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कोरोना ने खोली व्यवस्थाओं की कलई , ज़िंदा में इलाज को मोहताज़, मरने पर दफ़्न होने को 2 गज़ ज़मीन नहीं
लगभग सभी राज्यों में व्यवस्था का बुरा हाल —गलत आकंड़े, लाशों से पटे श्मशान, ऑक्सिजन सिलिन्डर की किल्लत, अस्पताल में मरीजों के लिए बिस्तर नहीं।
मुकुंद झा
15 Apr 2021
कोरोना ने खोली व्यवस्थाओं की कलई , ज़िंदा में इलाज को मोहताज़, मरने पर दफ़्न होने को 2 गज़ ज़मीन नहीं
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आ गई है। पहली से अधिक भयावह लग रही है। इस माहमारी की दूसरी लहर ने एक बार देश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खोलकर रख दी है। इसके साथ ही मौतों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। देश के कई राज्यों में तो लाशों को जलाने के लिए भी घंटो-घंटो लाइन लगानी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में श्मशान घाटों पर स्थिति ये है कि लकड़ी तक की कमी पड़ने लगी है। जबकि गुजरात से अधिक लाशों के जलने की वजह से में शवदाह गृह की चिमनी पिघलने की खबरें आई। इसी तरह छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक अस्पताल का वीडियो आया जहाँ मुर्दाघर लाशों से पटा हुआ है। जबकि माहमारी के साल बाद भी हम अपनी स्वाथ्य व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर पाएं। आज देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में भी मरीज़ इलाज़ न मिलने से मर रहे हैं, तो बाकि देश का हाल तो छोड़ ही देते हैं। कई राज्यों में ऑक्सीजन की भारी कमी हो रही है। अब धीरे-धीरे सरकारों ने फिर से लॉकडाउन की तरफ जाने का मन बना लिया है। हालाँकि सरकारों की तरफ से इसे लॉकडाउन नहीं बल्कि कोरोना कर्फ्यू कहा जा रहा है।

लेकिन, इन सब को देखने सुनने और पढ़ने के बाद एकबार फिर मन में सवाल आता है हमने पिछले एक साल में क्या तैयारियां की? क्या हुआ 20 लाख करोड़ पैकेज का? कहाँ है सरकारी तंत्र ? सवालों का जबाव मिल पाना अभी मुश्किल है।

अभी देश में रोजाना डेढ़ लाख से अधिक कोरोना के मामले आ रहे हैं और करीब हज़ार लोगों की मौत हो रही है। गुजरता, महारष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड या फिर मध्य प्रदेश पूरे देश में हाहकार मचा हुए है। लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं। सड़को पर लोग मर रहे हैं, लेकिन आज भी देश की सत्ता खामोश है और उनका चुनावी अभियान में डंका पीटना जारी है।

गुजरात हाईकोर्ट  ने की खिंचाई, कहा- कोविड-19 पर राज्य सरकार के दावे ‘असलियत से विपरीत’

अब बात करते हैं गुजरात की जिस मॉडल को बेचकर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री देश की सत्ता पर काबिज हुए। क्या है वहां की हक़ीकत? गुजरात में एक दिन में संक्रमण के सर्वाधिक 7,410 नए मामले पिछले 24 घंटो में ही आए हैं जबकि सरकारी आकडों के मुताबिक 73 लोगों की मौत हुई है। हालाँकि इन आकडों को लेकर भी कई सवाल है। हाल ही में, सूरत में बिजली शवदाह गृह की चिमनी ही पिघल गई क्योंकि वहाँ इतने शव जले हैं। सरकार मरने वालों का सही आँकड़ा नहीं दे रही है, तो संदेश अख़बार खुद ही पता लगा रहा है। संदेश के रिपोर्टर गिनती गिन रहे हैं कि सिविल अस्पताल से कितने शवों को लेकर वाहन निकले हैं। संवाददाता श्मशान घाट जाकर लाशें गिन रहे हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि लोग भगवान भरोसे हैं।

गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य में कोविड-19 की स्थिति और लोगों को हो रही परेशानियों को लेकर सोमवार को राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि असलियत सरकारी दावों के विपरीत है।

