NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोरोना लॉकडाउन : आज़ादी किस चिड़िया का नाम है!
कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) से लड़ने की आड़ में मोदी सरकार ने असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार पर पूरी तैयारी व सोच-विचार के साथ आक्रमण कर दिया है।
अजय सिंह
16 May 2020
कोरोना लॉकडाउन
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : intoday

25 मार्च 2020 से जारी देशव्यापी कोरोना लॉकडाउन का दौर राजनीतिक-वैचारिक असहमति को कुचल देने और लोकतंत्र का गला घोट देने का दौर है।

यह वह दौर है, जब वाम-समेत समूचे राजनीतिक विपक्ष ने केंद्र की हिंदुत्व राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे न सिर्फ़ समर्पण कर दिया है, बल्कि उसने राजनीति को ही तिलांजलि दे दी है। यह वह दौर है, जब नरेंद्र मोदी का कोरोना सैन्यवादी हिंदुत्व विमर्श राष्ट्रीय आख्यान (नेशनल नैरेटिव) बन चला है। इस आख्यान को फ़िलहाल कोई चुनौती मिलती नज़र नहीं आ रही। यह राजनीति के अवसान का दौर है।

इन दिनों संसद बंद है। (अगर वह चल रही होती, तो भी क्या फ़र्क पड़ता!) न्यायपालिका पूरी तरह से मोदी सरकार के साथ खड़ी है। वह सिर्फ़ सरकार की सुनती है, बाकी सबको ख़ारिज कर देती है। जनता के पक्ष में किसी तरह के हस्तक्षेप की संभावना दूर तक नहीं दिखायी देती। नौकरशाही, पुलिस व अर्द्ध सैनिक बलों का इस्तेमाल जनता का उत्पीड़न करने के लिए किया जा रहा है। इन दिनों शासन का सिर्फ़ एक ही मतलब है : पुलिस का डंडा।

यह वह दौर है, जब देश के सर्वहारा वर्ग व अन्य मेहनतकश लोगों और ग़रीब जनता पर मोदी सरकार ने (और भाजपा राज्य सरकारों ने) भीषण हमला बोल दिया है। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है और अमानवीय व गरिमाहीन जीवन स्थितियों की तरफ ठेल दिया गया है। मज़दूरों, मेहनतकशों और ग़रीबों को बेरोज़गार, भिखारी, लाचार व बेसहारा बना दिया गया है। आत्मसम्मान व मानव गरिमा से ज़बरन वंचित कर उन्हें भुखमरी, कंगाली व मौत की खाई में धकेल दिया गया है। वे, जो देश के निर्माता हैं, अपने ही देश में अ-नागरिक और अवांछित बन गये हैं। भयानक बेरोज़गारी व भूख का साया देश पर मंडरा रहा है।

नरेंद्र मोदी सरकार ने दो-चार श्रम क़ानूनों को छोड़ कर बाक़ी सारे श्रम क़ानूनों को या तो ख़त्म कर दिया है या स्थगित कर दिया है। काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिये गये हैं। यह  21-वीं शताब्दी को 19-वीं शताब्दी में ले जाने का दौर है, जब दुनिया के मज़दूरों को कल-कारखानों में 12 घंटे-14 घंटे-16 घंटे काम करना पड़ता था। नरेंद्र मोदी हमेशा पीछे की तरफ़—अतीत की तरफ़—देखते हैं और वहीं से प्रेरणा ग्रहण करते हैं!

कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) से लड़ने की आड़ में मोदी सरकार ने असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार पर पूरी तैयारी व सोच-विचार के साथ आक्रमण कर दिया है। वे लोग, जो भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों, तौर-तरीक़ों व कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हैं, आलोचना करते हैं, सवाल उठाते हैं, बहस करते हैं—वे सब इस सरकार के निशाने पर हैं। उनके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की गंभीर आपराधिक धाराएं लगायी गयी हैं। जैसे, राजद्रोह क़ानून, ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि निरोधक क़ानून (यूएपीए), राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून, आदि। कई लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया है, कई को गिरफ़्तार करने की तैयारी चल रही है।

इनमें छात्र नेता व ऐक्टिविस्ट, विघटनकारी क़ानून नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन चलानेवाली/चलानेवाले नेतृत्वकारी कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, जन आंदोलनों के नेता, डॉक्टर, वकील, पत्रकार, बुद्धिजीवी, प्रोफ़ेसर, कवि-लेखक, भूतपूर्व आईएएस अफ़सर, दिल्ली मुस्लिम-विरोधी हिंसा (फ़रवरी 2020) के दौरान पीड़ित परिवारों की सहायता करनेवाले लोग शामिल हैं। नीचे जो नाम दिये जा रहे हैं, उन पर ग़ौर कीरिये।

असम के लोकप्रिय जन नेता अखिल गोगोई महीनों से जेल में बंद हैं। जन स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉक्टर कफ़ील ख़ान कई महीने से जेल में हैं। सीएए-विरोधी ऐक्टिविस्ट सफ़ूरा ज़रगर, इशरत जहां, गुलफ़िशा फ़ातिमा, मीरान हैदर, शरजील इस्लाम व शिफ़ाउर रहमान जेल में बंद हैं। (गुलफ़िशा को दिल्ली की एक अदालत ने ज़मानत दे दी है।) नागरिक अधिकार ऐक्टिविस्ट उमर खालिद और छात्र ऐक्टिविस्ट कंवलप्रीत कौर को कभी भी गिरफ़्तार किया जा सकता है।

कश्मीर की फ़ोटो पत्रकार मसरत ज़हरा और कश्मीरी पत्रकार-लेखक गौहर गिलानी व पीरज़ादा आशिक़ को जेल भेजने की तैयारी चल रही है। पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन, महेंदर सिंह मनराल और धवल पटेल  पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है। वकील प्रशांत भूषण और भूतपूर्व नौकरशाह कन्नन गोपीनाथन को कभी भी गिरफ़्तार किया जा सकता है। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़फ़रुल इस्लाम पर राजद्रोह क़ानून के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया गया है। लेखक व मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को भीमा-कोरेगांव मामले में पिछले 14 अप्रैल को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। इस मामले में नौ अन्य ऐक्टिविस्ट दो साल से जेल में हैं। इनमें कवि, प्रोफ़ेसर, ट्रेड यूनियन नेता बुद्धिजीवी शामिल हैं।

इन गिरफ़्तारियों/संभावित गिरफ़्तारियों से मोदी सरकार ने अपना राजनीतिक संदेश दे दिया है: असहमति के अधिकार की ऐसी-की-तैसी!

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
FREEDOM
Hindutva
Religion Politics
BJP
RSS
CPI
left parties

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License