NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सियासत: दानिश अंसारी के बहाने...
बीजेपी ने कभी मुस्लिम जनसंख्या के हिसाब से उसे नुमाइंदगी देने या उनके संपूर्ण विकास के लिए काम नहीं किया। बस पिक एण्ड चूज के आधार पर कुछ मुसलमान जो मुसलमानों के ही ख़िलाफ़ खुल कर खड़े हो सकें बस उनको ही जगह दी गई।
नाइश हसन
29 Mar 2022
 Danish Ansari
दानिश अंसारी। यूपी में योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक मुस्लिम चेहरे के तौर पर दानिश अंसारी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। फोटो साभार

एक तरफ सब का साथ और सब का विकास जैसा नारा है और दूसरी तरफ मुसलमानों के साथ बीजेपी का रवैया ये है कि उसे हाशिए पर ढकेल देने की कवायद जारी है। अब तो मालूम ये पड़ता है कि आंखों की शर्म भी गोया खत्म होती जा रही है। ये सिलसिला 2014 से ही जारी है। हर वो कोशिश जो इस बात को पुख्ता करे कि मुस्लिम कौम को हाशिए पर लाया जा सके, वो ऐसे एक न एक प्यादे अपने पास रखते हैं।

याद कीजिए बीजेपी ने आते ही बोहरा गुजराती मुसलमानों के धर्मगुरू सय्यदना को अपने साथ लिया। सय्यदना की बोहरा औरतों पर सख्ती और खतना प्रथा के खिलाफ मोदी जी बोहरा महिलाओं के साथ कभी खड़े नही हुए, पर सय्यदना की महफिलों में अगुवाई करते रहे। बोहरा समुदाय एक बहुत छोटा समुदाय है, जिसकी कुल आबादी देश में 15 लाख से भी कम है। यह समुदाय आम सुन्नी मुसलमानों को अपने साथ कभी भी एसोसिएट नही करता। उनके और बहुसंख्यक सुन्नी समुदाय के नामों में जरूर समानता है जिससे नजर तो यही आता है कि ये भी मुसलमान हैं, और हैं भी इसमें कोई शक नहीं, परंतु उनके धार्मिक और सांस्कृतिक फर्क इतने है कि बहुसंख्यक मुसलमानों के तमाम मुद्दे चाहे वह शिक्षा, रोजगार, गरीबी, बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना, तीन तलाक, वह खुद को उससे जोड़ कर नहीं देखते, वह खुले तौर पर मोदी के सपोर्टर भी हैं। काफी अमीर और काफी बंद समुदाय जहां उनके समुदाय के रूल ही चलते हैं।

उसके बाद बारी आती है शिया मुसलमानों की। वहां भी सुन्नी मुसलमानों से अच्छा खासा अलगाव है। बड़ी संख्या में शिया मुस्लिम बीजेपी का ही वोटर रहा है। कल्बे जव्वाद जैसे धर्मगुरू तो बीजेपी के पक्ष में वोट करने की अपील तक जारी कर चुके है। उन्हें साथ लिया गया। शिया भी एक छोटा उप-समुदाय है। कुल मुस्लिम जनसंख्या का मात्र दो प्रतिशत है शिया। मोहसिन रजा का इस्तेमाल कर उनसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयानबाजी कराई गई। हज हाउस तक को भगवा पुतवाकर मोहसिन भगवा के बारे में शान से बातें करते और मुसलमानों को उनके जाहिल होने पर कोसते रहे हैं। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने उनसे किनारा कर लिया। हालांकि इस बार के उत्तर प्रदेश चुनाव में ऐसा हुआ कि शिया समुदाय का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी के समर्थन में नहीं आया।

अब एक और दांव यूपी में दानिश अंसारी को मंत्री बनाकर चला गया। दानिश सुन्नी पसमांदा समुदाय से आते हैं। दानिश किसी सदन विधानसभा या विधाान परिषद के सदस्य नहीं है। उन्हें टिकट नहीं दिया गया है, वह एबीवीपी के कार्यकर्ता रहे हैं। उन्हें मंत्री बनाना न तो सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय की नुमाइंदगी है, और न ही नेक मंशा। बिना जनाधार के मात्र टोकेन के तौर पर एक मुसलमान को मंत्री बना देना, लेकिन टिकट कभी न देना। यह किसी समुदाय को लोकतंत्र में मजबूत बनाना कतई नहीं है।

पसमांदा मुसलमान जो अपने आप को अशराफ या तथाकथित उच्च जाति के मुसलमान से अलग मानता है, कुछ पसमांदा तो अशराफों पर खासे हमलावर रहते हैं, हालांकि मुस्लिम जाति व्यवस्था हिंदू जैसी सख्त छुआछूत आधारित नहीं है। ऐसे में दानिश सोची-समझी रणनीति के तहत लाए गए हैं, जिससे उनके जरिए मुसलमानों के बीच जातिगत टकराव बना रहे। और वह अपनी ही कौम के खिलाफ वक्तन-फवक्तन आग उगलते रहें। जात की तक्सीम को और गहरा बनाते रहें।

कुछ ऐसे प्यादे हमेशा बैठा कर रखना जो मुस्लिम समुदाय द्वारा उठाए गए सवालों को या तो खारिज करता रहे, या उन्हीं के द्वारा मुसलमानों को अपशब्द बोलता रहे।

इसी मकसद को पूरा करने के लिए पहले भी कुछ और लोग बीजेपी द्वारा लाए गए। जिनमें आरिफ मोहम्मद खान का नाम प्रमुख है। आज हर मसले पर उनका प्रयोग मुसलमानों के खिलाफ किया जा रहा है। हालिया हिजाब मामला उसका ताजा उदाहरण है। कायनात काजी, यासिर जीलानी, और दो पराने नेता मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन का भी प्रयोग इसी प्रकार किया गया। बीजेपी ने कभी मुस्लिम जनसंख्या के हिसाब से उसे नुमाइंदगी देने या उनके संपूर्ण विकास के लिए काम नहीं किया। बस पिक एण्ड चूज के आधार पर कुछ मुसलमान जो मुसलमानों के ही खिलाफ खुल कर खड़े हो सकें बस उनको ही जगह दी गई। इसी मंशा से कुछ मुस्लिम महिलाएं भी बीजेपी में लाई गईं थी। जब उनका इस्तेमाल हो चुका तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। दानिश का प्रयोग भी इसी प्रकार होगा, इस संभावना से कोई इनकार नहीं कर सकता।

मुस्लिम समुदाय के भीतर जितनी तोड़-फोड़ होगी वह बीजेपी के लिए मुफीद साबित होगी। जात के मसले जो हिंदू समुदाय में आज तक न सुलझ सके, मुस्लिम समुदाय को उन मसलों पर और उल्झाने की तैयारी में है बीजेपी।

मुसलमान कौम की मुखालफत किसी रूप में बरकरार रहे, सरकार की ऐसी कोशिश किसी लोकतांत्रिक देश में सबसे ब़ड़े अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ साजिश सरीखा ही है।

(लेखिका एक सामाजिक कार्यकर्ता और रिसर्च स्कॉलर हैं।)

UttarPradesh
Danish Ansari
Yogi Adityanath
yogi government
Yogi Cabinet
BJP
Muslims
BJP-RSS

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License