NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ रक्षा महासंघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर विचार-विमर्श कर रहे हैं
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड को सात नए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में तब्दील किये जाने की योजना को मंजूरी दे दी है। वहीं कर्मचारियों की ओर से 19 जून को विभिन्न रक्षा प्रतिष्ठानों में विरोधस्वरूप पुतला दहन का कार्यक्रम रखा गया है।
रौनक छाबड़ा
18 Jun 2021
ओएफबी
फाइल फोटो

ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) को भंग करने और इसे सात सरकारी-स्वामित्व वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं के तौर पर स्थानापन्न करने का केंद्र सरकार का फैसला रक्षा कर्मचारियों के महासंघों को ऐसा लगता है कि गवारा नहीं है, जिसके चलते कर्मचारी महासंघों को एक बार फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए विचार करना पड़ रहा है, जिसे पूर्व में उन्होंने पिछले वर्ष स्थगित कर दिया था।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 246 साल पुराने ओएफबी के निगमीकरण करने की योजना को मंजूरी दे दी है, जो एक छतरी निकाय है, जिसके तहत देश भर में 41 आयुध कारखानों की देखरेख की जाती है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बोर्ड को सात नए डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (डीपीएसयू) में तब्दील किया जाना है।

बृहस्पतिवार को तीन मान्यता प्राप्त महासंघों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि आयुध कारखानों में कार्यरत समूचे कार्यबल, जिसमें 82,000 कर्मचारी और चार लाख रक्षा क्षेत्र में कार्यरत सिविलियन कर्मचारी शामिल हैं, ने केंद्र के इस फैसले को ख़ारिज कर दिया है। 

महासंघों ने सभी राजनीतिक दलों, ट्रेड यूनियनों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और देश के लोगों से “इस स्याह फैसले” के खिलाफ विरोध करने की अपील की है। आल इंडिया डिफेन्स एम्प्लाइज फेडरेशन (एआईडीईऍफ़), इंडियन नेशनल डिफेन्स वर्कर्स फेडरेशन (आईएनडीडब्ल्यूऍफ़), और आरएसएस से सम्बद्ध भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस) ने अपने संयुक्त हस्ताक्षरित बयान में कहा है कि इसका “देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा तैयारियों पर गंभीर दुष्प्रभाव” देखने को मिल सकता है।

बृहस्पतिवार को, तात्कालिक कार्यवाही के तौर पर रक्षा महासंघों ने सारे देश भर के आयुध कारखानों की ईकाइयों में दो-दिवसीय स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। इसके बाद शनिवार, 19 जून को सभी रक्षा प्रतिष्ठानों पर पुतला दहन करने का इरादा है। प्रेस को दिए गए बयान के अनुसार श्रमिक नेतृत्व रविवार को अपनी बैठक करेंगे, जिसमें “अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित आगे के संघर्ष की रुपरेखा” पर विचार किया जायेगा।

एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने न्यूज़क्लिक के साथ अपनी बातचीत में बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार के बुधवार के फैसले से पहले मंगलवार को मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) के द्वारा “विफलता रिपोर्ट” तीनों महासंघों के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में” प्रस्तुत की गई थी। 

2020 में, रक्षा कर्मचारियों ने मोदी सरकार के निजीकरण के कदम को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए अक्टूबर माह में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया था। हालांकि इस मामले में सीएलसी के हस्तक्षेप के बाद हड़ताल पर जाने की कार्यवाही को टाल दिया गया था। तत्पश्चात एक सुलह समझौता हुआ था, जिसके उपरांत महासंघों और रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के बीच वार्ता का दौर चला था।  

ओएफबी, जो आयुध उपकरण निर्माण के क्षेत्र में संलग्न है, वर्तमान में डीडीपी के नियंत्रण के तहत एक सरकारी विभाग के तौर पर कार्य करती है, जिसे रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के द्वारा प्रशासित किया जाता है।

9 मार्च को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संबोधित करते हुए एक पत्र में महासंघों ने आरोप लगाया था कि रक्षा मंत्रालय ने डीडीपी के माध्यम से “बार-बार सुलह समझौते का उल्लंघन” किया है। इस संबंध में कर्मचारियों के निकायों ने उस महीने के अंत में सीएलसी के सामने अपनी औपचारिक शिकायत भी दर्ज करवाई थी।

