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स्वास्थ्य
भारत
भारी दबाव के बावजूद ग्रिड ने अग्नि परीक्षा पास कर ली, लेकिन क्या यह ज़रूरी था?
पावर ग्रिड में 32 गीगा वॉट या उसके लोड के एक चौथाई से अधिक की गिरावट और बढ़ोत्तरी देखी गयी। हमारी जानकारी में किसी भी ग्रिड में होने वाली यह एक अभूतपूर्व घटना थी। क्या इस नाज़ुक मोड़ पर महज़ "फ़ील गुड करने" का यह क़दम ग्रिड के लिए जोखिम भरा नहीं था?
प्रबीर पुरुकायास्थ
07 Apr 2020
Power Grid
प्रतीकात्मक तस्वीर

पावर ग्रिड, या अधिक सही ढंग से कहा जाए, तो ग्रिड का संचालन करने वाले बिजली इंजीनियरों और अफ़सरों ने इस घटना के ज़रिये एक अग्नि परीक्षा पास कर ली है। पावर सिस्टम ऑपरेशंस कॉरपोरेशन (POSOCO) ने जैसी आशंका जतायी थी, 5 अप्रैल, 9 बजे रात को 12-14 गीगा वाट (GW) से नहीं, बल्कि, प्रचंड 32 गीगा वाट GW से ग्रिड लोड में गिरावट आयी। जैसा कि नीचे दिये गये चार्ट (6 अप्रैल की सुबह POSOCO द्वारा जारी) से पता चलता है कि यह गिरावट उस समय सिस्टम पर कुल लोड का 27% थी।

ग्रिड कॉरपोरेशन के इतिहास में ही नहीं, बल्कि भारत या दुनिया में कहीं भी इस बड़ी मात्रा तक की अचानक हुई गिरावट और 9 मिनट के भीतर उसकी वापसी एक अनसुनी सी कहानी है। आम तौर पर, असामान्य ग्रिड घटनायें, दुर्घटनाओं के कारण ही होती हैं। लेकिन, यह पूरी तरह से मानव निर्मित था। प्रधानमंत्री ने 5 अप्रैल को एक कार्यक्रम में 9 बजे 9 मिनट के लिए इसका निर्णय लिया था, जिसकी अहमियत रौशनी के अलावा कुछ भी नहीं थी। या शायद ऐसा करने के पीछे उनकी तड़क-भड़क दिखाने की भावना ही थी, मगर आह्वान के होते ही पावर ग्रिड सहित पूरा देश उनके इस आह्वान पर छलांग लगाकर कूद गया!

आइए, सबसे पहले हम बड़ी तस्वीर पर नज़र डालें। आख़िर ग्रिड ने चंद मिनटों के भीतर इस भारी गिरावट और लोड में इस बढ़ोत्तरी का सामना कैसे किया ? POSOCO ने इस आपात स्थिति से निपटने के लिए क्षेत्रीय और राज्य के डिस्पैच सेंटर की सलाह से एक व्यापक 26-सूत्रीय योजना तैयार की थी। मोटे तौर पर उन्होंने तय किया था कि वे उन थर्मल पावर स्टेशनों के लोड को नीचे ले आयेंगे, जो धीरे-धीरे

प्रतिक्रिया करते हैं, और पनबिजली और गैस-आधारित उत्पादन को बढ़ाते हैं,जो मांग में बदलाव को लेकर बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करते हैं। चूंकि थर्मल प्लांट्स की तुलना में हाइड्रो प्लांट्स और गैस टर्बाइन बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करते हैं। इसलिए जब बिजली जाती है, तो उन्हें जल्दी से अनलोड करने के लिए बेहतर तरीक़े से समायोजित किया जाता है और लोड बढ़ने पर फिर से तेज़ी के साथ ऊपर आ जाता है। नीचे दिये गये हमारे चार्ट से पता चलता है कि हाइड्रो और गैस-आधारित स्टेशनों ने 32 गीगावॉट लोड ड्रॉप में से क़रीब 20 गीगावॉट लिया, बाकी थर्मल द्वारा लिया गया।

