NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
न्यायालय ने बकरीद पर केरल सरकार की ‘छूट की अनुमति को अनुचित’ करार दिया
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि अगर इस छूट से संक्रमण का प्रसार होता है तो वह कार्रवाई करेगा।
भाषा
20 Jul 2021
न्यायालय

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 की उच्च संक्रमण दर वाले क्षेत्रों में बकरीद के मौके पर केरल सरकार द्वारा पाबंदी में दी गई छूट को मंगलवार को ‘पूरी तरह से अनुचित’ करार दिया और राज्य सरकार को आगाह किया है कि अगर इस छूट से संक्रमण का प्रसार होता है तो वह कार्रवाई करेगा।

शीर्ष अदालत ने व्यापारियों के दबाव में बकरीद से पहले ढील देने के लिए केरल सरकार को फटकार लगाई और कहा कि यह ‘‘माफी योग्य’’ नहीं है।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद के अवसर पर पाबंदियों में इस तरह की छूट देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम केरल सरकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार पर ध्यान देने का निर्देश देते हैं।’’

पीठ बकरीद के त्योहार के मद्देनजर केरल सरकार द्वारा पाबंदियों में ढील देने के मुद्दे को लेकर दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायालय ने महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की इजाजत देने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले संबंधी मीडिया में आई खबरों पर पिछले सप्ताह स्वत: संज्ञान लिया था। कांवड़ यात्रा पर न्यायालय का कड़ा रुख देते हुये उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया था।

इसी परिप्रेक्ष्य में केरल में बकरीद के अवसर पर छूट देने के राज्य सरकार के निर्णय की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करते हुये एक आवेदन दायर किया गया था।

Supreme Court
kerala government
eid

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • राजु कुमार
    मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी
    09 May 2022
    सिवनी की घटना से मध्यप्रदेश का पूरा आदिवासी क्षेत्र आक्रोशित है। आज कई आदिवासी संगठनों ने संयुक्त रूप से सिवनी बंद का आह्वान किया था, जो पूरी तरह सफल रहा। सिवनी से लगे गांवों के आदिवासी भी इस बंद में…
  • भाषा
    श्रीलंका में कर्फ्यू, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दिया
    09 May 2022
    श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा सोमवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगाये जाने के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कोर्ट कमिश्नर बदलने के मामले में मंगलवार को फ़ैसला
    09 May 2022
    वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने कहा है कि सर्वे की टीम के कमिश्नर को बदलने की मांग वाली याचिका पर फ़ैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा।
  • प्रभात पटनायक
    युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण
    09 May 2022
    दुनियाभर के गेहूं के कुल निर्यात में 30 फीसद हिस्सा रूस और यूक्रेन मिलकर मुहैया कराते हैं। विशेष रूप से अफ्रीका के अनेक देश उनकी खाद्यान्न आपूर्ति पर ही ज्यादातर निर्भर हैं।
  • असद रिज़वी
    यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन
    09 May 2022
    यूपी पुलिस पर नागरिक समाज का आरोप है कि वह अपराधियों से अधिक, पीड़ित और उसके परिवार पर खामोश रहने के लिए दबाव बना रही है। “धमकाना , वसूली, झूठे मुकदमों में फंसा देने की धमकी जैसे अब आम बात हो गई है।”
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License