NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
COVID-19: जनता ने कहा कि अब सरकार को कर के दिखाना होगा
22 मार्च को सेवा प्रदाताओं के लिए सामूहिक तौर पर उत्साह बढ़ाना और दिन भर घर में रहने की योजना से यह साफ़ हो।रहा है कि सरकार के प्रभावी हस्तक्षेप के लिए लोगों का अनुरोध स्पष्ट है।
सुबोध वर्मा
24 Mar 2020
modi

पूरे भारत से आई रिपोर्टों में कहा गया है कि रविवार 22 मार्च को 14 घंटे के लिए घरों में रहने की प्रधानमंत्री की अपील सफल रही। यह दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित तीन लाख से ज़्यादा लोगों और बढ़ती मौतों की संख्या को लेकर देशभर में बढ़ रही चिंता को दर्शाता है। रविवार शाम तक भारत में संक्रमण के 376 मामले सामने आए और इससे 7 लोगों की मौत हो गई।

प्रधानमंत्री की दूसरी अपील स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों, वस्तुओं की डिलीवरी करने वालों और अन्य लोगों की सराहना व्यक्त करने के लिए थी जो आज के खतरनाक परिस्थितियों में भी अपना काम कर रहे हैं। इसको लेकर कम से कम शहरी क्षेत्रों में एक शानदार सफलता मिली है जहां अधिकांश मीडिया की नज़र बनी हुई थी।

जनता कर्फ्यू और शाम 5 बजे तालियां और थालियां बजाने के दोनों मामलों ने यह दिखाया कि भारतीय बड़े पैमाने पर इस महामारी से परेशान और भयभीत हैं। वे इस अभूतपूर्व संकट के माध्यम से मार्गदर्शन करने और उनकी मदद करने के लिए मजबूत और निर्णायक नेतृत्व की कमी महसूस कर रहे हैं। इसे शायद ही किसी जिंदा दिल वाले व्यक्ति ने अनुभव किया हो। लोगों को एहसास है कि इन बीमारियों से बचने के लिए घिसा पिटा स्टीरियोटाइप और सामान्य ज्ञान बहुत ज्यादा मदद करने वाले नहीं हैं। ये वायरस बहुत संक्रामक है जो निर्जीव सतहों पर अधिक समय तक जीवित रहता है। यह 14 दिनों तक मनुष्यों में विकसित कर सकता है और उन लक्षणों का कारण बनता है जो आसानी से किसी अन्य वायरल बीमारी, इन्फ्लूएंजा या फ्लू से भ्रमित होते हैं। इस मामले को छोड़कर मृत्यु दर (पुष्टि किए गए मामलों के बीच मौतों की संख्या) बहुत अधिक होती है। और संकट तो बहुत अधिक है। इसलिए चिंता काफी ज्यादा है।

समान रूप से एक परेशानी है जो वास्तव में काफी भयानक है। ये खतरा भारतीयों पर मंडरा रहा है। यह आय के साथ नौकरियों का भी नुकसान है। इस आर्थिक दबाव का इस वायरस से पीड़ित सभी देश सामना कर रहे हैं। लेकिन भारत में निम्न मजदूरी पाने वाले जिनका व्यावहारिक रूप से कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है और पहले से ही उच्च स्तर पर बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं ऐसे में इस ख़तरे का अचानक विस्फोट हो गया है।

इसलिए जनता कर्फ्यू की व्यापक स्वीकृति और सेवा देने वालों के लिए तालियां और थालियां बजाना गहरी चिंता को दिखाना और सामूहिक एकजुटता की मांग दोनों ही है। लेकिन एक और बात है जिसने आज की घटना की सफलता को चिन्हित किया है: Covid-19 के खतरे का मुकाबला करने के लिए प्रभावी उपायों को लेकर पहले से विचार करना और इसके सभी परिणाम जिसमें आर्थिक आपदा पहले से ही शामिल है।

घर में रहने और ताली बजाने का काम इस प्रकार का था कि भारत के लोग सरकार से कह रहे थे कि, हां, हम आपकी बात सुनेंगे, लेकिन आप भी कुछ जल्दी करिए।

लॉकडाउन - क्या ये मदद करेगा?

