरक्षित हाथों में है कि सरकार ने अप्रैल, 2020 के लिए आईआईपी ही जारी नहीं किया। क्या सरकार आईआईपी के आंकड़े को ऐसे सुरक्षित कमरे में बंद कर देगी जिसे 20 साल बाद ही खोला जाएगा।'

फिलहाल आईआईपी के लिए एक आधार वर्ष तय कर दिया जाता है ताकि एक महीने की दूसरे महीने से तुलना करने में आसानी रहे। वर्तमान में आईआईपी का आधार वर्ष 2011-12 है।

क्यों हुई ऐसी हालत?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिये लागू किये गए देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनज़र मार्च 2020 के अंत से ही औद्योगिक क्षेत्र के कई संस्थान अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसका स्पष्ट प्रभाव औद्योगिक संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले उत्पादन पर पड़ा है। यानी कोरोना संक्रमण इसका तात्कालिक कारण है।

इसे लेकर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अपने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि कोरोना वायरस और उसके बाद के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक संबंधी आँकड़ों की तुलना कोरोना वायरस से पूर्व के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक संबंधी आंकड़ों से करना न्यायसंगत नहीं होगा, क्योंकि वर्तमान परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं। आने वाले समय में जैसे-जैसे स्थितियाँ सामान्य होती जाएंगी, वैसे-वैसे ही औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और अन्य आर्थिक सूचकांकों में सुधार होता रहेगा।

हालांकि यह सिर्फ आधा सच है। अगर हम पिछले एक साल के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़ों को देखे तो उसमें ज्यादातर समय गिरावट ही दर्ज की गई है। पिछले साल में अगस्त महीने में विनिर्माण, बिजली और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से औद्योगिक उत्पादन 1.1 प्रतिशत घट गया। यह औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर पिछले सात साल का सबसे खराब प्रदर्शन था।

उस समय दो साल में यह पहला मौका था जब औद्योगिक उत्पादन नकारात्मक दायरे में आया था। आपको याद दिला दें कि उस दौरान किसी भी तरह का लॉकडाउन भी लागू नहीं था। हालांकि बाद के महीनों में इसमें थोड़ी बेहतरी हुई लेकिन फिर मार्च महीने के बाद से कोरोना वायरस के चलते फिर से गिरावट की राह पर है। यानी सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद औद्योगिक उत्पादन में सुधार नहीं हो रहा है। इसका साफ मतलब है कि अर्थव्यवस्था में जारी मंदी अभी लंबे समय तक जारी रहने वाली है।

फिलहाल कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से आर्थिक गतिविधियों में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन यह कितनी स्थाई है यह कहना अभी मुश्किल है।

समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

industrial production index
economic crises
Economic Recession
COVID-19
modi sarkar
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License