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दिल्ली: नाबालिग दलित लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या का आरोप, पुलिस ने नहीं दर्ज की रिपोर्ट
दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर क्षेत्र में आने वाले गुड़ मंडी क्षेत्र में यह घटना हुई है। परिजनों का कहना है कि 4 अक्टूबर को नाबालिग का बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। घटना के विरोध में एसएफआई समेत विभिन्न संगठनों ने 16 अक्टूबर को मॉडल टाऊन थाना पहुंचकर पीड़िता के परिवार के साथ विरोध-प्रदर्शन किया।
मुकुंद झा
17 Oct 2020
नाबालिग दलित लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या का आरोप
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और उसकी विधानसभा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर से करीब गुड़मंडी नामक एक बस्ती है। यहां पर कथित तौर पर बीते 4 अक्टूबर को एक नाबालिग दलित लड़की से बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गई है। मामले में पुलिस पर पीड़ित परिवार को प्रताड़ित करने के आरोप लग रहे हैं। परिवार और उनके शुभचिंतकों का कहना है कि पुलिस ने परिवार की शिकायत पर कार्रवाई करने के उल्टा परिवार के लोगों के साथ मारपीट की है।

इसको लेकर छात्रों ने कल यानी 16 अक्टूबर को मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन पर प्रदर्शन किया। लेकिन पुलिस ने उनकी मांग पर ध्यान देने के बजाय प्रदर्शनकारियों के साथ बदसलूकी की और महिलाओं के साथ हाथपाई की। यहां तक कि कुछ मीडिया वालों के साथ भी मारपीट की हुई।

क्या है पूरा मामला?

पीड़िता का परिवार बहुत ही गरीब है और लड़की भी परिवार की आर्थिक मदद हो सके इसलिए लोगों के घरो में काम करती थी। इस लड़की की माता का निधन जब यह 3 साल की थी तभी हो गया था उसके बाद इसके पिता ने भी इन्हें छोड़ दिया। पीड़िता अपने मौसी के रहती थी। इसकी मौसी-मौसा भी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। मौसा प्लम्बर का काम करते हैं जबकि मौसी घरों में काम किया करती हैं।

परिवार के मुताबिक लड़की की उम्र 17 साल है जो मॉडल टाउन में एक घर में काम करती थी। परिवार ने आरोप लगाया है कि मकान मालकिन के बेटे और उसके ड्राइवर द्वारा बलात्कार किया गया और 4 अक्टूबर को उसकी हत्या कर दी गई, जहाँ वह पिछले 10 दिनों (24 घंटे) से काम कर रही थी। घटना के दिन वह अपनी ‘मौसी’ को फोन पर कुछ बताना चाहती थी, लेकिन मकान मालकिन की मौजूदगी के कारण असमर्थ थी।

उसी दिन बाद में मकान मालकिन की बेटी लड़की की ‘मौसी’ को अपनी माँ यानी मालकिन के घर ले गई, जहां पहले से ही पुलिस बल की मौजूदगी थी, कुछ संघर्ष के बाद उसे पीड़िता को देखने की अनुमति दी गई, जो तब तक मर चुकी थी और उसका शव ड्राइवर के कमरे में लटकता हुआ मिला।

उसके बाद पुलिस ने घटना स्थल से शव को कब्जे में ले लिया और परिवार के लोग पीड़िता के शरीर का कोई पता नहीं लगा पाए। इसलिए वे मकान मालकिन के घर गए, जहां से ना केवल पुलिस ने परिवार के 12 सदस्यों जिसमे 8 महिला और 4 पुरुष थे, उन्हें गिरफ्तार किया, बल्कि उन्हें बेरहमी से पीटा और यहां तक कि गिरफ्तार की गई महिलाओं से पुरुष पुलिसकर्मी ने भी मारपीट की। इसके अलावा उन्होंने परिवार को लॉकअप में देर रात तक जबरदस्ती रखा।

अगले दिन पुलिस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई, जिसकी रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है। उसी दिन शाम तक पुलिस ने कुछ परिवार के सदस्यों की उपस्थिति (जबरन) में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया, जबकि परिवार को शव घर वापस लाने तक नहीं दिया गया। यहां तक कि पुलिस ने परिवार को पीड़िता के पूरे शव को देखने की अनुमति तक नहीं दी। ये सभी जानकारी पीड़ित पक्ष ने बताई है।

पीड़िता की मौसी ने रोते हुए कहा कि "हमे तो यह भी नहीं बताया गया कि मेरी बेटी मर गई है बाद में हमे पता चला कि वह मर गई है। अब पुलिस वाले हम से कह रहे हैं जाओ जो करना है कर लो हम रिपोर्ट नहीं देंगे (एफआईआर नहीं लिखेंगे),जाओ कोर्ट में जाओ हम कुछ नहीं करेंगे।"

जबकि उसके मौसा ने कहा "हम बस अपनी बच्ची के लिए न्याय चाहते है और कुछ नहीं '

अब तक मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन द्वारा कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। पुलिस इस पूरे मामले को आत्महत्या बता रही है जबकि परिवार इससे पूरी तरह से नकार रहा है।

इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो के बीच पहुंची जिसके बाद डीयू के छात्र और छात्र संगठनों के अलावा सभ्य समाज के लोगों ने 16 अक्टूबर को दिल्ली के मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया।

पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर मॉडल टाउन थाने के सामने इकट्ठा हुए एसएफआई सहित विभिन्न संगठनों के प्रदर्शनकारियों को पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटा गया और उन्हें जबरन हिरासत में लिया गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस स्टेशन के अंदर हिरासत में एक बंद कमरे के अंदर पुलिस ने उनके साथ मारपीट की।

दिल्ली में हाथरस की पुनरावृत्ति!

एसएफआई दिल्ली के अध्यक्ष सुमित कटारिया ने कहा, "हाथरस मामले की तरह ही, पुलिस भी गुड़मंडी से मारे गए पीड़ित के लिए न्याय से इनकार कर रही है। और न्याय मांगने वाले प्रदर्शनकारियों की आवाज को दबा रही है।" एसएफआई सहित सभी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की ओर से इस गंभीर लापरवाही और अन्याय का विरोध किया और मामले की तत्काल जांच की मांग की। सुमित ने कई गंभीर सवाल उठाए।

प्रदर्शनकारियों की मांग इस प्रकार है

  • इन सबके पीछे जो पुलिस अधिकारी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
  • पीड़ित को न्याय दिया जाना चाहिए और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • दोषियों के खिलाफ तुरंत बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया जाए।
  • इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
  • लड़की की लाश को जबरन जलाने के दोषी अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए।
  • लड़की के परिवार के 12 सदस्यों (8 महिला,4 पुरुष) को धाने के अंदर 8 घंटे तक पीटने और लगातार प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

हमने इस पूरे मामले में पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की और नार्थ वेस्ट डीसीपी से संपर्क किया तो उनके सहयोगी ने बताया कि अभी वो मीटिंग में है जबकि मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन फोन किया लेकिन किसी ने उठाने की जहमत नहीं उठाई। खबर लिखे जाने तक उनका पक्ष नहीं मिल सका है। जैसे ही कोई जानकारी मिलेगी ख़बर को अपडेट कर दी जाएगी।

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