NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
शिक्षा
डीयू: कैंपस खोलने को लेकर छात्रों के अनिश्चितकालीन धरने को एक महीना पूरा
प्रशासन की ओर से पूर्ण रूप से कैंपस खोले जाने को लेकर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है। हालांकि पीजी एवं स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए शोध कार्य, प्रैक्टिकल तथा प्रोजेक्ट वर्क, और शोध छात्रों के लिए लाइब्रेरी और लैब खोला गया है। लेकिन ऑफलाइन क्लासेज़ पर अभी किसी तरह की चर्चा नहीं है।
जगन्नाथ कुमार यादव
08 Dec 2021
DU

सामान्य तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की छवि अभिजात वर्ग के संस्थान के रूप में है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र ऐसे वर्ग से आते हैं, जिन्हें सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों से कोई सरोकार नहीं होता। यही कारण है कि मंडल आयोग रिपोर्ट लागू होने के खिलाफ हुए आन्दोलन के बाद यहाँ कोई बड़ा आन्दोलन नहीं हो पाया। लेकिन पिछले दशक में स्थिति बदली है; मसलन एफवाययूपी वापसी के खिलाफ प्रोटेस्ट, रोस्टर आन्दोलन और सीएए-एनआरसी जैसे बड़े आंदोलनों में डीयू की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

डीयू अपनी अभिजातीय छवि को तोड़ते हुए पिछले 30 दिनों से लगातार संघर्षरत है। दरअसल, डीयू के आर्ट्स फैकल्टी में कैंपस सहित तमाम कॉलेजों को खोलने, सेंट्रल लाइब्रेरी को 24 घंटे किए जाने तथा ऑफलाइन क्लासेज़ चलाए जाने को लेकर 8 नवम्बर से तमाम प्रगतिशील छात्र संगठन अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। जिसमें ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एशोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरैशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डीएसयू, कलेक्टिव, केवायएस, सहित अन्य संगठन और छात्र शामिल हैं। इस पूरे आन्दोलन को मजबूत बनाने के लिए छात्रों द्वारा अलग-अलग विषय के जानकारों को बुलाकर परिचर्चा आयोजित की जाती रही है, लाइब्रेरी बनाई गई, बुक स्टाल लगाए गए, किसान आंदोलन की जीत पर एक लंबा मार्च भी निकाला गया।

कल, यानी 7 नवंबर को अनिश्चितकालीन धरने का एक महिना पूरा होने पर AIFRTE के बैनर तले वीसी ऑफिस, गेट नंबर 1 पर डीयू के सभी छात्र संगठनों द्वारा कैंपस खोलने और नई शिक्षा नीति को रद्द करने को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। जिसके बाद वीसी ने छात्रों से मिलने के लिए तीन दिन बाद का समय दिया। इसके अलावा, कल देर शाम आर्ट्स फैकल्टी पर पहले से चल रहे अनिश्चितकालीन धरना स्थल पर छात्रों द्वारा वीसी का पुतला फूंका गया।

छात्र संगठन आइसा के एक्टिविस्ट आदित्य बताते हैं, “जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कैंपस को बंद हुए डेढ़ साल से ज़्यादा हो गए हैं, पर अभी भी ताला लगा हुआ है। प्रशासन पूर्णतः छात्रों की समस्याओं पर मुंह फेरे हुए है। हम लोगों ने पिछले महीने ही 5-दिनों की भूख हड़ताल रखी थी, जिसके पश्चात डीयू प्रॉक्टर ने हम सभी को आश्वस्त किया था कि दिवाली के बाद एक हफ़्ते में कैम्पस को वापस से खोल दिया जाएगा। लेकिन प्रशासन का यह आश्वासन भी एक जुमला मात्र साबित हुआ। इस प्रकार की जुमलेबाज़ी के ख़िलाफ़ हमने आर्ट्स फ़ैकल्टी पर अनिश्चितक़ालीन धरने की घोषणा की है। इसका आज 30 दिन पूरा हो गया है। हमारी माँग है कि हमारे कैम्पस को पूरी तरह से वापस खोला जाए और जिस प्रकार से भाजपा सरकार द्वारा पूरे देश में शिक्षा के ऊपर लगातार हमले हो रहे हैं, उसे तुरंत बंद किया जाए।”

दरअसल, इस अनिश्चितकालीन धरने से पहले 25-29 अक्टूबर के बीच इन्हीं छात्रों ने भूख हड़ताल किया था। जिसके बाद विवि प्रशासन से आश्वासन दिया था कि दिवाली के बाद कैंपस खोले जाएंगे। लेकिन ऐसा न होने पर छात्रों ने फिर से प्रोटेस्ट करने का फैसला किया।

डीएसयू की प्रिया कहती हैं कि इससे पहले 5 दिनों तक 3 साथियों ने भूख हड़ताल भी की थी। प्रशासन द्वारा कैंपस खोलने को लेकर दिए गए आश्वासन के बाद इस भूख हड़ताल को खत्म कर दिया गया था। लेकिन यूनिवर्सिटी की तरफ से इस पर कोई सुनवाई नहीं की गयी तो 8 नवंबर को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना पड़ा। आज इस धरने को एक महीना पूरा हो गया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई भी बात तक करने नहीं आया। इसी बीच हमने सेंट्रल लाइब्रेरी को 24 घंटे खोलने को लेकर भी एक मेमोरेंडम दिया, लेकिन इस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

