NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
न्यायालय ने राजद्रोह संबंधी कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता, केंद्र का जवाब मांगा
उच्चतम न्यायालय ने ‘‘औपनिवेशिक काल’’ के राजद्रोह संबंधी दंडात्मक कानून के ‘‘भारी दुरुपयोग’’ पर बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त की और केंद्र से सवाल किया कि स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के वास्ते महात्मा गांधी जैसे लोगों को ‘‘चुप’’ कराने के लिए ब्रितानी शासनकाल में इस्तेमाल के लिए प्रावधान को समाप्त क्यों नहीं किया जा रहा।
भाषा
15 Jul 2021
न्यायालय ने राजद्रोह संबंधी कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता, केंद्र का जवाब मांगा

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ‘‘औपनिवेशिक काल’’ के राजद्रोह संबंधी दंडात्मक कानून के ‘‘भारी दुरुपयोग’’ पर बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त की और केंद्र से सवाल किया कि स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के वास्ते महात्मा गांधी जैसे लोगों को ‘‘चुप’’ कराने के लिए ब्रितानी शासनकाल में इस्तेमाल के लिए प्रावधान को समाप्त क्यों नहीं किया जा रहा।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक पूर्व मेजर जनरल और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की याचिकाओं पर गौर करने पर सहमति जताते हुए कहा कि उसकी मुख्य चिंता ‘‘कानून का दुरुपयोग’’ है।

पीठ ने मामले में केंद्र को नोटिस जारी किया।

इस गैर-जमानती प्रावधान के तहत ‘‘भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना या असंतोष को उकसाने या उकसाने की कोशिश करने वाला’’ भाषण देना या अभिव्यक्ति एक अपराध है जिसके तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

पीठ ने कहा, ‘‘श्रीमान अटॉर्नी (जनरल), हम कुछ सवाल करना चाहते हैं। यह औपनिवेशिक काल का कानून है और ब्रितानी शासनकाल में स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के लिए इसी कानून का इस्तेमाल किया गया था। ब्रितानियों ने महात्मा गांधी, गोखले और अन्य को चुप कराने के लिए इसका इस्तेमाल किया था। क्या आजादी के 75 साल बाद भी इसे कानून बनाए रखना आवश्यक है?’’

इसने राजद्रोह के प्रावधान के ‘‘भारी दुरुपयोग’’ पर चिंता जताते हुए शीर्ष अदालत द्वारा बहुत पहले ही दरकिनार कर दिए गए सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए के ‘‘चिंताजनक’’ दुरुपयोग का जिक्र किया और कहा, ‘‘इसकी तुलना एक ऐसे बढ़ई से की जा सकती है, जिससे एक लकड़ी काटने को कहा गया हो और उसने पूरा जंगल काट दिया हो।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक गुट के लोग दूसरे समूह के लोगों को फंसाने के लिए इस प्रकार के (दंडात्मक) प्रावधानों का सहारा ले सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि यदि कोई विशेष पार्टी या लोग (विरोध में उठने वाली) आवाज नहीं सुनना चाहते हैं, तो वे इस कानून का इस्तेमाल दूसरों को फंसाने के लिए करेंगे।

पीठ ने पिछले 75 वर्ष से राजद्रोह कानून को कानून की किताब में बरकरार रखने पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा, “हमें नहीं पता कि सरकार निर्णय क्यों नहीं ले रही है, जबकि आपकी सरकार (अन्य) पुराने कानून समाप्त कर रही है।’’

इसने कहा कि वह किसी राज्य या सरकार को दोष नहीं दे रही, लेकिन दुर्भाग्य से क्रियान्वयन एजेंसी इन कानूनों का दुरुपयोग करती है और ‘‘कोई जवाबदेही नहीं है’’।

पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में कहा कि अगर किसी सुदूर गांव में कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को सबक सिखाना चाहता है तो वह ऐसे प्रावधानों का इस्तेमाल करके आसानी से ऐसा कर सकता है। इसने कहा कि इसके अलावा राजद्रोह के मामलों में सजा का प्रतिशत बहुत कम है और ये ऐसे मुद्दे हैं जिनपर निर्णय लेने की आवश्यकता है।

प्रधान न्यायाधीश को जब बताया गया कि न्यायमूर्ति यू यू ललित की अगुवाई वाली एक अन्य पीठ इसी तरह की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसपर आगे की सुनवाई के लिए 27 जुलाई की तारीख तय की गई है, तो उन्होंने कहा कि वह मामलों को सूचीबद्ध करने पर फैसला करेंगे और सुनवाई की तारीख को अधिसूचित करेंगे।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से मामले में पीठ की मदद करने को कहा गया था।

वेणुगोपाल ने प्रावधानों का बचाव करते हुए कहा कि इसे कानून की किताब में बने रहना देना चाहिए और अदालत दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश दे सकती हैं।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि पत्रकारों के निकाय ने भादंसं की धारा 124 ए (राजद्रोह) की वैधता को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका दायर की है और उस याचिका को वर्तमान याचिका के साथ संलग्न किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि गिल्ड ने वैधता को चुनौती देने के अलावा कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का भी आग्रह किया है।

पीठ मेजर-जनरल (अवकाशप्राप्त) एसजी वोम्बटकेरे की एक नई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध है।

पीठ ने वोम्बटकेरे की प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश को दे दिया और यह मामला दायर करने के पीछे के उनके मकसद पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

Supreme Court
sedition CASE
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    खोज ख़बर : मस्जिद दर मस्जिद भगवान की खोज नहीं, नफ़रत है एजेंडा, हैदराबाद फ़र्ज़ी एनकाउंटर के बड़े सवाल
    24 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने एक के बाद एक मस्जिद में भगवान की खोज के नफ़रती एजेंडे को बेनक़ाब करते हुए सरकारों से पूछा कि क्या उपलब्धियों के नाम पर मुसलमानों के ख़िलाफ उठाए गये कदमों को…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?
    24 May 2022
    न्यूज़चक्र में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा बात कर रहे हैं कि सत्ता पक्ष आखिर क्यों देश को उलझा रहा है ज्ञानवापी, क़ुतब मीनार, ताज महल जैसे मुद्दों में। महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात कब होगी…
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी: भारी नाराज़गी के बाद सरकार का कहना है कि राशन कार्ड सरेंडर करने का ‘कोई आदेश नहीं’ दिया गया
    24 May 2022
    विपक्ष का कहना है कि ऐसे समय में सत्यापन के नाम पर राशन कार्ड रद्द किये जा रहे हैं जब महामारी का समय अधिकांश लोगों के लिए काफी मुश्किलों भरे रहे हैं।
  • सोनिया यादव
    देश में लापता होते हज़ारों बच्चे, लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में 5 गुना तक अधिक: रिपोर्ट
    24 May 2022
    ये उन लापता बच्चों की जानकारी है जो रिपोर्ट हो पाई हैं। ज़्यादातर मामलों को तो पुलिस मानती ही नहीं, उनके मामले दर्ज करना और उनकी जाँच करना तो दूर की बात है। कुल मिलाकर देखें तो जिन परिवारों के बच्चे…
  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत
    24 May 2022
    मुकदमा चलाने लायक है या नहीं, इस पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License