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दार्जिलिंग चाय श्रमिकों के संघर्ष की आंशिक जीत, मिलेगा 20 प्रतिशत बोनस
श्रमिकों को बोनस तो मिला लेकिन यह चाय श्रमिकों की चौथी पीढ़ी है, जो अभी भी  न्यूनतम मजदूरी और भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Oct 2019
darjeeling tea workers
Image courtesy: social media

संयुक्त फोरम ऑफ चाय वर्कर्स यूनियन के संघर्ष के  जीत हुई है। जिसके  बाद  दार्जिलिंग के हजारों चाय मजदूरों को 20 फीसदी बोनस मिलेगा। कोलकाता में आयोजित त्रिपक्षीय बैठक में शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार और दार्जिलिंग टी एसोसिएशन (डीटीए) द्वारा मांग पर सहमति जाहिर की गई।

समझौते के अनुसार, सहमत हुए बोनस को दो किस्तों में वितरित किया जाएगा। पहली किस्त में भुगतान का 60 प्रतिशत  अगले दस दिनों में दे दिया जाएगा  और शेष 40 प्रतिशत का भुगतान इस वर्ष 15 दिसंबर से पहले किया जाएगा।

दार्जिलिंग पहाड़ियों में 87 बागानों के चाय श्रमिकों के लिए यह जीत आसान नहीं थी। पिछले दो महीनों से संयुक्त मंच के नेतृत्व में निरंतर संघर्ष  किया। इस संयुक्त मंच में लगभग 29 चाय श्रमिकों के यूनियनों एक छाते के नीचे लाया गया। श्रमिकों ने  प्रदर्शनों के दौरन गेट मीटिंग, उत्पादन की गति को धीमी कर दी और क्रमिक भूख हड़ताल की। इस महीने में  4 अक्टूबर को, दार्जीलिंग पहाड़ियों में 12 घंटे का बंद किया गया था, जिसमें कई मांगों में से एक माँग बोनस समझौते की भी  थी।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, दार्जिलिंग जिले के सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव विकन पाठक ने  बताया कि चाय बागान उद्योग में चली आ रही बुनियादी उत्पादन प्रथाओं में बदलाव  की ज़रूरत है।

पाठक ने कहा, "20 प्रतिशत बोनस चाय मजदूर के व्यवस्थित शोषण के खिलाफ व्यापक लड़ाई में एक छोटी जीत है।"

राज्य में चाय बागान उद्योग का 150 वर्षों से अधिक का इतिहास रहा है, हालांकि, पश्चिम बंगाल में 4.5 लाख चाय श्रमिकों के लिए, न्यूनतम मजदूरी एक ऐसी चीज है जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। पश्चिम बंगाल में एक चाय श्रमिक अभी भी एक दिन के श्रम के लिए  176  रुपये कमाता है, उसके लिए भी उसे आमतौर पर 12 से 13 घंटे तक काम करना होता है।

फरवरी 2015 में, न्यूनतम मजदूरी को लागू करने के लिए ममता बनर्जी की सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। न्यूनतम मजदूरी के आसपास के प्रावधानों की समीक्षा के लिए एक न्यूनतम मजदूरी सलाहकार समिति बनाई गई थी।

पाठक ने न्यूज़क्लिक को बताया, "यह प्रक्रिया छह महीने की अवधि में पूरी होनी थी, हालांकि तीन साल से अधिक समय लग गया," समिति ने दिसंबर 2018 में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं। जिसे पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी किया गया।

उन्होंने कहा कि यूनियन 15 वें भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी मानकों को लागू करने की मांग कर रही है, जो कि मज़दूरों का हक है  और सार्वभौमिक रूप से स्वीकार भी  किया गया है।

इसके अतिरिक्त, संयुक्त मंच भूमिहीन चाय बागानों के लिए भूमि पट्टे के प्रावधान की मांग कर रहा है ।

पाठक के अनुसार, ये चौथी पीढ़ी के चाय श्रमिक हैं, जिन्हें अभी भी "बंधुआ दास" के रूप में काम कराया  जाता है। कर्मचारी स्टाफ़ क्वार्टर में रहने के लिए मज़बूर  हैं। उनके पास खुद का कोई घर या ज़मीन नहीं है, जिससे उनका जिंदगी पूरी तरह से बागान मालिकों के अधीन रहती है।

Darjeeling tea workers
Workers get 20% bonus
United forum of tea workers union
Darjeeling Tea Association

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