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव कारिया की खंड पीठ ने राज्य में कोरोनावायरस की स्थिति पर एक जनहित याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा, “लोग अब सोच रहे हैं कि वे भगवान की दया पर हैं।”

महाअधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने उच्च न्यायालय को उन कदमों के बारे में जानकारी दी जो राज्य सरकार ने कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए उठाए हैं। इसके बाद, अदालत ने कहा कि असलियत सरकारी दावों के उलट है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा, “आप जो दावा कर रहे हैं, स्थिति उससे काफी अलग है। आप कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है, लेकिन वास्तविकता उसके विपरीत है।”

पीठ ने कहा कि लोगों में ‘विश्वास की कमी‘ है। अदालत ने कोविड-19 मरीजों के लिए रेमडिसिवर इंजेक्शन की कमी पर कहा, “रेमडिसिविर (प्रमुख एंटी वायरल दवाई) की किल्लत नहीं है। आपके पास सब कुछ उपलब्ध है। हम नतीजे चाहते हैं, कारण नहीं।”

अदालत ने कहा कि एक शख्स को आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट लेने में करीब पांच दिन लग रहे हैं।

पीठ ने कहा, “जब आप के पास समय था तब आपने जांच केंद्रों को नहीं बढ़ाया।”

उत्तर प्रदेश का भी हाल बुरा है , श्मशानों में लकड़ी तक नहीं मिल रही

उत्तर प्रदेश जहाँ के मुखिया दूसरे राज्यों के चुनाव में रामराज्य आने का दाव करते है। वहां आज जनहित स्वस्थ्य सेवा खुद मृत्युलोक में दिख रही है। कई स्थानीय पत्रकारों ने राज्य की राजधानी लख़नऊ के बारे में बतया और कहा यहां जिन्दा को इलाज नहीं मिला रहा है और मुर्दा श्मशान भी नशीब नहीं हो पा रहा है। हम सभी को याद है जब पिछले 2017 के विधानसभा में चुनाव ही श्मसान और कब्रिस्तान पर हुआ था लेकिन आज श्मसान का हाल देख लगता है उन्होंने अपन ये वाद भी पूरा नहीं किया।

उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण से 68 और लोगों की मौत हो गई तथा 20510 नए मरीजों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई। नए रोगियों का यह एक दिन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

दिल्ली में स्वाथ्य व्यवस्था तोड़ रही है दम

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने खुद बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामले हर दिन बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं और महामारी के प्रसार में कोई कमी नहीं आई है।

मंत्री ने हालांकि, फिर से कहा कि लॉकडाउन स्थिति का हल नहीं है और बीमारी से निपटने के लिए लोगों को जरूरत पड़ने पर ही बाहर निकलने, सभाओं से बचने, मास्क पहनने और कोविड-19-उचित व्यवहार का पालन करने की सलाह दी।

लेकिन दिल्ली सरकार जो दावा करती है कि उसने स्वाथ्य के क्षेत्र में शानदार काम किया है लेकिन अगर हम देखे तो दिल्ली में लोग आज भी उचित इलाज और देखभाल के लिए दर दर की ठोकरे खा रहे है।

राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि के बीच वेंटिलेटर सहित कोविड-19 आईसीयू बिस्तर की सुविधा वाले 94 में से 69 अस्पतालों में इस प्रकार के सारे बिस्तर भर गए हैं और केवल 79 बिस्तर खाली हैं।

एक आधिकारिक ऐप में दिए गए आंकड़ों में बुधवार को यह जानकारी सामने आई।

दिल्ली कोरोना ऐप के अनुसार, दोपहर दो बजे तक, 110 अस्पतालों में से 75 में बिना वेंटिलेटर वाले सभी कोविड-19 आईसीयू बिस्तर भरे थे।

वेंटिलेटर वाले 1,177 कोविड-19 आईसीयू बिस्तरों में से केवल 79 खाली थे जबकि बिना वेंटिलेटर के 2,130 कोविड आईसीयू बिस्तरों में से 348 खाली थे।

इसके अलावा कुल 13,680 बिस्तरों में से 9,041 भरे थे। महामारी की चौथी लहर का सामना कर रही राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को संक्रमण के 13,468 नए मामले सामने आए और 81 मरीजों की मौत हो गई।

