NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
पब्लिक की जान तो आनी-जानी है, बस प्रोटोकॉल सलामत रहे!
कटाक्ष: क्या हुआ कि हमारे पास अस्पतालों में बेड नहीं हैं। क्या हुआ कि हमारे पास बेड पर ऑक्सीजन, वेंटीलेटर नहीं है। हमारे पास प्रोटोकॉल है! है किसी और के पास ऐसे वक्त में भी इतना सही-सलामत प्रोटोकॉल?
राजेंद्र शर्मा
24 Apr 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तस्वीर केवल प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए। साभार: नवोदय टाइम्स

मोदी जी को कृतज्ञ राष्ट्र बल्कि कृतज्ञ मानवता की तरफ से बड़ा सा थैंक्यू। इस कोरोना के संकट के बीच सबसे ताकतवर देशों के, सबसे धनी देशों के सत्ताधारी जो नहीं कर पाए हैं, आपने कर दिखाया है। इस चौतरफा अंधेरे के बीच आपने दुनिया को रास्ता दिखाया है। मौत के अंधड़ के बीच भी प्रोटोकॉल बचाकर  दिखाया है। अब पूछ के देखें दुनिया वाले कि हमारे पास क्या है, उनका मुंह बंद नहीं कर दिया तो हम नये इंडिया वाले नहीं।

क्या हुआ कि हमारे पास अस्पतालों में बेड नहीं हैं। क्या हुआ कि हमारे पास बेड पर ऑक्सीजन, वेंटीलेटर नहीं है। मरीजों के लिए रेमडेसिविर नहीं है। भरपूर, मुफ्त टीका नहीं है। लोगों की आमदनी के नुकसान की भरपाई के लिए मदद नहीं है। लोग तड़प-तड़प कर मर रहे हैं और कहीं सुनवाई नहीं है, न मीडिया में, न सरकार में, न अदालत में। हमारे पास यह सब नहीं है तो क्या हुआ-हमारे पास प्रोटोकॉल है! है किसी और के पास ऐसे वक्त में भी इतना सही-सलामत प्रोटोकॉल?

बाकी सब तो आना-जाना है, पर प्रोटोकॉल बड़ी चीज है। ऐसे संकट के बीच जो प्रोटोकॉल बचाएगा, वही आगे चलकर सारी दुनिया को रास्ता दिखाएगा। संक्रमणों के रोजाना के स्कोर से ही नहीं, प्रोटोकॉल बचाकर रखने से भी, विश्व गुरु की हमारी सीट पक्की।

और कोई यह नहीं समझे कि मोदी जी ने प्रोटोकॉल को एंवें ही बचा लिया है। कत्तई नहीं। मोदी जी ने प्रोटोकॉल को बाकायदा लड़कर बचाया है। और वह भी काफी जोखिम उठाते हुए लड़कर। वर्ना केजरीवाल ने तो प्रोटोकॉल शीलभंग कर ही डाला था। उसने तो अंतरंग बैठक का नजारा सारी दुनिया को दिखा ही दिया था। और वह भी खुद अपने ऑक्सीजन, ऑक्सीजन के जाप के साथ। पर मोदी जी ने बीच में ही रोक दिया। उन्होंने इसकी रत्तीभर परवाह नहीं की कि ऑक्सीजन, अस्पताल, मरीजों की मौत की पुकार पब्लिक को सुनाने से रोकेंगे, तो पब्लिक क्या कहेगी? छप्पन इंच की छाती वाले इसकी परवाह नहीं किया करते कि पब्लिक क्या कहेगी। वे तो इसका इंतजाम करते हैं कि पब्लिक को क्या देखना-सोचना है! फिर ऑक्सीजन-वॉक्सीजन की ऐसी आर्त पुकारें सुनकर, सारी दुनिया इंडिया के बारे में क्या सोचती? और खुद नये इंडिया की पब्लिक, अपने फ्यूचर के बारे में क्या सोचती? मोदी जी ने बता दिया कि अंदर की आवाज, बाहर नहीं जा सकती है। अंदर की आवाज अंदर, बाहर की आवाज बाहर। न बाहर की आवाज अंदर आएगी और न अंदर की आवाज बाहर जाएगी। यही प्रोटोकॉल है। इस प्रोटोकॉल को किसी नहीं तोडऩे दिया जाएगा। ऑक्सीजन की पुकारें टूट गयीं, पर प्रोटोकॉल बच गया।

