NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
संकट : डीयू के महिला हॉस्टल ने 16 कर्मचारियों को काम से निकाला
अम्बेडकर गांगुली होस्टल फ़ॉर विमेन के प्रशासन ने चौथी ग्रेड के 16 कर्मचारियों को काम से निकालते हुए सरकारी फ़्लैट ख़ाली करने का आदेश दिया है। कर्मचारियों ने जातिवाद-वर्गवाद का इल्ज़ाम लगाते हुए सवाल किया है कि जब फ़ंड ही कम हैं तो वार्डन और अन्य ऊंची पोस्ट के अधिकारियों को क्यों रखा गया है।
सत्यम् तिवारी
11 Aug 2020
अम्बेडकर गांगुली होस्टल फ़ॉर विमेन

देश भर में क़रीब 6 महीने से जारी कोरोना वायरस महामारी का सबसे गंभीर प्रभाव ग़रीब या पिछड़े तबक़े पर पड़ा है। कामकाजी वर्ग को काम से निकाला जा रहा है, और ऊंचे ओहदे पर काम करने वाले बीमारी का दोष भी उन्हें ही दे रहे हैं। हालिया मामला दिल्ली विश्विद्यालय का है, जहाँ छात्रावासों के चौथी ग्रेड (जिसमें चपरासी, सफ़ाई कर्मचारी, माली, हाउसकीपर आते हैं) के कर्मचारियों को काम से निकालने का नोटिस जारी कर दिया गया है, और उन्हें सरकारी क्वार्टर भी ख़ाली करने को कहा गया है।

क्या है पूरा मामला?

अम्बेडकर गांगुली विमेंस हॉस्टल के अधिकारियों ने 27 जुलाई 2020 को एक मीटिंग की जिसमें ऐलान किया गया कि हॉस्टल के सफ़ाई कर्मचारी, माली, चपरासी, सुरक्षा गार्ड और हाउसकीपर सहित कुल 16 कर्मचारियों को काम से निकाल दिया जाएगा। हॉस्टल ने इसकी वजह 'फ़ंड की कमी' को बताया। यह ऐलान मौखिक रूप से किया गया था, जिसके बाद 3 अगस्त 2020 को हॉस्टल प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर दिया जिसमें कहा गया कि निकाले गए 16 कर्मचारियों को 2 सितंबर तक उनको मिला सरकारी क्वार्टर भी ख़ाली करना होगा।

अधिकारियों का कहना है कि यह आदेश उसे दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से मिला है।

कर्मचारियों से बात करने पर पता चला कि उनकी भर्ती सीधा हॉस्टल की तरफ़ से की गई थी। इसके अलावा, नॉर्थ ईस्टर्न स्टूडेंट हाउस फॉर वीमेन में भी ऐसा ही हुआ है, जहां प्रशासन (प्रोवोस्ट) ने कुछ कर्मचारियों को (मौखिक रूप से) छात्रावास में फंड की कमी के कारण "अब और नहीं आने" के लिए कहा है।

ग़ौरतलब है कि इन सभी कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण जुलाई के महीने में ही 6 महीने का हुआ था। कर्मचारियों ने बताया है, "3.08.2020 पर, श्रमिकों को निष्कासन करने के निर्णय से अवगत कराया गया था और हमारे लिए एक निष्कासन पत्र जारी किया गया था (जेएसीटी, केयरटेकर और अंजू को छोड़कर, जो महिला 7 महीने की गर्भवती हैं) इस नोटिस में विश्वविद्यालय द्वारा हमें आवंटित हमारे फ़्लैटों को ख़ाली करने का निर्देश दिया गया है।"

