NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली चुनाव : पीपल्स हेल्थ मेनिफ़ेस्टो बताता है कि पार्टियों को किस जगह ध्यान केंद्रित करना चाहिए
मेनिफ़ेस्टो में मोहल्ला क्लीनिक को सकारात्मक क़दम बताया गया है, लेकिन इसके क्रियान्वयन की कुछ ख़ामियों की ओर भी इशारा किया गया है, जिन पर तुरंत ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।
दित्सा भट्टाचार्या
06 Feb 2020
delhi election

जनता के स्वास्थ्य अधिकारों और सब लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच उपलब्ध कराने के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों के नेटवर्क ''जन स्वास्थ्य अभियान (JSA)'' की दिल्ली शाखा ने ''पीपल्स हेल्थ मेनिफ़ेस्टो, दिल्ली 2020'' जारी किया है। ध्यान रहे यह मेनिफ़ेस्टो दिल्ली में 8 फ़रवरी को होने वाली वोटिंग के ठीक पहले जारी किया गया है। मेनिफ़ेस्टो में कहा गया है कि दिल्ली में सभी लोगों के लिए ''राइट टू हेल्थ एंड हेल्थ केयर'' स्वास्थ्य नीतियों पर होने वाले विमर्श के केंद्र में होना चाहिए। मेनिफ़ेस्टो के मुताबिक़, ''हम हर एक व्यक्ति के लिए उच्च गुणवत्ता और आसान पहुंची वाली नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग करते हैं।'' 

दिल्ली में पिछले कुछ सालों में स्वास्थ्य पर ख़र्च बढ़ा है। यहां की सरकार अपने कुल ख़र्च का तेरह फ़ीसदी हिस्सा स्वास्थ्य पर ख़र्च करती है, जो दूसरे राज्यों के औसत ख़र्च से कहीं ज्यादा है। लेकिन JSA का कहना है कि ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्स (GSDP) की हिस्सेदारी के हिसाब से यह महज़ 0.65 फ़ीसदी है। पीपल्स मेनिफ़ेस्टो के मुताबिक़,''आने वाले समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ख़र्च को GSDP का दो फ़ीसदी करना चाहिए, जिसे दीर्घ अवधि में बढ़ाकर 3.5 फ़ीसदी किया जाना चाहिए।''

मेनिफ़ेस्टो में मोहल्ला क्लीनिक को सकारात्मक क़दम बताया है, लेकिन इनके क्रियान्वयन में कुछ ख़ामियों की ओर भी इशारा किया गया है, जिन पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत है। मेनिफ़ेस्टो के मुताबिक़,''दिल्ली की एक तिहाई आबादी को ही स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए करीब चार हजार मोहल्ला क्लीनिकों की जरूरत है, यह आंकड़ा फिलहाल मौजूद मोहल्ला क्लीनिकों की संख्या से दस गुना ज्यादा है। साथ ही, मोहल्ला क्लीनिकों को सरकारी स्वास्थ्य ढांचे से ज्यादा प्रभावी ढंग से जोड़े जाने की जरूरत है। खासकर निवारक सेवाओं, डॉयग्नोस्टिक, दवाओं की आपूर्ति और नियमित डॉक्टरों व दूसरे स्टॉफ की नियुक्ति से संबंधित मामलों में।''

मेनिफ़ेस्टो ने यह भी इंगित किया कि दिल्ली सरकार ने केंद्र के भारी दबाव के बावजूद ''आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना'' को नहीं अपनाया। दिल्ली के साथ कुछ दूसरे राज्यों ने भी इस योजना को लागू करने से इंकार किया है। मेनिफ़ेस्टो ने AB-PMJAY को ''सबसे बड़ी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप'' करार दिया है, जिसके ज़रिए ''सार्वजनिक पैसे का इस्तेमाल निजी मुनाफे'' के लिए किया जा रहा है। मेनिफ़ेस्टो इस बात की ओर भी ध्यान दिलाता है कि दिल्ली के स्वास्थ्य सेवाओं के ढ़ांचे को महंगे-खतरनाक निजी क्षेत्र से अलग होना होगा, जिसमें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप भी शामिल हैं।

मेनिफ़ेस्टों में यह भी कहा गया कि फिलहाल दिल्ली में 10 से ज्यादा सरकारी एजेंसियाँ और विभाग स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जिससे समन्वय मुश्किल होता है। मेनिफ़ेस्टो के मुताबिक़,''सरकारी स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किए जाने की जरूरत है, इन अलग-अलग संस्थानों को एक समन्वयकारी ढ़ांचे में जोड़ने और दिल्ली के सभी लोगों के लिए मुफ्त किए जाने की जरूरत है।''