केंद्र सरकार और अधिकांश राज्य सरकारें भिन्न भिन्न स्तरों पर गतिविधियों को रोकने की घोषणा कर रही हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने 75 ज़िलों में लॉकडाउन की घोषणा की जिसमें राजधानी के नौ ज़िले और सात बड़े शहर शामिल हैं। भारतीय रेलवे के यात्री ट्रेनों को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। लगभग आठ राज्यों ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी है।

विश्व स्तर पर रविवार को लगभग 1 बिलियन लोग अपनी अपनी सरकारों के आदेशों के बाद लॉकडाउन की स्थिति में थे। लगभग 35 देश पूरी तरह लॉकडाउन थे।

लेकिन, विशेषज्ञों द्वारा बेहद गंभीर और समय पर चेतावनी दी गई थी। बीबीसी के एंड्रयू मर्र शो में बोलते हुए डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी निदेशक और अपने आपातकालीन विशेषज्ञों में से एक माइक रयान ने कहा कि केवल लॉकडाउन मदद नहीं पहुंचाएगा। जो चीज आवश्यक है वह त्वरित स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना है।

माइक रेयान ने कहा, "हमें वास्तव में जिस पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है वह हैं बीमार लोग जो इस वायरस से ग्रसित हैं और उन्हें आइसोलेट करना है साथ ही उनके संपर्क में लोगों को ढूंढना और उन्हें आइसोलेट करना है।"

भारत सरकार किसी भी तरह Covid 19 को दबाने के लिए इन लॉकडाउन पर सट्टेबाजी । ऐसा लगता है कि सरकार यह की नीति है जो सोशल डिस्टेंसिंग के जरीए लोगों को अलग कर रही है और स्वैच्छिक अनुपालन या सरकार द्वारा लागू किया गया है जो वायरस के संचरण की श्रृंखला को तोड़ देगा।

इस तरह इन लॉकडाउन को ज्यादातर मामलों में 31मार्च तक की सीमित अवधि के लिए घोषित किया जा रहा है। यानी एक सप्ताह तक घरों में रहना है। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि Covid 19 वायरस 14 दिनों तक विकसित होते रहते है। यह उम्मीद करना कि ये वायरस सात दिनों में भारत से गायब हो जाएगा जो मूर्खता है।

जांच? हेल्थ केयर सुविधा?

बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग को लेकर बहुत कुछ नहीं किया गया है, वहीं तेजी से और व्यापक जांच प्रक्रियाओं में कमी है और चरमराई और जर्जर स्वास्थ्य प्रणाली तो सहारा देने के लिए कुछ भी नहीं है।

हालांकि आईसीएमआर का दावा है कि उसके पास हर हफ्ते 60,000 मामलों की जांच करने की क्षमता है जबकि वर्तमान में यह केवल 15, 000 मामलों की जांच कर रहा है। ऐसा क्यों? क्योंकि सरकारी नीति केवल अस्पतालों में वायरस के लक्षणों वाले लोगों या विदेश से आने वाले लोगों की ही जांच करना था। ये दोनों ही खतरनाक प्रक्रिया है जो कनिका कपूर मामले ने साबित कर दिया है जिसमें ये बॉलीवुड गायक हवाई अड्डे गुजरने में कामयाब रहीं और फिर पार्टी में शामिल हुईं। अब वह केजीएमयू लखनऊ में आइसोलेशन वार्ड में हैं और अब ये शहर बंद है।

जब ये बीमारी विस्फोटक होगी तो स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित होंगी, जैसा कि इटली में हुआ है। उन्होंने चीन और दक्षिण कोरिया के उदाहरणों के बावजूद जल्द कार्रवाई करने में देरी की। आज वहां से 8.6% की मृत्यु दर की रिपोर्ट सामने आ रही है जो कि अपेक्षित दर का लगभग तिगुना है। इटली में मौत के नए मामलों के साथ संख्या पांच हजार के पार जा चुकी है जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है। ये मौतें Covid 19 के इलाज के लिए सुविधाओं की कमी के कारण हुई हैं। अगर सरकार तेजी से पहले तेजी से कदम उठाती तो सैकड़ों लोगों की जान बच जाती।

भारतियों को सरकार से आश्वासन का इंतज़ार है कि इटली जैसा यहां कभी नहीं होने दिया जाएगा। यही कारण है कि आज एक दूसरे से मिलना चिंता का विषय बना हुआ है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

COVID-19: The People Have Spoken, Now Modi Govt Has To Deliver

Coronavirus
COVID 19
Janata Curfew
BJP
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License