NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मंदिर के हक़ में फ़ैसला, लेकिन मस्जिद गिराने पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी
बाबरी विध्वंस के बारे में न्यायालय की टिप्पणी लिब्रहान आयोग जैसी है।पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मुसलमानों को गलत तरीके से उनकी मस्जिद से वंचित किया गया जिसका निर्माण 450 साल से भी पहले किया गया था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 Nov 2019
ayodhya case
Image courtesy: Twitter

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को बाबरी ढांचा गिराये जाने से संबंधित मामले से दूरी बनाये रखने वाले उच्चतम न्यायालय ने भी शनिवार को अपने फैसले में लिब्रहान आयोग द्वारा की गयी टिप्पणी से मिलती जुलती टिप्पणी की है।

न्यायालय ने कहा कि विवादित ढांचा गिराया जाना एक ‘सोचा समझा कृत्य’ था।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में इस तथ्य का उल्लेख किया कि विवादित भूमि को लेकर मुकदमे लंबित होने के दौरान एक सार्वजनिक इबादत स्थल को नष्ट करने के सोचे समझे कृत्य के तहत मस्जिद का पूरा ढांचा ही गिरा दिया।

संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मुसलमानों को गलत तरीके से उनकी मस्जिद से वंचित किया गया जिसका निर्माण 450 साल से भी पहले किया गया था।

हालांकि फैसले में विवादित ढांचा गिराये जाने के बारे में चंद पंक्तियां ही हैं लेकिन यह टिप्पणी अयोध्या में इस ढांचे को गिराये जाने की घटना के दस दिन के भीतर नरसिंह राव सरकार द्वारा गठित लिब्रहान जांच आयोग की टिप्पणी की याद ताजा करती है। लिब्रहान आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अयोध्या में सारा विध्वंस ‘योजनाबद्ध’ तरीके से किया गया था।

अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा विवादित ढांचा गिराये जाने की घटना की न्यायिक जांच के लिये पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम एस लिब्रहान की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया था।

हालांकि, न्यायमूर्ति लिब्रहान ने अवकाश ग्रहण करने के बाद इस आयोग को पूरा वक्त दिया और 17 साल बाद जून, 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस दौरान 48 बार जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया।

लिब्रहान जांच आयोग के समक्ष पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव और विश्वनाथ प्रताप सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और राम जन्म भूमि आन्दोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले अन्य नेताओं की गवाही हुयी।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में छह दिसंबर, 1992 की घटना के लिये भाजपा और संघ परिवार (आरएसएस, विहिप और बजरंग दल) के प्रमुख नेतृत्व को जिम्मेदार पाया था।

उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शीर्ष अदालत को हलफनामे पर आश्वासन दिया था कि कार सेवकों को विवादित ढांचे को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जायेगी।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा कि इस मामले के तथ्यों से यही सबूत सामने आता है कि सत्ता और धन की संभावना से प्रलोभित भाजपा, आरएसएस, विहिप, शिव सेना और बजरंग दल आदि के भीतर ही ऐसे नेता उभर आये थे, जो न तो किसी विचारधारा से निर्देशित थे और न ही उनमें किसी प्रकार का नैतिक संयम था।

न्यायमूर्ति लिब्रहान ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि छह दिसंबर, 1992 को देखा कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून का शासन बनाये रखने की इच्छुक नहीं थी और यह उदासीनता मुख्यमंत्री (कल्याण सिंह) के कार्यालय से लेकर निचले स्तर तक थी।

आपको बता दें कि मस्जिद विध्वंस का मामला लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें भी 2020 तक फ़ैसले की समयसीमा तय की हुई है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Ayodhya Case
Supreme Court
Ram Mandir
babri masjid
Ayodhya verdict
indian hindu-muslim
Ram Janamabhoomi – Babri Masjid
Justice Ranjan Gogoi

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’
    09 May 2022
    अदालत ने कहा कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर हुए घटनाक्रम और दंगे रोकने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की जांच किए जाने की आवश्यकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,207 नए मामले, 29 मरीज़ों की मौत 
    09 May 2022
    राज्यों में कोरोना जगह-जगह पर विस्पोट की तरह सामने आ रहा है | कोरोना ज़्यादातर शैक्षणिक संस्थानों में बच्चो को अपनी चपेट में ले रहा है |
  • Wheat
    सुबोध वर्मा
    क्या मोदी सरकार गेहूं संकट से निपट सकती है?
    09 May 2022
    मोदी युग में पहली बार गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है और ख़रीद घट गई है, जिससे गेहूं का स्टॉक कम हो गया है और खाद्यान्न आधारित योजनाओं पर इसका असर पड़ रहा है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!
    09 May 2022
    क्या मोदी जी के राज में बग्गाओं की आज़ादी ही आज़ादी है, मेवाणियों की आज़ादी अपराध है? क्या देश में बग्गाओं के लिए अलग का़ानून है और मेवाणियों के लिए अलग क़ानून?
  • एम. के. भद्रकुमार
    सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति
    09 May 2022
    सीआईए प्रमुख का फ़ोन कॉल प्रिंस मोहम्मद के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत के लिए तो नहीं ही होगी, क्योंकि सऊदी चीन के बीआरआई का अहम साथी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License