देश भर में महामारी का गहरा आर्थिक प्रभाव पड़ा है, जिसका असर सबसे ज़्यादा ग़रीब तबक़े से आये लोगों पर ही हुआ है। कर्मचारियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में उन्हें काम से निकाला जाना अमानवीय है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए हॉस्टल में 17 साल से काम कर रहीं हाउसकीपर रीना ने कहा, "हॉस्टल प्रशासन का यह क़दम मानवीय रूप से सही नहीं है। कोरोना वायरस के समय में, जो अचानक से आई बीमारी है, उस दौर में प्रशासन को नियमों को किनारे रख कर निर्णय लेना चाहिये था। यह (हॉस्टल प्रशासन) हमें नियम गिनवाते हैं; इनके हाथ में सारी पावर है, मगर जब कोई फ़ैसला लेने की बात आती है तो यह ख़ुद को बेबस दिखाने लगते हैं। मैं यहाँ तब से काम कर रही हूं जब से हॉस्टल बना है। मेरे अलावा भी लोग 13 साल 14 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन किसी के अनुभव, किसी के काम की कोई इज़्ज़त नहीं करता है।"

कर्मचारियों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण तरीक़े से लगातार प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि वह अपना यह निर्णय वापस ले ले। हॉस्टल में 13 साल से काम कर रहे बस ड्राइवर 49 साल के विक्रम ने कहा, "हॉस्टल बार बार कह रहा है कि हमें समय दीजिये, लेकिन अगर ऐसे ही टाइम निकल जायेगा तो हम क्या कर पाएंगे। हमें अचानक से निकाल दिया गया है। ऐसी ख़राब स्थिति में हमें कहीं काम भी नहीं मिलेगा।"

कोरोना का आर्थिक संकट

कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए आर्थिक संकट का हाल यह है कि इससे निकल पाना मुश्किल होने वाला है। ख़ास तौर पर उन लोगों के लिये जो अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं, और जिनका वेतन भी बहुत कम है। हम लगातार ऐसे मामले देख रहे हैं, जिसमें जनता नौकरियाँ खो रही है। 16 कर्मचारी, जिन्हें निकाला गया है उन्हें निकालने की वजह दी गयी है कि हॉस्टल के पास उनको देने के लिए फ़ंड नहीं हैं। कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने काम किया है। रीना अपने परिवार में अकेली कमाने वाली हैं, उनकी माँ डायबिटीज़ की मरीज़ हैं और उनकी बीपी की भी समस्या है। रीना कहती हैं, "मेरी नौकरी चली जायेगी तो मैं अपना घर कैसे चलाऊंगी? मैं अपनी माँ को तसल्ली देती रहती हूं।" जो कर्मचारी निकाले गए हैं, वह कोरोना वायरस के दौरान "ज़रूरी सुविधाएं" प्रदान करने वाले कर्मचारी हैं। कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भी उन्हें छुट्टी नहीं दी गई थी। रीना ने बताया, "हमें काम में भी कोई राहत नहीं मिली थी। एक दिन छोड़ के आने का सिर्फ़ नियम था। जब ज़रूरत पड़ती थी, हमें रोज़ आना पड़ता था। हमें आने में दिक़्क़त होती थी, महिलाओं को पुलिस परेशान करती थी। इसपर प्रशासन हमें नियम से चलने की हिदायत देता था।"

हॉस्टल का जातिवाद-वर्गवाद

हमें एक से ज़्यादा लोगों ने बताया कि अम्बेडकर गांगुली हॉस्टल के अधिकारी लंबे समय से कर्मचारियों के साथ जातिगत भेदभाव कर रहे हैं। इस हॉस्टल का नाम डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम पर रखा गया है, और इसका मक़सद था कि यहाँ एससी-एसटी/ओबीसी वर्ग की छात्राओं की सुविधा के लिए काम हो सके। मगर कर्मचारियों ने यहाँ के अधिकारियों पर लगातार जातिवाद का आरोप लगाया है। कर्मचारियों ने बताया है, "हम में से कुछ लोगों ने इस जगह पर काम करते हुए लगभग 15 साल हो गए हैं और हमारे साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार किया गया, जहाँ वार्डन ने हममें से एक से पूछा कि उनके घर पर कचरा इकट्ठा करने के लिए "उनके दरवाज़े या घरों की सतह को नहीं छूना" और कूड़ेदान को बाहर रखना है। वास्तव में, कोरोना के दौरान, व्यवहार ख़राब हो गया है क्योंकि हम श्रमिकों को अब उनकी फाइलों को छूने की अनुमति नहीं है और केवल विशिष्ट लोगों को ही ऐसा करने की अनुमति है।"

