NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली चुनाव: क्या मुफ़्त पानी का मुद्दा सत्ता दिलाएगा?
दिल्ली चुनाव में पानी को लेकर सियासत गर्म है। दिल्ली के सभी घरों को हर महीने 20,000 लीटर पानी निशुल्क मुहैया कराकर आप नेता अरविंद केजरीवाल में एक बड़ा दांव खेला है। लेकिन क्या यह मुद्दा केजरीवाल की दोबारा सत्ता में वापसी करा पाएगा। पढ़िए न्यूज़क्लिक की खास रिपोर्ट...
सोनिया यादव
06 Feb 2020
delhi election

'चंद चीजें फ्री बांटने से दिल्ली का भला नहीं होगा, बीजेपी दिल्ली की तकदीर और भविष्य बदलने का काम करेगी।' ये बयान केजरीवाल सरकार की फ्री योजनाओं पर तंज कसते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीजेपी का संकल्प पत्र जारी करते हुए दिया। हैरानी की बात ये है कि मौजूदा सरकार पर फ्री...फ्री..फ्री का ताना मारने वाली बीजेपी खुद मेनिफेस्टो में फ्री बिजली-पानी का वादा कर रही है।

2015 में आम आदमी पार्टी ने फ्री पानी देने की एक योजना शुरू की थी। इसका मकसद दिल्ली के हर घर तक पानी पहुंचाना था। इन पांच सालों में दिल्लीवासी पानी के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल सरकार से कितने संतुष्ट हैं, ये जानने के लिए न्यूज़क्लिक ने दौरा किया दिल्ली के कुछ इलाकों का और वहां के हालात जानने की कोशिश की...

हमने शुरुआत पूर्वी दिल्ली के सभापुर गांव से की। ये इलाका उत्तर प्रदेश से सटा हुआ है और यहां सप्लाई पाइपलाइन के अलावा बोरवेल से ग्राउंडवाटर और हैंडपंप जैसे स्त्रोतों से पानी की आपूर्ति होती है। यहां के लोगों का कहना है कि 4-5 साल पहले यहां के अधिकतर इलाकों में पानी की बहुत समस्या थी, खासकर गर्मी के समय में कोई सप्लाई की व्यवस्था नहीं थी लेकिन अब जगह-जगह सरकारी सप्लाई का पानी आ गया है।
munirka slum.jpg
यहां के प्रधान चौधरी विरेंद्र सिंह ने बताया, ये गांव का इलाका है इसलिए अभी भू-जल का स्तर भी ठीक है। लोगों के घरों में हैंडपंप लगे हुए हैं, सरकारी पंप भी है लेकिन गर्मियों के समय दिक्कत हो जाती थी क्योंकि पानी सूखने लगा था। अब गांव में पाइपलाइन की व्यवस्था होने से लोगों को राहत तो मिली है। यहां पानी की गुणवत्ता सही है, साथ ही फ्री पानी से लोग खुश भी हैं। हालांकि अभी गांव में इस पर बहुत काम होना बाकी है।

दिल्ली में पानी के अलग-अलग स्रोतों हैं। जैसे कई इलाकों में सरकारी सप्लाई वाटर जो पाइप लाइन के ज़रिए लोगों के घरों तक पहुंचता है। कहीं पानी की मेन पाइप लाइन से लोगों ने अनाधिकृत कनेक्शन लिए हुए हैं। कुछ इलाकों में अभी भी प्राइवेट या सरकारी वाटर टैंकर ऑपरेटर्स से काम चलता है। इसके अलावा बोरवेल से ग्राउंडवाटर और नदी या किसी जलधारा से खुला पानी भी इस्तेमाल होता है।

