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कोरोना: सिर्फ़ 4 दिन में 1000 से 2000 हुए केस बनाम मोदी का 9 मिनट 'ड्रामा'!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह देशवासियों के साथ एक वीडियो संदेश साझा किया है। हालांकि जहां उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मुश्किलों का सामना कर रहे मजदूरों, किसानों और गरीबों को सहायता देने के लिए नयी वित्तीय कार्य योजना की घोषणा करेंगे तो इसके उलट उन्होंने देशवासियों से 9 मिनट बत्तियां बुझाकर कैंडल, दीपक या मोबाइल फ्लैशलाइट जलाने की अपील की है।
अमित सिंह
03 Apr 2020
Modi

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान शाम 5 बजे ताली, थाली, घंटी आदि बजाने की अपील के तर्ज पर ही 5 अप्रैल को देशवासियों से 9 मिनट मांगे हैं। रविवार रात नौ बजे, नौ मिनट तक घर की बत्तियां बुझाकर कैंडल, दीपक या मोबाइल फ्लैशलाइट जलाने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।

क्या कहा प्रधानमंत्री ने?

अपने वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, 'रविवार 5 अप्रैल को कोरोना के संकट को चुनौती देनी है। उसे प्रकाश की ताकत का परिचय करना है। इस 5 अप्रैल को 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण कराना है। 5 अप्रैल, रविवार को रात नौ बजे मैं आप सबके 9 मिनट चाहता हूं। आप रात नौ बजे घर की सभी लाइटें बंद करके घर के दरवाजे या बालकनी में मोमबत्ती, दिया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं।'

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'चारों तरफ हर व्यक्ति जब एक-एक दिया जलाएगा तो प्रकाश की उस महाशक्ति का एहसास होगा, जिसमें यह उजागर होगा कि हम एक ही मकसद से एकजुट होकर लड़ रहे हैं। उस उजाले में हम संकल्प करें कि हम अकेला नहीं हैं।'

मोदी ने कहा कि समय-समय पर देशवासियों की इस सामूहिक शक्ति की विराटता, इसकी भव्यता और इसकी दिव्यता की अनुभूति करना आवश्यक है। देश जब इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो तो हमें जनता-जनार्दन के विराट स्वरूप, उनकी अपार शक्ति का लगातार साक्षात्कार करते रहना चाहिए।

क्या है देश के हालात?

हालांकि आपको बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के मामले अब तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 2069 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। 53 लोगों की इस घातक वायरस ने जान ले ली है, जबकि 155 लोग या तो ठीक हो चुके हैं या उन्हें छुट्टी दी जा चुकी है। अब तक देश के 29 राज्यों में कोरोना वायरस फैल चुका है। पिछले कुछ दिनों से इसके संक्रमण की रफ्तार बहुत तेज हुई है।

पिछले महीने की शुरुआत यानी 1 मार्च तक देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या महज 3 थी। 14 मार्च तक यह आंकड़ा बढ़कर 100 हुआ। 24 मार्च को इस आंकड़े ने 500 को पार किया और 29 मार्च को हजार का आंकड़ा छुआ था। यानी 1 मार्च को 3 केस के बाद अगले 28 दिनों में यह आंकड़ा 1000 पहुंच गया। उसके बाद इसके संक्रमण में कितनी तेजी आई इसका अंदाजा इसी ले लगाया जा सकता है कि महज 4 दिनों में यह आंकड़ा 1000 से बढ़कर 2000 हो चुका है।

बात किस पर होनी चाहिए थी?

आंकड़े बताने का हमारा सिर्फ इतना मकसद था कि हालात गंभीर है और प्रधानमंत्री को इन मुद्दों पर वीडियो संदेश जारी किए जाने की जरूरत थी लेकिन प्रधानमंत्री हर जरूरी मुद्दों पर पहले की तरह अपनी चिरपरिचित चुप्पी अख्तियार कर रहे हैं।

दरअसल जरूरी यह था कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए व्यापक व प्रभावी टेस्टिंग, संक्रमित व्यक्तियों का इलाज एवं महामारी से लड़ने के लिए क्षमता, बुनियादी ढांचे तथा मानव संसाधनों का विस्तार बात की जाती तो बेहतर होता लेकिन प्रधानमंत्री का यह प्रिय विषय नहीं है।

साथ ही गरीब लोगों, खासकर दैनिक मजदूरों, प्रवासी मजदूरों, संविदा व अस्थायी कर्मियों, छंटनी किए गए मजदूरों, स्वरोजगारियों, किसानों, पट्टे पर खेती करने वाले किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और छोटे एवं मध्यम उद्योगों के लिए राहत की घोषणा की उम्मीद भी प्रधानमंत्री से थी लेकिन वह इस पर भी चुप्पी साध रखे हैं।

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री को सबसे जरूरी यह अपील करनी चाहिए थी कि वायरस संकट पर किसी को भी सांप्रदायिक जहर नहीं फैलाना चाहिए। जिस तरह से सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग दिए जाने और एक खास समुदाय को निशाना बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं प्रधानमंत्री को उसकी निंदा करनी चाहिए थी और देश से अपील करनी चाहिए थी कि इस वायरस के प्रभाव सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों से बचा जाय।

हाल ही में देश भर में काम कर रहे आईएएस अधिकारियों पर किए गए सर्वेक्षण में पता चला है कि मजदूरों का पलायन, लोगों में जागरूकता की कमी, अस्पतालों की तैयारियों और ढांचे का पर्याप्त नहीं होना कुछ गंभीर खामियां हैं जिससे वायरस से निपटने में दिक्कत आ रही है।

यह सर्वेक्षण सेंटर टू कॉम्बैट कोविड-19 ने किया है। कोविड-19 राष्ट्रीय तैयारी सर्वेक्षण 2020 देश भर के 410 जिलों में 25 से 30 मार्च के बीच कराया गया ताकि स्वतंत्रता के बाद देश के समक्ष आ रहे सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट के दौरान प्रशासनिक दिक्कतों का जायजा लिया जा सके। कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन मामलों के मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में यह जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर बात करते तो शायद ज्यादा बेहतर होता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की आर्थिक कार्यबल के गठन की मांग पर भी बात कर सकते थे। दरअसल कांग्रेस ने कहा था कि  सरकार ने बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बारे में कोई विचार नहीं किया। यह स्थिति किसी भी देरी को स्वीकार नहीं कर सकती।'

पार्टी की कार्यसमिति ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि केंद्र सरकार को विश्व के प्रख्यात अर्थशास्त्रियों को लेकर तत्काल एक आर्थिक कार्य बल का गठन करना चाहिए, जो अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने का काम करे। समिति ने कहा, 'गठन के बाद इस कार्यबल को एक हफ्ते की आपात योजना, एक माह की लघुकालिक एवं मध्यमकालिक तथा तीन माह की दीर्घकालिक योजना पर काम करना चाहिए।'

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में अब तक कोई बात नहीं की है।

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