बृहस्पतिवार को श्रीकुमार ने कहा “सीएलसी इस सबके दौरान एक मूक दर्शक बनी रही।” उन्होंने आरोप लगाया कि देश में एक शीर्षस्थ संगठन के तौर पर काम करने वाले के तौर पर इसका काम सौहार्द्यापूर्ण औद्योगिक संबंधों को बनाए रखने का है, लेकिन यह “पक्षपातपूर्ण” ढंग से अपना काम करती रही। श्रीकुमार ने आरोप लगाते हुए कहा “हमारी अनुपस्थिति में सीएलसी द्वारा मंगलवार को एक विफलता रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसके कारण [केंद्र] सरकार के लिए अपने निगमीकरण के फैसले पर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मीडिया के साथ बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि रक्षा कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि ओएफबी को एक कॉर्पोरेट निकाय में रूपांतरित किये जाने से रक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा- जो निगमीकरण के कदम के विरोध के पीछे की एक गंभीर वजह बनी हुई है।

हालिया कदम के बाद, द हिन्दू अखबार ने एक सरकारी अधिकारी को दावा करते हुए रिपोर्ट किया है कि ओएफबी के सभी कर्मचारियों को जो उत्पादन इकाइयों से सम्बद्ध हैं, को शुरू में दो वर्षों की अवधि के लिए, नव-गठित कॉर्पोरेट संस्थाओं में उनके केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों के रूप में उनकी सेवा शर्तों में बिना कोई बदलाव किये प्रतिनियुक्ति के तौर पर स्थानांतरित किया जायेगा।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्रीकुमार ने अफ़सोस जताते हुए कहा: “और फिर दो साल बाद क्या होगा? यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि अगर हाल-फिलहाल नहीं तो भविष्य में कर्मचारियों की सेवा शर्तों में फेरबदल कर दिया जायेगा।”

ओएफबी के निगमीकरण को मोदी सरकार द्वारा दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में लागू किये जाने वाले 167 “रुपान्तरणकारी विचारों” में से एक के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था। यह फैसला अंततः जुलाई 2020 को कोविड-19 महामारी के साये के तले कैबिनेट कमेटी की सुरक्षा पर बैठक में ले लिया गया।

एटक के अनुसार, अंततः निजीकरण होने जा रहा है

इस बीच आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने भी गुरुवार को मोदी सरकार की निंदा करते हुए इस कदम को एक “गलत समझ वाला फैसला” करार दिया है।

केन्द्रीय ट्रेड यूनियन ने अपने बयान में कहा है “किसी भी सरकारी विभाग के निगमीकरण का अर्थ है कि अंततः उसका निजीकरण किया जाना तय है... इसलिए आयुध कारखानों का निगमीकरण राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा तैयारियों के हितों के सर्वथा विपरीत है।”

बयान में आगे कहा गया है कि हालिया फैसला पिछले 20 वर्षों में 5 पूर्व रक्षा मंत्रियों के लिखित आश्वासनों का भी उल्लंघन करता है।

सीटू ने इसे ‘विनाशकारी फैसला’ बताया है 

गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने इसे केंद्र का “विनाशकारी फैसला” बताकर इस फैसले की निंदा की है। 

सीटू ने अपने बयान में कहा है “हमारे रक्षा बलों की पचहत्तर प्रतिशत से अधिक जरूरतों को हमारे आयुध कारखानों द्वारा सफलतापूर्वक और समय पर अद्वितीय दक्षता एवं सुनिश्चित गुणवत्ता के साथ उत्पादित और आपूर्ति की जा रही है। देश के आयुध कारखानों का नेटवर्क “आत्मनिर्भर भारत” की एक जीती-जागती मिसाल है, जिस वाक्यांश को मोदी सरकार द्वारा उत्पादन और सेवाओं से संबंधित क्षेत्रों में बड़े जोर-शोर से उछाला जाता है। आयुध कारखानों के नेटवर्क के मौजूदा ढांचे में इस प्रकार के आमूलचूल बदलाव के पीछे कोई कोई वैध समझ-बूझ नहीं है।” 

सीटू ने अपने बयान में आगे कहा है कि इस प्रकार के “विनाशकारी निगमीकरण अभियान” के पीछे की एकमात्र वजह इन कारखानों के “चरणबद्ध निजीकरण के लिए तैयार करने” से अधिक कुछ नहीं है। इसमें आगे कहा गया है “ यह केवल निजीकरण का मामला ही नहीं है, बल्कि बहु-आयामी मार्ग के जरिये विदेशी कॉर्पोरेट के प्रभुत्व के साथ निजीकरण का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Defence Federations To Discuss Indefinite Strike Against OFB Corporatisation

Ordnance Factory Board
OFB
corporatisation
AIDEF
INDWF
BPMS
Department of Defence Production
Ministry of Defence
Narendra modi
rajnath singh

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License