नासमझ हैं जो कहते हैं कि ऐसे प्रोटोकॉल की जरूरत ही किसे है, जो अंदर की आवाज को बाहर आने से रोके। जो बाहर वाले हैं, उन्हीं के नाम पर तो अंदर वाले, अंदर जाकर बैठे हैं। जिन बाहर वालों के नाम पर अंदर का सारा ताम-झाम है, उन्हीं बाहर वालों से पर्दा क्यों? बाहर वालों से ही अंदर वाले छुपाएं तो डेमोक्रेसी का स्वांग क्यों रचाएं? लेकिन, ये सब नासमझी की बातें हैं।

माना कि डेमोक्रेसी खुलापन मांगती है। लेकिन, यह तो खुलेपन की नहीं बेपर्दगी की मांग है। बाहरवालों से पर्दादारी के प्रोटोकॉल के चलते-चलते तो इंडिया डेमोक्रेसी से टू मच डेमोक्रेसी में आ गया था और इन्हें अभी भी और पर्दे उठवाने हैं। बेचारे मोदी जी इतनी मुश्किलों से तो इंडिया को डेमोक्रेसी से आंशिक डेमोक्रेसी तक लाए हैं, इन्हें टू मच से भी फालतू डेमोक्रेसी चाहिए। यह बात मानने वाली नहीं है। वैसे भी डेमोक्रेसी बाहरी चीज है, जबकि पर्दादारी हमारी प्राचीन संस्कृति है। बीच के टैम में जरूर कुछ बेपर्दगी आ गयी थी, लेकिन वह बाहरी गंदगी थी जिसे न्यू इंडिया में साफ किया जा रहा है। साफ बात है--हम बाहरी चीज के लिए, अपनी संस्कृति नहीं छोड़ सकते; खुलेपन के नाम पर, बेपर्दगी बर्दाश्त नहीं कर सकते।

पर्दादारी के प्रोटोकॉल की मोदी जी की रखवाली को डेमोक्रेसी से कतर कर छोटा करने से जोड़ऩे की कोशिश कोई नहीं करे। उल्टे खुद मोदी जी के टू मच डेमोक्रेसी करने से ही पर्दादारी का प्रोटोकॉल खतरे में पड़ा था। वर्ना दिल्ली के लिए तो पहले ही शाह साहब कानून बनवा चुके हैं कि, दिल्ली सरकार बोले तो लाट गवर्नर।