मेनिफ़ेस्टो इंगित करता है कि हेल्थ वर्कफोर्स को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों के खाली पदों को भरना चाहिए, साथ ही उनको काम करने के लिए बेहतर स्थितियों का निर्माण किया जाना चाहिए। मेनिफ़ेस्टो के मुताबिक़ फिलहाल दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और दूसरे स्वास्थ्य कार्यक्रमों में नर्स और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की भारी कमी है। मेनिफ़ेस्टो कहता है,''सभी खाली पदों को तुरंत भरे जाने की जरूरत है, जिनमें नर्स और अलग-अलग फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स, सफाई कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, ASHAs, सुपरवाइजर और फील्ड कर्मचारियों पर खास ध्यान देने की जरूरत है।''  

मेनिफ़ेस्टो में बताया गया है कि इन खाली पदों के चलते स्वास्थ्य कर्मचारियों पर भारी दबाव पड़ता है, जिससे सेवाओं और सुरक्षा से समझौता होता है। इन पदों को भरने के लिए स्थायी भर्ती करनी चाहिए, कम वक्त के लिए कांट्रेक्ट भर्तियों जैसे अंतरिम तरीके नहीं अपनाए जाने चाहिए। मेनिफ़ेस्टो के मुताबिक़, ''कांट्रेक्ट पर भर्तियां करने से कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन, जातिगत भेदभाव, लैंगिक आधारित भेदभाव, पेशेगत सुरक्षा संबंधी चिंताओं और काम के लिए रिश्वत मांगे जाने का डर होता है।''

स्वास्थ्य: एक चुनावी मुद्दा?

दिल्ली विधानसभा चुनावों की तीन प्रमुख पार्टियां AAP, कांग्रेस और बीजेपी अपना मेनिफ़ेस्टो जारी कर चुकी हैं। हैरान करने वाली बात है कि आम आदमी पार्टी के मेनिफ़ेस्टो में स्वास्थ्य का बहुत कम ज़िक्र है। अरविंद केजरीवाल द्वारा दी गई दस गारंटियों में से एक गारंटी कहती है- हर परिवार को मोहल्ला क्लीनिक और स्टेट-ऑफ-द-आर्ट हॉस्पिटल के ज़रिए संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएंगी। इसके अलावा मेनिफ़ेस्टो में स्वास्थ्य का कहीं कोई ज़िक्र नहीं है।

कांग्रेस के मेनिफ़ेस्टो में स्वास्थ्य संबंधी सेक्शन, AAP द्वारा स्वास्थ्य बजट में आवंटित पूंजी के 32.14 फ़ीसदी हिस्से को ख़र्च न कर पाने की बात के साथ शुरू होता है। कांग्रेस का मेनिफ़ेस्टो कहता है,''स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित निधि या तो अपने आप निरस्त हो गई या इसका पैसा किसी दूसरे काम की तरफ मोड़ दिया गया। कांग्रेस स्वास्थ्य के लिए आवंटित निधि के 100 फ़ीसदी ख़र्च का वायदा करती है।'' मेनिफ़ेस्टो में हर साल एक हॉस्पिटल खोलने की बात है। लेकिन कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं है कि इन अस्पतालों के लिए कर्मचारी कहां से लाए जाएंगे। क्योंकि मौजूदा अस्पतालों में भी बड़े पैमाने पर पद खाली हैं। कांग्रेस ने 500 दिन तक लगातार या ब्रेक के साथ, कांट्रेक्ट या एड-हॉक व्यवस्था में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को स्थायी करने का वायदा भी किया है।

बीजेपी के मेनिफ़ेस्टो में स्वास्थ्य पर पहली बात AB-PMJAY को लागू करने संबंधी है। एक दूसरा वायदा शहर में 400 कल्याणकारी केंद्र खोलने का है, इन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत खोल जाएगा। बीजेपी ने हर साल स्वास्थ्य बजट में दस फ़ीसदी इज़ाफे की बात भी कही है। लेकिन यह सब बातें कोई मायने नहीं रखतीं, क्योंकि पार्टी आयुष्मान भारत योजना को लागू करने की बात कह रही है। जैसा इस योजना को लागू करने वाले दूसरे राज्यों में हुआ, दिल्ली में इस योजना के आने के बाद गरीब तबके को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Delhi Elections: People’s Health Manifesto Shows What Political Parties Need to Focus on

Delhi Polls
AAP
BJP
Congress
Jan Swasthya Abhiyan
People’s Health Movement India
People’s Health Manifesto Delhi
ayushman bharat
Arvind Kejriwal

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License