दिल्ली कोरोना ऐप के अनुसार, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, बीएसए अस्पताल और मैक्स पटपड़गंज समेत 69 अस्पताल ऐसे हैं जहां वेंटिलेटर वाले कोविड आईसीयू बिस्तर खाली नहीं हैं।

ऐप के अनुसार, अपोलो अस्पताल और शालीमार बाग का फोर्टिस अस्पताल में बिस्तर पूरी तरह भरे हैं।

दिल्ली में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 17282 नए मामले सामने आए जबकि 104 लोगों ने जान गंवाई। इस दौरान सबसे चिंता की बात यह है कि दिल्ली में संक्रमण दर 16 % हो गया, जो अबतक का सबसे अधिक है और इस दौरान रिकवरी रेट में भी गिरावट आई और वो गिरकर करीब 91 % हो गया।

मध्यप्रदेश भी भयानक संक्रमण की चपेट में

मध्यप्रदेश सरकार भी कोरोना महामारी को काबू करने में या उसके प्रभावितों की देखभाल करने में विफल रही है। प्रदेश में कई जगहों से ऑक्ससीजन की किल्ल्त की खबरे आ रही हैं। जबकि कई अस्पताल मरीजों को भर्ती तक नहीं कर रहे हैं। इस बीच सरकार ने लोगों पर पाबंदी लगाने का निर्णय किया है। मध्यप्रदेश सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये प्रदेश में चल रहा प्रतिबंध लॉकडाउन नहीं बल्कि कोरोना कर्फ्यू हैं।

मध्यप्रदेश के गृह विभाग ने इस बारे में मंगलवार को एक आदेश जारी किया है।

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) राजेश राजोरा ने इस आदेश में कहा कि कोरोना कर्फ्यू का मतलब कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लगाया गया प्रतिबंध है। कोरोना कर्फ्यू, लॉकडाउन नहीं है।

आदेश में कहा गया है कि कोरोना कर्फ्यू को जिलाधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, रहवासी कल्याण समितियों और आम लोगों से उचित परामर्श के बाद लगाया जाना चाहिये।

राजोरा ने कहा कि कोरोना कर्फ्यू को जिला आपदा प्रबंधन समिति के निर्णय के बाद प्रदेश सरकार की अनुमति से लागू किया जा सकता है।

कोरोना कर्फ्यू की अवधि में उद्योग, चिकित्सा संस्थान, निर्माण गतिविधियां, दवा दुकानें, किराना सहित अन्य सेवाएं चालू रहेंगी।

इस बीच, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में कोरोना वायरस की स्थिति की समीक्षा के लिये एक बैठक की और लोगों से महामारी से फैलने से रोकने के लिये स्वयं कोरोना कर्फ्यू का पालन करने का आग्रह किया।

प्रदेश में अब तक एक दिन में सबसे अधिक नए मामले सामने आये हैं। मध्य प्रदेश में पिछले 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण से 51 और लोगों की मौत हो गई तथा 9,720 नए मरीजों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई। नए रोगियों एवं इससे मरने वालों का यह एक दिन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बुधवार को यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘आज प्रदेश में 51 लोगों की मौत हुई हैं। इसी के साथ इस वायरस से राज्य में अब तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 4312 हो गई है।’’ उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में 9,720 नए मरीजों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है और इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 3,63,352 तक पहुंच गयी।

प्रदेश में किसी एक दिन का यह कोविड-19 के नए मरीजों एवं इससे मरने वालों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले 13 अप्रैल को 8,998 नए मामले सामने आए थे और 13 अप्रैल को ही 40 व्यक्तियों की मौत इस महामारी से हुई थी।

चौधरी ने बताया, ‘‘हमने कोरोना मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था पूरी तरह से बना कर रखी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रदेश में 13 अप्रैल को 280 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्राप्त हुई थी, जबकि इसकी खपत 13 अप्रैल को 262 मीट्रिक टन हुई थी।’’

आंध्र प्रदेश में कोविड-19 के 4,157 नए मामले, सबसे अधिक 18 मौतें

आंध्र प्रदेश में बुधवार को कोविड-19 के 18 मरीजों की मौत हो गयी जो 27 अक्टूबर के बाद एक दिन में इस महामारी से सर्वाधिक मौतें हैं। राज्य में 4,157 नए मामले सामने आए।