पीएम जी अपनी बैठक में असली दिल्ली सरकार यानी लाट-गवर्नर को ही बुलाते क्या तब भी पर्देदारी के प्रोटोकॉल खतरे में आते? पर मोदी जी ने कहा कि नहीं। लाट गवर्नर को दिल्ली की सरकार का ओहदा दिला दिया तो क्या हुआ, कोविड के संकट पर बैठक में दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ही बुलाएंगे। केजरीवाल ने इलेक्टेड सरकार के लिए मोदी जी के इसी मोह का दुरुपयोग किया और पर्देदारी के प्रोटोकॉल के लिए खतरा पैदा कर दिया। मोदी जी को मैदान में कूद कर उसे बचाना पड़ा। विरोधी कुछ भी कहें, चुनाव वाली डेमोक्रेसी से मोदी जी का प्रेम गहरा है। देश कोरोना से त्राहि-त्राहि करता रहा, पर मोदी जी बंगाल में प्रचार से पीछे नहीं हटे, किसलिए? चुनाव के प्रेम के लिए ही तो! बहुत ज्यादा शोर मच गया तो फिजिकल से डिजिटल हो गए, पर चुनाव के लिए लोगों को संबोधित करते रहे। वह तो चुनाव से दीवानावार प्रेम करते हैं। चुनाव से इतना प्रेम नहीं होता तो खुद दोबारा चुने जाने के बाद, मोदी जी ने कश्मीर-वश्मीर की तरह,चुनाव का टंटा कभी का काट दिया होता। तब प्रोटोकॉल के लिए कोई खतरा भी नहीं रहता। पर चुनाव के होते हुए भी, मोदी जी ने महामारी में प्रोटोकॉल को सलामत रखा है, यह बड़ी बात है। पब्लिक की जान तो आनी-जानी है, प्रोटोकॉल सलामत रहना चाहिए। आखिर, प्रोटोकॉल बड़ी चीज है। तभी तो उसे धक्का भर लग जाने के लिए केजरीवाल माफी मांग रहे हैं, पर ऑक्सीजन की कमी से जिनकी सांसें टूट रही हैं, उनसे माफी मांगने वाला कोई नहीं है। 

 (इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

Coronavirus
Covid-19 India
Narendra modi
Protocols

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच बढ़ रहा ओमिक्रॉन के सब स्ट्रेन BA.4, BA.5 का ख़तरा 

कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब स्ट्रेन BA.4 और BA.5 का एक-एक मामला सामने आया

कोरोना अपडेट: देश में फिर से हो रही कोरोना के मामले बढ़ोतरी 

कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई

कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत

कोरोना अपडेट: दुनियाभर के कई देशों में अब भी क़हर बरपा रहा कोरोना 

कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की संख्या 20 हज़ार के क़रीब पहुंची 

देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी: अयोध्या में चरमराई क़ानून व्यवस्था, कहीं मासूम से बलात्कार तो कहीं युवक की पीट-पीट कर हत्या
    19 Mar 2022
    कुछ दिनों में यूपी की सत्ता पर बीजेपी की योगी सरकार दूसरी बार काबिज़ होगी। ऐसे में बीते कार्यकाल में 'बेहतर कानून व्यवस्था' के नाम पर सबसे ज्यादा नाकामी का आरोप झेल चुकी बीजेपी के लिए इसे लेकर एक बार…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ट्रेड यूनियनों की 28-29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल, पंजाब, यूपी, बिहार-झारखंड में प्रचार-प्रसार 
    19 Mar 2022
    दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी ट्रेड यूनियन जुट गए हैं। देश भर में इन संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठकों का सिलसिला जारी है।
  • रवि कौशल
    पंजाब: शपथ के बाद की वे चुनौतियाँ जिनसे लड़ना नए मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल भी और ज़रूरी भी
    19 Mar 2022
    आप के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने बढ़ते क़र्ज़ से लेकर राजस्व-रिसाव को रोकने, रेत खनन माफ़िया पर लगाम कसने और मादक पदार्थो के ख़तरे से निबटने जैसी कई विकट चुनौतियां हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    अल्ज़ाइमर बीमारी : कॉग्निटिव डिक्लाइन लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी का प्रमुख संकेतक है
    19 Mar 2022
    आम तौर पर अल्ज़ाइमर बीमारी के मरीज़ों की लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी 3-12 सालों तक रहती है।
  • पीपल्स डिस्पैच
    स्लोवेनिया : स्वास्थ्य कर्मचारी वेतन वृद्धि और समान अधिकारों के लिए कर रहे संघर्ष
    19 Mar 2022
    16 फ़रवरी को स्लोवेनिया के क़रीब 50,000 स्वास्थ्य कर्मचारी काम करने की ख़राब स्थिति, कम वेतन, पुराने नियम और समझौते के उल्लंघन के ख़िलाफ़ हड़ताल पर चले गए थे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License