graph 1_7.JPG

दूसरा, POSOCO ने भी इस "इवेंट" की शुरुआत से पहले 49.7-50.3 सामान्य ऑपरेटिंग बैंड की निचली सीमा तक ग्रिड फ़्रीक्वेंसी को नीचे आने दिया, उस समय फ़्रीक्वेंसी 49.7 पर थी। ग्रिड की फ़्रीक्वेंसी भी लोड के गिरने के साथ बढ़ गयी, और सामान्य फ़्रीक्वेंसी बैंड की ऊपरी सीमा से थोड़े कम, अधिकतम 50.26 तक पहुंच गयी। सरल शब्दों में कहा जाए, तो इसका मतलब है कि ग्रिड से जुड़े प्रत्येक उपकरण, जिसमें पंखे, रेफ़्रीजरेटर में लगे कंप्रेशर्स, एयर कंडीशनर जैसे हमारे घरों में लगे मोटर्स भी शामिल हैं, ये सभी उपकरण ग्रिड की उस अधिशेष ऊर्जा को खपाने के लिए थोड़ा तेज़ चले। पूरे सिस्टम पर गंभीर रूप से दबाव पड़ा था, लेकिन बिना किसी बड़ी घटना हुए सबकुछ बच गया।

ग्रिड अधिकारियों ने कई दूसरे उपाय भी किये थे, जिनमें से सभी को यह देखना था कि अचानक बिजली के गुल होने और बहुत कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में होने वाली लोडिंग से कैसे निपटा जाए।

graph 2_4.JPG

ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि 5 अप्रैल को प्रधानमंत्री के आह्वान को ज़मीन पर उतारने से ग्रिड को लेकर किसी तरह के असामान्य हालात पैदा नहीं होंगे, और यह सामान्य सीमा और ग्रिड के मानक संचालन प्रोटोकॉल के भीतर अच्छी तरह से संपन्न हो जायेगा।

यह सरासर झूठ था। ग्रिड ने कभी भी इस तरह की किसी भी घटना का आजतक सामना नहीं किया है, जहां कुछ ही मिनटों में ग्रिड के कुल भार का एक-चौथाई से अधिक लोड गोता लगा गया हो और फिर वापस बढ़ गया हो। दुनिया में कहीं भी इस मात्रा की घटना का सामना करने के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया नहीं है। POSOCO अपने 26-सूत्रीय ऐडवाइज़री में इस घटना को "अभूतपूर्व" बताता है, जबकि बिजली मंत्रालय के विरोधाभास वाले बयान में यह ग्रिड के सामान्य परिचालन सीमाओं के भीतर की घटना है।

ग्रिड पर पड़ने वाले इस प्रभाव से निपटने का कारण वह व्यापक तैयारी है, जिसे POSOCO, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राज्य लोड डिस्पैच सेंटर, जनरेटिंग स्टेशनों और सभी कर्मचारियों ने इस प्रधानमंत्री से प्रेरित इस आपातकाल का सामना करने के लिए की थी।

5 अप्रैल की इस अभूतपूर्व घटना का सामना करने के लिए पोस्को की 26-बिंदुओं की सूची में अंतिम बिंदु पर नज़र डालना ज़रूरी है, जिसमें "एक ब्लैक स्टार्ट के लिए तैयारी" और "सेवाओं की बहाली" की बात कही गयी है। ब्लैक स्टार्ट की ज़रूरत तब होती है, जब पावर स्टेशन उपलब्ध होने के बिना पावर स्टेशन शुरू करना होता है। यह तब ज़रूरी होता है, जब ग्रिड के ध्वस्त होने के बाद किसी स्टेशन को शुरू करना होता है, और ग्रिड को बहाल करना होता है।

ज़ाहिर है, मोदी द्वारा 5 अप्रैल के "अभूतपूर्व" कार्यक्रम की शुरुआत के तहत POSOCO को ग्रिड के लिए इस जोखिम के बारे में अच्छी तरह से पता था, और इसके लिए उसने तैयारी भी की थी। सौभाग्य से, ग्रिड अधिकारियों, इंजीनियरों और बिजली कर्मचारियों ने बिजली प्रणालियों का प्रबंधन किया, और हमें इस संकट से उबार लिया। लेकिन, सवाल है कि क्या ग्रिड के लिए दबाव से गुज़रने वाला इस तरह का परीक्षण ज़रूरी था, ख़ासकर तब, जब हम पहले से ही कोविड-19 महामारी और एक लॉकडाउन के भारी दबाव में हैं?

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

The Grid Passes its Trial by Fire After Tense Moments

COVID 19 Pandemic
Lights off on April 5
Power Grid
Grid Failure
POSOCO
PM MODI
National Power Grid
grid collapse
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