स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटों में यानी कल, 11 मई सुबह 8 बजे से लेकर आज, 12 मई सुबह 8 बजे तक 3,604 नये मामले सामने आये हैं और 87 लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही इस दौरान कोरोना से पीड़ित 1,538 मरीज़ों को ठीक भी किया जा चुका है।
देश भर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों की संख्या 70,756 हो गयी है, जिसमें से अभी तक 31.73 फ़ीसदी यानी 22,455 मरीज़ों को ठीक किया जा चुका है, और कोरोना संक्रमण के कारण 2,293 मरीज़ों की मौत हो चुकी है। देश में अब कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़ कर 46,008 हो गयी है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा आज, 12 मई सुबह 9 बजे जारी आकड़ों के अनुसार अभी तक कुल 17,59,579 सैंपल की जांच की गयी है, जिनमें से 85,891 सैंपल की जांच बीते 24 घंटों में हुई है।

राज्यवार कोरोना के नये मामले
देश भर में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले 8 राज्यों से सामने आये हैं जिनमें महाराष्ट्र से 1,230 मामले, तमिलनाडु से 798 मामले, गुजरात से 347 मामले, दिल्ली से 310 मामले, राजस्थान से 174 मामले, मध्य प्रदेश से 171 मामले, पश्चिम बंगाल से 124 मामले, और उत्तर प्रदेश से 106 नये मामले सामने आये हैं।
साथ ही तेलंगाना से 79 मामले, पंजाब से 54 मामले, बिहार से 51 मामले, आंध्र प्रदेश से 38 मामले, ओडिशा से 37 मामले, हरियाणा से 27 मामले, जम्मू और कश्मीर से 18 मामले, कर्नाटक से 14 मामले, केरल से 7 मामले, चंडीगढ़ से 5 मामले, हिमाचल प्रदेश से 4 मामले, झारखंड और पुडुचेरी से 3-3 मामले और दो-दो मामले त्रिपुरा और असम से आये है |
बीते दिन देश के 10 राज्यों से कोई नया मामला सामने नहीं आया है जिनमें - उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, लद्दाख, निकोबार द्वीप समूह, मेघालय, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, दादरा और नगर हवेली और मिज़ोरम शामिल हैं।
राज्यवार कोरोना से मौत
कोरोना संक्रमण के कारण 24 घंटों में 87 लोगों की मौत हुई है जिसमें महाराष्ट्र में 36 लोगों की मौत हुई, गुजरात में 20 लोगों की मौत हुई, 6-6 लोगों की मौत तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हुई, 5 लोगों की मौत पश्चिम बंगाल में हुई है और एक-एक की मौत हरियाणा और जम्मू कश्मीर में हुई है।
स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट 'कोविड कवच एलिसा' को मान्यता
पुणे स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट 'कोविड कवच एलिसा' को विकसित करते हुए इसे मान्यता दे दी है। एनआईवी की सक्षम वैज्ञानिक टीम ने भारत में इस रोग की पुष्टि वाले रोगियों में से सार्स-सीओवी-2 वायरस को प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक पृथक कर दिया है। इससे सार्स-सीओवी-2 के लिए स्वदेशी निदान का मार्ग प्रशस्त हुआ है। जबकि सार्स-सीओवी-2 के निदान के रियल टाइम आरटी-पीसीआर एक प्रमुख परीक्षण है और जनसंख्या में संक्रमण के अनुपात को समझने के मामले में निगरानी हेतु मजबूत एंटीबॉडी परीक्षण इस दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम हैं।
सार्स-सीओवी-2
वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 में लगभग 200 आनुवंशिक उत्परिवर्तनों की पहचान की है। दुनियाभर में सात हजार पांच सौ से अधिक कोविड-19 रोगियों के वायरस जीन्स का विश्लेषण करके यह उपलब्धि हासिल की गई है। इससे कोविड-19 की दवाई और वैक्सीन की दिशा में काम किया जा सकेगा। शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में वायरस के संक्रमण, आनुवंशिकी, विकास और जीनोम की विविधता के बारे में जानकारी दी गई है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि यह वायरस मनुष्य में कैसे फैल सकता है।
ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधार्थियों ने पता लगाया है कि सबसे अधिक प्रभावित देशों में सार्स-सीओवी-2 की वैश्विक जेनेटिक विविधता के विशाल समानुपात से स्पष्ट हुआ है कि ज्यादातर देशों में यह महामारी शुरू में ही व्यापक रूप से फैल गई।
अध्ययन से पता चला है कि यह वायरस 2019 के आखिर में उत्पन्न हुआ और जल्द ही दुनियाभर में फैल गया। वैज्ञानिकों ने 198 म्यूटेशंस की पहचान की है जो एक से अधिक बार स्वतंत्र रूप से उत्पन्न हुए। इससे यह संकेत मिलता है कि वायरस इस तरह से अनुकूलता हासिल कर रहा है।
सभी वायरस प्राकृतिक रूप से म्यूटेट होते हैं। वायरस में बदलाव कोई बुरी बात नहीं है और इससे यह संकेत नहीं मिलता कि सार्स-सीओवी-2 का परिवर्तन अनुमान से तेज या धीमा हो रहा है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर फ्रेंकोइस बैलोउक्स ने बताया कि यह पुष्टि नहीं की जा सकती कि सार्स-सीओवी-2 ज्यादा घातक और संक्रामक हो रहा है अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि इस समय प्रमुख चुनौती वायरस को पराजित करना है। ऐसी दवाई और वैक्सीन बनाने की आवश्यकता है जिसे वायरस आसानी से प्रभावहीन न कर सके।