दिल्ली के संगम विहार से अक्सर पानी की किल्लत की खबरें आती हैं। इस इलाके के निवासियों का कहना है कि यहां पानी की गंभीर समस्या अभी भी है। गर्मियों के समय हाल बेहाल हो जाता है। कई बार 20-25 दिन तक पानी नहीं आता। कई बार मिट्टी वाला पानी आता है। ऐसे में स्टोर किए हुए पानी से काम चलाना पड़ता है। केजरीवाल सरकार के आने के बाद यहां कई ब्लाक्स में पानी की पाइपलाइन पहुंच गई है तो वहीं जे ब्लॉक के लोग अभी भी बोरिंग और टैंकरों के भरोसे काम चला रहे हैं। पीने के लिए लोग बाहर से बोतल का पानी ही मंगवाते हैं या लोगों ने आरो वॉटर प्यूरिफायर लगाए हुए हैँ।
delhi_water_shortage.jpeg
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सभी घरों को हर महीने 20,000 लीटर पानी निशुल्क मुहैया कराने का वादा किया था। इस स्कीम का फ़ायदा उन्हें ही मिलेगा जिन्होंने पानी का बिल भुगतान करने के लिए अपने घरों में वाटर मीटर इंस्टॉल कराया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2018-19 में दिल्ली में 29 लाख घरों में मीटर वाले पानी के कनेक्शन थे। आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली के 14 लाख घरों में इस स्कीम के तहत पीने का पानी मुफ़्त में दिया गया है।

दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में रहने वाले रमाकांत बताते हैं, ‘चार साल पहले हमारे इलाके में दो-दो हफ्ते पानी नहीं आता था लेकिन अब रोजाना सुबह 5 बजे से 11बजे तक पानी आता है। पाइपलाइन और बोरवेल यहां दोनों की व्यवस्था है, पानी के मीटर भी लगे हुए हैं। इसके अलावा हमारे यहां वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरे भी लग गए हैं। केजरीवाल सरकार ने हमारे क्षेत्र में बहुत काम किया है।'

रोहिणी में रहने वाले रोहित का कहना है कि उनके इलाके में पानी सुबह 7.30 से 9.00 तक आता है। शाम में भी एक घंटे के लिए और कई बार दोपहर में भी आ जाता है। यहां लगभग सभी घरों में मीटर हैं। पानी को लेकर यहां कोई दिक्कत नहीं होती साथ ही अगर कभी कोई पाइपलाइन रिपेयर हो रही हो तो पहले ही उसकी जानकारी लोगों तक दे दी जाती है साथ ही दिल्ली जल बोर्ड के टैंकर भी आ जाते हैं।
sangam vihar.jpg
आम आदमी पार्टी का कहना है कि उन्होंने टैंकर माफिया को लगभग खत्म कर दिया है। दिल्ली के जिन इलाक़ों में बिना इजाज़त के निर्माण कार्य किया गया है, वहां भी पानी के कनेक्शन इंस्टॉल करने का काम जारी है। उन्होंने दावा किया कि साल 2015-16 में जब वे चुनाव जीत कर आए थे, तब 1111 अनाधिकृत घरों में पानी का कनेक्शन था लेकिन अब ये आंकड़ा 1482 का है। दिल्ली में सरकारी ज़मीन पर 675 अवैध झुग्गी झोपड़ियां हैं लेकिन वहां पानी सप्लाई के मामले में कोई ज़्यादा तरक़्क़ी नहीं हो पाई है।

मुनिरका के किनारे बसी अवैध झुग्गियों में रहने वाले लोगों के यहां पूरे इलाके में पानी की दो-चार टोटी ही है। यहां लोग सरकारी पाइपलाइन से आने वाला पानी ही पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। सुबह-शाम पानी के लिए लोग लंबी कतारे लगाते हैं, प्लास्टिक के डब्बों में पानी भर कर रखते हैं। ये लोग आज भी दिल्ली सरकार के हर घर पानी के इंतजार में हैं। हालांकि लोगों का कहना है कि आप के नेता यहां आते हैं और अब पहले से ज्यादा पानी भी आता है।

