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भारत
मासूम दलित के मंदिर में प्रवेश पर परिवार पर 25 हज़ार रूपये का जुर्माना!
कर्नाटक के कोप्पल के मियापुरा गांव में दो साल का मासूम अपने जन्मदिन के मौके पर मंदिर के बाहर से पूजा करने के लिए पिता के साथ गया था, लेकिन वह मासूम मंदिर में प्रवेश कर गया।
एम.ओबैद
22 Sep 2021
मासूम दलित के मंदिर में प्रवेश पर परिवार पर 25 हज़ार रूपये का जुर्माना!
सौजन्यः द हिंदू (फाइल फोटो)

नए भारत में दलितों के साथ भेदभाव कम नहीं हुआ है। दलितों के साथ दुर्व्यवहार, अत्याचार और उत्पीड़न की खबरें अक्सर सुनने और पढ़ने को मिल ही जाती हैं। हाल में घटी एक घटना बेहद चौंकाने वाली है जहां एक दलित परिवार पर गांव वालों ने सिर्फ इसलिए 25 हजार रूपये का जुर्माना लगा दिया कि उस परिवार का दो साल का मासूम अपने जन्मदिन के मौके पर पूजा करने के लिए मंदिर में प्रवेश कर गया। ये घटना कर्नाटक के कोप्पल के मियापुरा गांव की है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दलित समुदाय के चेन्नादसा समुदाय का दो वर्षीय मासूम 4 सितंबर को मंदिर में प्रवेश कर गया। उस मासूम का पिता उसके जन्मदिन के मौके पर मंदिर के बाहर से पूजा करने के लिए अपने साथ वहां ले गया था। उस मंदिर के पुजारी और लिंगायत की उपजाति गनिगा समाज के अन्य दो लोगों ने उस बच्चे के मंदिर में प्रवेश करने का विरोध किया क्योंकि दलितों का मंदिर में प्रवेश करने पर पाबंदी है। बाद में इन लोगों ने अपने पक्ष के कुछ और लोगों को इकट्ठा किया और 11 सितंबर को बैठक की। इस बैठक में बच्चे के परिवार पर जुर्माना लगाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इन लोगों ने कहा कि जुर्माना की ये राशि मंदिर को पवित्र करने पर खर्च की जाएगी क्योंकि दलित के मंदिर में प्रवेश करने पर यह दूषित हो गया है।

जुर्माने की राशि देने में अक्षम परिवार

इस जुर्माने की राशि को देने में अक्षम इस दलित परिवार ने अपने समुदाय के नेताओं से मुलाकात की। इस घटना की जानकारी मिलने के बाद दलित समुदाय के नेता गांव पहुंचे और पुलिस को भी जानकारी दी। चूंकि ये परिवार इस घटना की बाबत शिकायत दर्ज कराना नहीं चाहता था इसलिए पुलिस ने एफआइआर दर्ज नहीं की। पुलिस अधिकारियों ने उस गांव में बैठक की और इस घटना के दोहराए जाने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी।

चेन्नादसा कम्यूनिटी संगठन के जिला अध्यक्ष रमालिंगप्पा दास ने द हिंदू से बात करते हुए कहा कि "यह एक बड़ा गांव हैं जिसमें गनिगा लिंगायत समाज का प्रभुत्व है। इस गांव में केवल तीन चेन्नादसा समाज के परिवार हैं। अगर हम उच्च जाति के लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो इस गांव में रहने वाले दलित समाज के परिवारों पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है।… ऐसे में हमले इस मामले यहीं समाप्त करने का फैसला किया है।"

दलितों के ख़िलाफ़ अपराध बढ़े

हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में दलितों के खिलाफ अपराध के देश भर में 50,291 मामले दर्ज किए गए थें। वर्ष 2019 की तुलना में इन अपराधों में 9.4 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। साल 2019 में एससी के खिलाफ किए गए अपराधों के मामले में कुल 45,961 मामले दर्ज किए थे। वहीं वर्ष 2018 में इनके खिलाफ किए गए अपराध के 42,793 मामले सामने आए थे। दलितों के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। यहां पिछले साल 12,714 मामले सामने आए हैं जबकि वर्ष 2019 में 11,829 मामले दर्ज किए गए वहीं साल 2018 में यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध के 11,924 मामले रिकॉर्ड किए गए थे।

उत्तर प्रदेश के बाद साल 2020 में दलितों के खिलाफ अपराध के जहां सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए उनमें दूसरे नंबर पर बिहार रहा जहां 7,368 मामले सामने आए हैं। वहीं राजस्थान में 7,017 मामले जबकि मध्य प्रदेश में 6,899 मामले दर्ज किए गए हैं और महाराष्ट्र में 2,569 मामले सामने आए हैं वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वर्ष 2020 में 69 मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में साल 2019 में 76 मामले सामने आए थे।

राजस्थान में दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या

राजस्थान के अलवर में दो दिन पहले ही एक दलित युवक योगेश की उस समय पीट-पीट कर हत्या कर दी गई जब वह अपनी बाइक से जा रहा था। रास्ते में एक गड्ढे से बचने के चलते उसकी बाइक गलती से एक महिला से टकरा गई। वहां पर भीड़ जमा हो गई उसे बुरी तरह पीटने लगी जिससे बेहोश हो गया। योगेश की बाद में मौत हो गई।

रात में घर में घुस कर जानलेवा हमला

उत्तर प्रदेश के बरेली के असदनगर गांव में कुछ लोगों ने 15 सितंबर की रात 11 बजे रामेश्वर के घर पर हमला कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान हमलावरों ने रामेश्वर को लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा जिसमें वे घायल हो गए।

छोड़खानी का विरोध करने पर दलित लड़कियों पर हमला

कर्नाटक के कोलार जिले के तादिगोल गांव में छेड़खानी का विरोध करने पर दलित लड़कियों और उनके परिवार के सदस्यों पर 7 सितंबर को जानलेवा हमला कर दिया था। इस हमले में लड़कियों और उनके परिवार के सदस्यों को गंभीर चोटें आई थी।

कुल्लू में दलित दंपत्ति पर हमला

पिछले महीने 25 अगस्त को कुल्लू में एक दंपत्ति पर उस समय हमला कर दिया गया जब वे निजी वाहन से कुल्लू से अपने घर जा रहे थे। रास्ते में हमलावरों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गए। हमलावरों ने उन पर डंडों और पत्थरों से हमला किया था। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर वहां से फरार हो गए थे। स्थानीय लोगों ने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी थी। घटना स्थल पर पुलिस पहुंचकर घायल दंपत्ति को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया था जहां से दोनों को गंभीर होने के चलते नेरचौक स्थित मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। आगे इलाज के लिए दंपत्ति को पीजीआइ भेजा गया था जहां इलाज के दौरान पारस राम की मौत हो गई। पारस काईस पंचायत के पूर्व प्रधान थे। 

 

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