अमीषा नंदा अम्बेडकर-गांगुली हॉस्टल की छात्रा हैं। कोरोना लॉकडाउन के दौरान अमीषा हॉस्टल में ही थीं और उन्होंने यह सब अपने सामने होता देखा है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए अमीषा ने कहा, "अधिकारियों को ख़ुद को ऊंचा दिखाने की आदत है। पूर्व वार्डन ने अपने यहाँ काम करने वाले एक कर्मचारी को झाड़ू से मारा था। वह लोग सफ़ाई कर्मचारियों को घर की डोरबेल तक नहीं छूने देते, उनके साथ अमानवीय बर्ताव करते हैं।"

DU.jpg

अम्बेडकर गांगुली हॉस्टल का स्याह इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब इस हॉस्टल से ऐसे शोषण की ख़बरें सामने आ रही हों। फ़रवरी 2020 में न्यूज़क्लिक ने आपको बताया था कि इस हॉस्टल की मौजूदा वार्डन रत्नाबली ने कथित तौर पर छात्राओं के बारे में आपत्तिजनक बातें कही थीं। कर्मचारियों ने बताया है कि वार्डन ने उन्हें धमकाते हुए कहा है कि वह इस चिट्ठी में से जातिवाद वाली बातें हटा दें। छात्राओं के फ़रवरी वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल रहीं अमीषा ने कहा, "हम तो एक साल में ही इस हॉस्टल से परेशान हो गए हैं। हमारे ऊपर सिर्फ़ हॉस्टल छिन जाने का ख़तरा है, मगर इनके लिए तो सारी जिंदगी का सवाल है।"

कर्मचारियों ने बताया कि वह शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात अधिकारियों तक पहुंचाना चाह रहे हैं। विक्रम ने बताया, "हम चाहते हैं कि वह अपने फ़ैसले को वापस लेकर हमारी नौकरी हमें वापस करें, क्योंकि हमारे पास कुछ है ही नहीं जिससे हम कहीं और काम करें।"

कर्मचारी रीना ने अंत में कहा, "मैं बस यह कहना चाहती हूं कि वह लोग सिर्फ़ 16 कर्मचारियों को नहीं, उनके परिवारों के बारे में सोचें। सबकी ज़िंदगी ताक पर आ गई है। हम उनसे लगातार विनती कर रहे हैं। अगर वह नहीं माने तो हम अदालत का रास्ता खटखटाएंगे।"

अम्बेडकर गांगुली हॉस्टल में इससे पहले अपनी छात्राओं के साथ भी नस्लभेद, मानसिक शोषण जैसी हरकतें करने का आरोप लगता रहा है। इसके साथ ही कर्मचारियों ने बताया कि यहां के अधिकारी जातिवाद, वर्गवाद के अलावा महिलाओं पर भद्दी टिप्पणियाँ करते हैं।

वार्डन का रुख

न्यूज़क्लिक ने जब अम्बेडकर गांगुली हॉस्टल की वार्डन के रत्नाबली से बात की तो उन्होंने निकाले गए कर्मचारियों पर कुछ भी कहने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा, "मैं एक वार्डन के तौर पर इस मसले पर कुछ भी बोलने के लिए उपयुक्त नहीं हूँ। यह निर्णय मेरा नहीं, प्रशासन का है।" जब उनसे कहा गया कि कर्मचारियों ने अपने ख़त में उनका नाम भी लिखा है, तो वार्डन ने कर्मचारियों की सभी बातों झूठा क़रार दे दिया।

फ़रवरी महीने में छात्राओं के प्रदर्शन के दौरान उनके कथित आपत्तिजनक बयानों पर भी हमने सवाल किया तो उन्होंने कह दिया कि यह सब उनकी छवि ख़राब करने के लिए फैलाया गया है। इसके अलावा, जब उनसे कर्मचारियों के साथ हो रहे जातिवाद-वर्गवाद पर सवाल किये गए तब भी उन्होंने कर्मचारियों को ही झूठा बताते हुए यह कह दिया कि यह सब बातें बे-बुनियाद हैं।

Delhi University
du
Ambedkar Ganguly Hostel for Women
16 workers fired
Casteism
Corona Crisis
economic crises
unemployment

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License