NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
अंतरराष्ट्रीय
कोविड-19 महामारी को रोकने में विफल हो रहा है कोवैक्स, कैसे किया जाए ठीक
कोवैक्स उन तीन स्तंभों में से एक है, जिन्हें बीमारी के खिलाफ संघर्ष में मुख्य हथियार बताया गया था। अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूरोपीय आयोग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संयुक्त मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में इसे पेश किया गया था।
भाषा
10 Jun 2021
कोविड-19 महामारी को रोकने में विफल हो रहा है कोवैक्स, कैसे किया जाए ठीक
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

बाल्टीमोर (अमेरिका), नौ जून (द कन्वरसेशन) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में कोविड-19 महामारी को समाप्त करने के लिए वैक्सीन के वितरण की दिशा में किए जा रहे वैश्विक प्रयासों को और तेज करने का आह्वान किया।

यह एक स्वागत योग्य कदम था क्योंकि विश्व के नेताओं के पिछले आधिकारिक बयानों में वैक्सीन को जरूरतमंद लोगों, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, तक पहुंचने के लिए कोई खास नीतियां पेश नहीं की गई थी।

आईएमएफ का यह मानना भी सही था कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ सबको वैक्सीन लगाने पर जो खर्च आएगा, वह वैश्विक अर्थव्यवस्था को मिलने वाले इसके समग्र फायदों से कहीं कम है।

लेकिन वह इस बात को स्वीकार करके और आगे बढ़ सकता था कि इस समय वैक्सीन आवंटन के जो आधे अधूरे नियम हैं उनके स्थान पर नए सहकारी संस्थागत ढांचे और 20 देशों के समूह (जी20) द्वारा सुझाए ठोस उपायों को लागू किया जाना चाहिए।

आईएमएफ समस्या को बहुत संकीर्ण रूप से देख रहा है। यह पूरी तरह से कोवैक्स सुविधा के माध्यम से किए जाने वाले वैक्सीन दान और वितरण का पुरजोर समर्थन करता है।

कोवैक्स उन तीन स्तंभों में से एक है, जिन्हें बीमारी के खिलाफ संघर्ष में मुख्य हथियार बताया गया था। अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूरोपीय आयोग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संयुक्त मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में इसे पेश किया गया था।

कोवैक्स को टीकों तक समान पहुंच की सुविधा के लिए बनाया गया था। पहले दो स्तंभ निदान और उपचार के लिए समान पहुंच पर केंद्रित थे, लेकिन समस्या से निपटने के लिए इसका स्वरूप पुराना हो गया है।

पिछले साल इसके निर्माण के बाद से, टीके अधिक उपलब्ध हो गए हैं लेकिन वितरण और अन्य समस्याएं अधिक स्पष्ट हो गई हैं।

कोवैक्स ने अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए एक अच्छा आधारभूत ढांचा प्रदान किया। यह प्राथमिकता लक्ष्य निर्धारित करने के लिए भी उपयोगी था। मुख्य बात यह थी कि प्रत्येक देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी को जल्द से जल्द टीका लगाया जाए।

लेकिन इस में दो बड़ी खामियां हैं।

सबसे पहले, यह मुख्य रूप से जनसंख्या के आकार के अनुपात में टीकों का आवंटन करता है, जो कि सबसे अच्छा सार्वजनिक स्वास्थ्य पैमाना नहीं है।

दूसरा, यह बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने के लिए देशों की क्षमताओं पर विचार नहीं करता है।

दोष

जनसंख्या के आकार के आधार पर टीका वितरण लक्ष्य निर्धारित करना कई कारणों से त्रुटिपूर्ण है।

पहले तो यह समस्या की जटिलता की उपेक्षा करता है। विभिन्न देश महामारी के बहुत अलग चरणों में हैं। कुछ को भयानक नुकसान हो रहा है और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। दूसरों के पास पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की कमी है, और इन उपायों का सामाजिक पालन भी अपर्याप्त है।

दूसरी बात यह कि कुछ अन्य देशों को बहुत गंभीर परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

कई अफ्रीकी देशों में टीकों की कमी के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। लेकिन इस समस्या की विकरालता की बात करें तो अफ्रीकी देश वर्तमान में भारत, नेपाल, ब्राजील और कई अन्य लातिन अमेरिकी देशों में देखे जाने वाले अत्यंत आक्रामक प्रकोपों का सामना नहीं कर रहे हैं।

ये मामले जनसंख्या के आधार पर टीकों के वितरण की कमियों को उजागर करते हैं।

आवंटन के लिए मानदंड

वैक्सीन आवंटन, चाहे वह कोवैक्स के माध्यम से किया गया हो या सीधे तौर पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य पैमाने पर आधारित होना चाहिए। इसमें शामिल है: मामलों की दर, बीमारी के आक्रमण की दर और स्वास्थ्य प्रणाली क्षमता।

वैक्सीन आवंटन में उस क्षमता को भी ध्यान में रखना होगा जो देशों को आंतरिक रूप से उन्हें वितरित करने की है। हाल ही में, मलावी ने ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका टीके की 20,000 खुराकें प्राप्त करने के 18 दिन बाद ही जला दीं, क्योंकि उनके एक्सपायर होने का डर था।

दक्षिण सूडान ने घोषणा की है कि सरकार ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 72,000 खुराक उनके एक्सपायर होने के जोखिम के कारण कोवैक्स को वापस भेज देगी।

हालांकि ये घटनाएं ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से जुड़ी रक्त के थक्के की विरली घटनाओं के बाद बढ़ी हुई टीका हिचकिचाहट से जुड़ी हैं, यह भी मामला है कि अफ्रीका के कई देशों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में प्रभावी टीकाकरण अभियान चलाने के लिए संसाधनों की कमी है।

इन अभियानों के लिए आवश्यक धन के बिना, वैक्सीन का दान न केवल अपर्याप्त प्रयास है, बल्कि जीवन रक्षक टीके की खुराक की बर्बादी भी है, जैसा कि मलावी और दक्षिण सूडान के मामले बताते हैं।

वर्तमान महामारी से लड़ने और भविष्य के लिए तैयार करने के लिए आने वाले महीनों में एक ठोस योजना पर अमल करना जी20 का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।

COVID-19
Coronavirus
cowax
WHO
IMF

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License