पिछले पाँच साल में दिल्ली जल बोर्ड का बजट बताता है कि उन पर लगातार क़र्ज़ बढ़ता जा रहा है। साल 2015-16 में जब फ्री स्कीम शुरू हुई थी तब जल बोर्ड का बजट पहले से 2.2 अरब रुपये के घाटे में था। इस घाटे में एक हिस्सा उपभोक्ताओं को दी गई रियायतों का भी था। साल 2016-17 तक दिल्ली जल बोर्ड का बजट घाटा बढ़कर 5.16 अरब रुपये हो गया। लेकिन साल 2017-18 में दिल्ली जल बोर्ड को राज्य सरकार से मदद मिली है।
Indian-slum-010.jpg
इस संबंध में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता अक्षय मराठे ने कहा, 'लोगों के वाटर मीटर लगाने से पानी के बिल से आने वाला राजस्व बढ़ा है क्योंकि ज़्यादा लोगों ने अपने घरों में इंस्टॉल कराया है। दिल्ली जल बोर्ड के पूरे बजट को देखेंगे तो ये सही है कि राजस्व गिरा है क्योंकि पैसा नई पाइप लाइन बिछाने में और मौजूदा पाइप लाइनों की सफ़ाई में ख़र्च हो रहा है।'

पानी पर दिल्ली में लगातार सियासत तेज़ हो रही है। पूर्वी दिल्ली की एक रैली में स्मृति ईरानी ने केजरीवाल सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गरीबों से कह रहे हैं कि पानी की जगह जहर पियो और अहसान मानो क्योंकि मुफ्त दे रहा हूं। इससे पिछले साल ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स की एक रिपोर्ट में ये कहा गया था कि दिल्ली के सप्लाई वाटर की गुणवत्ता देश के प्रमुख शहरों में सबसे ख़राब है। जिसके बाद खाद्य एवं आपूर्ति मामले मंत्री रामविलास पासवान ने दिल्ली सरकार के पानी सप्लाई पर सवाल उठाए थे।

कई केंद्रीय नेता पानी के मामले को उठा कर केजरीवाल सरकार को घेरने की कोशिश कर चुके हैं। हालांकि दिल्ली सरकार ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए इसे ग़लत और राजनीति से प्रेरित बताया था। सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के पानी की गुणवत्ता को सही बताते हुए बीजेपी पर आरो मालिकों से सांठ-गांठ का आरोप लगाया। उन्होंने यहां तक कहा कि केंद्रीय मंत्री जब चाहे तब मैं पानी की जांच के लिए तैयार हूं।

स्वयंसेवी संगठन फोर्स की संयोजिका ज्योति शर्मा कहती हैं, ‘दिल्ली सरकार पानी को घर-घर पहुंचाने का काम तो कर रही है लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ करना बाकी है। मुफ्त पानी का फायदा उन्हें ही मिल सकता है जिनके यहां मीटर लगा है लेकिन मीटर लगवाने का खर्च बहुत ज्यादा है, ये 400 से कई बार कई हजारों में लगता है। ऐसे में हर कोई मीटर नहीं लगवा रहा है। सरकार को पानी बचाने के साथ ही बरसात का पानी जमीन के नीचे पहुंचाने की भी कोशिश करनी चाहिए। सरकार को पानी की मांग और आपूर्ति में समन्वय बैठाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि दिल्ली की एक रैली में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को यूपी में गंगा का उदाहरण देते हुए दिल्ली की यमुना में डुबकी लगाने की चुनौती दी थी। योगी ने तंज कसते हुए कहा था कि केजरीवाल दिल्ली की जनता को पीने का साफ पानी तक नहीं उपलब्ध करा पाए, पहले तो खुद खांसते थे अब पूरी दिल्ली को खांसने पर मजबूर कर दिया। लेकिन गांगा और यमुना के संदर्भ में विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा का पानी भी पीने लायक स्थिती में नहीं है। नमामी गंगे परियोजना का हाल भी खस्ता ही है। पिछले साल गंगा सफाई के लिए करीब 112 दिनों से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का निधन हो गया था। इससे पहले भी दो मातृसदन के दो संत अपनी जान दे चुके हैं।

Delhi Assembly 2020
AAP
BJP
Congress
Arvind Kejriwal
manoj tiwari
Free Water
delhi jal board

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License