वहीं वीसीएफ के आलम प्रशासन से सवाल करते हुए कहते हैं, “दिल्ली में अब मैट्रो, बस और अन्य तमाम जगह भी खुल चुकी हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी को नहीं खोला जा रहा है। जिसके कारण बहुत से छात्र पढ़ नहीं पा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा के कारण बहुत से छात्रों को एग्जाम देने में दिक्कत आ रही है क्योंकि न तो उनके पास उचित संसाधन है और न ही यूनिवर्सिटी द्वारा कोई लैपटॉप या अन्य उपयोगी संसाधन का इंतजाम किया गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी से हमारी मांग हैं कि जल्दी से कैंपस को खोला जाये।”

प्रशासन की ओर से पूर्ण रूप से कैंपस खोले जाने को लेकर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है। हालाँकि पीजी एवं स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए शोध कार्य, प्रैक्टिकल तथा प्रोजेक्ट वर्क, और शोध छात्रों के लिए लाइब्रेरी और लैब खोला गया है। लेकिन ऑफलाइन क्लासेज़ पर अभी किसी तरह की चर्चा नहीं है।

डीयू के नए वीसी योगेश सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा हैं कि “हमारी स्थिति स्कूलों से बहुत अलग है। स्कूली छात्र स्थानीय होते हैं, जबकि हमारे सभी राज्यों से हैं। हमें उन राज्यों में भी कोविड की स्थिति देखनी होगी। हमने अब प्रैक्टिकल, प्रोजेक्ट, पीएचडी छात्रों, पीजी के लिए शोध और स्नातक अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए खोल दिया है। लेकिन अब हम इसे बहुत जल्द प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष के लिए प्रैक्टिकल और रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए खोल सकते हैं। लेकिन मुख्य मुद्दा थ्योरी क्लास का है। हमारे लिए प्रैक्टिकल के लिए ओपन करना बहुत आसान है और हम इसे करेंगे भी।”

डीडीएमए का हवाला देते हुए आगे वे कहते हैं, “अभी सिर्फ 50% क्षमता की अनुमति है। आलम यह है कि कॉलेजों में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं प्रवेश ले रहे हैं। उनके पास उन छात्रों के लिए भी पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। यदि डीडीएमए इसमें ढील देता है और सौ फीसदी की अनुमति देता है, तो हम तुरंत ऑफ़लाइन कक्षाओं की अनुमति देंगे।”

लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो हैं

Delhi University
SFI
AISA
Student Protests

Related Stories

डीयू: फीस में राहत की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी, प्रशासन का अड़ियल रवैया!

कोविड-19: क़स्बा वैक्सीन घोटाले के ख़िलाफ़ वाम मोर्चा का पश्चिम बंगाल भर में विरोध प्रदर्शन

विश्वविद्यालयों में लग रहे 'थैंक्यू मोदी जी' के बैनर, छात्र और शिक्षकों ने किया विरोध

पश्चिम बंगाल: रेड वॉलंटियर्स को राज्य सरकार का नहीं, बल्कि सिविल सोसाइटी की तरफ़ से भारी समर्थन

दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोविड संबंधी नए दिशा-निर्देश जारी किए

कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामले, बैंक यूनियनों की हड़ताल और अन्य ख़बरें

ऐश्वर्या रेड्डी की ख़ुदक़ुशी के बहुत पहले ही छात्रों ने सामने रख दिये थे मुद्दे,प्रशासन ने की थी अनदेखी


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    ‘तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है’… हिंसा नहीं
    26 May 2022
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना के दौरे पर हैं, यहां पहुंचकर उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज
    26 May 2022
    दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 
  • भरत डोगरा
    भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए
    26 May 2022
    राजमार्ग इलाक़ों को जोड़ते हैं और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाते हैं, लेकिन जिस अंधाधुंध तरीके से यह निर्माण कार्य चल रहा है, वह मानवीय, पर्यावरणीय और सामाजिक लागत के हिसाब से इतना ख़तरनाक़ है कि इसे…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा
    26 May 2022
    केरल में दो महीने बाद कोरोना के 700 से ज़्यादा 747 मामले दर्ज़ किए गए हैं,वहीं महाराष्ट्र में भी करीब ढ़ाई महीने बाद कोरोना के 400 से ज़्यादा 470 मामले दर्ज़ किए गए हैं। 
  • लाल बहादुर सिंह
    जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है
    26 May 2022
    जब तक जनता के रोजी-रोटी-स्वास्थ्य-शिक्षा के एजेंडे के साथ एक नई जनपक्षीय अर्थनीति, साम्राज्यवादी वित्तीय पूँजी  से आज़ाद प्रगतिशील आर्थिक राष्ट्रवाद तथा संवैधानिक अधिकारों व सुसंगत सामाजिक न्याय की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License