एक स्वास्थ्य बुलेटिन में बताया गया कि पिछले 24 घंटे में बुधवार सुबह नौ बजे तक 1,606 मरीज ठीक हो गये, जबकि उपचाररत मरीजों की संख्या छह महीने में सर्वाधिक 28,383 हो गई।

हरियाणा में भी एक दिन में कोविड-19 के सबसे ज्यादा 5,398 नए मामले

हरियाणा में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 5,398 नए मामले सामने आए हैं जो एक दिन में आए कोविड-19 के सबसे ज्यादा मामले हैं। वहीं राज्य में और 18 लोगों की मौत हुई है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को जारी बुलेटिन के अनुसार, राज्य में अभी तक कुल 3,29,942 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जबकि संक्रमण से 3,316 लोगों की मौत हुई है। राज्य में मंगलवार को 3,845 नए मामले आए थे।

महाराष्ट्र में 14 अप्रैल से 15 दिन का कर्फ्यू कोविड-19 के 58,952 नये मामले; 278 लोगों की मौत

महाराष्ट्र में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 58,952 नये मामले सामने आये, जबकि 278 और संक्रमितों की मौत हो जाने से कुल मृतक संख्या बढ़ कर 58,804 पहुंच गई। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी। हालाँकि मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 60,212 नये मामले सामने आए और 281 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, राज्य सरकार ने हालात को बेकाबू होता देख 14 अप्रैल रात आठ बजे से 15 दिनों का राज्यव्यापी कर्फ्यू लगा दिया।

संक्रमण के मामले चिंताजनक तरीके से बढ़ने के मद्देनजर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत महाविकास आघाडी सरकार ने 14 अप्रैल से 15 दिनों का राज्यव्यापी कर्फ्यू लगाने की मंगलवार को घोषणा की।

ठाकरे ने राज्य के लोगों को मंगलवार को सोशल मीडिया के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि बुधवार की रात आठ बजे से कर्फ्यू शुरू होगा और आवश्यक सेवाओं को इससे छूट दी गई है।

ठाकरे ने कहा कि ‘‘लॉकडाउन की तरह’’ पाबंदियां लागू रहने तक आपराधिक दंड प्रक्रिया की धारा 144 (निषेधाज्ञा) लागू रहेगी।

हालांकि, उन्होंने नई पाबंदियों को लॉकडाउन नहीं कहा।

ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के वजह से जारी निषेधाज्ञा के कारण राज्य सरकार अगले एक महीने तक हर गरीब एवं जरूरतमंद व्यक्ति को तीन किलोग्राम गेहूं और दो किलोग्राम चावल नि:शुल्क मुहैया कराएगी।

स्वास्थ्य विभाग ने एक विज्ञप्ति में कहा कि महाराष्ट्र में अभी कोविड-19 के 5,93,042 मरीजों का इलाज चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की आपूर्ति और बिस्तरों की कमी है और रेमडेसिविर की मांग बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र को वायुसेना के विमानों का इस्तेमाल कर राज्य में कोरोना वायरस के रोगियों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में मदद करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध एक बार फिर शुरू हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी होने से महाराष्ट्र के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव काफी बढ़ गया है।

ओडिशा में टीके की कमी के कारण 11 जिलों में रोका गया टीकाकरण अभियान

ओडिशा के 30 में से 11 जिलों में कोविड-19 रोधी टीके की कमी के कारण मंगलवार को इन जिलों में टीकाकरण अभियान रोक दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

परिवार कल्याण विभाग के निदेशक और टीकाकरण अभियान के प्रभारी डॉ विजय पाणिग्रही ने कहा, “टीके की कमी के कारण 11 जिलों में टीकाकरण अभियान रोक दिया गया है।”

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि राज्य भर में 1,400 टीकाकरण स्थलों में से 495 स्थलों पर टीका दिया गया। उन्होंने कहा, “मंगलवार को 495 केंद्रों पर कुल 66,787 लाभार्थियों को टीका दिया गया।”

इसी तरह की खबरे बिहार के भी कई जिलों से आई कि टीकों की कमी के कारण टीकाकरण रोक दिया गया है। 

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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