NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली: हाईकोर्ट ने CWC से निकाले गए सैकड़ों ठेका कर्मचारियों की पुनर्बहाली का दिया आदेश
ट्रेड यूनियन का कहना  हैं, ''यह फ़ैसला मील का पत्थर साबित होगा।" जबकि सीडब्ल्यूसी दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि वो इस आदेश को नहीं मानते और इसे वो चुनौती देंगे।
मुकुंद झा
18 May 2021
हाईकोर्ट

सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) के  पटपड़गंज  दिल्ली  में कई दशकों से काम कर रहे सैकड़ों मजदूरों को हटाए जाने के मामले में मज़दूरों  को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सभी निकाले गए कर्मचारियों की पुनःबहाली का आदेश दिया है। आपको बता दें कि इन सभी कर्मचारियों को ठेकेदार के बदलने के बाद काम से निकाल दिया गया था।

इस साल 6 जनवरी को सेन्ट्रल वेयर हाउसिंग कारपोरेशन, (सीडब्ल्यूसी) आईसीडी, पटपड़गंज के 300 मजदूरों, जो मुख्यत ढुलाई का काम करते थे, अचानक काम से निकाल दिए गए थे। इसके बाद मज़दूर निराशा थे और अपने हक़ के लिए उन्होंने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था।

ठेकेदार बदली होने पर प्रबंधन द्वारा लोडिंग-अनलोडिंग के कार्य में 1985 से कार्यरत 318 ठेका मजदूरों को 6 जनवरी 2021 से गैरकानूनी रूप से हटाए जाने के विषय पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश सुनाते हुए सभी कर्मियों को बहाल करने का आदेश दिया है। साथ ही इस कृत्य में मुख्य नियोजक सीडब्ल्यूसी के प्रबंधन की गलत भूमिका की आलोचना भी की है।
 

आपको बता दे ये केस 7 जनवरी 2021 को जरनल मज़दूर लाल झंडा यूनियन (सीटू) के सदस्य मजदूरों ने वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल व अनुज अग्रवाल के माध्यम से लगाया था। इसी में ये फैसला आया है।

सीडब्ल्यूसी, जो अनुसूची 'ए'-मिनी रत्न उद्यम होने का दावा करता है, ये उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। देश भर में  इसके 415 गोदामों और 25 आईसीडी के साथ, यह कृषि क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है, जिसमें वेयर हाउसिंग गतिविधियां शामिल हैं जो खाद्यान्न, या अन्य अधिसूचित वस्तुओं के भंडारण का कार्य करती हैं।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) - दिल्ली कमेटी ने सोमवार को एक बयान में कहा, "ये फैसला नियमित कार्य में संलग्न अन्य ठेका मजदूरों के न्याय के लिये संघर्ष में मील का पत्थर साबित होगा।"

उधर, सीडब्ल्यूसी दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि वो इस आदेश को उच्च न्यायालय की डिवीजनल बेंच के समक्ष चुनौती देंगे।

पिछले साल दिसंबर में, सीडब्ल्यूसी के पटपड़गंज डिपो में पूर्ववर्ती ठेकेदार "सुमन फॉरवर्डिंग एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड" को हटाकर "राहुल रोडवेज" को ले आए थे। जिसके बाद नए ठेकेदार ने पिछले संविदा कर्मचारियों को बहाल करने से इनकार कर दिया। 13 जनवरी को, एक अंतरिम आदेश में, उच्च न्यायालय ने अगले आदेश तक पीड़ित कर्मचारियों के संबंध में नए ठेकेदार को "यथास्थिति बनाए रखने" का निर्देश दिया था। हालाँकि मैनेजमेंट और ठेकदार ने इसे भी लागू नहीं किया था।  

अधिवक्ता अनुज अग्रवाल द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए मज़दूरों ने 20 जनवरी को अदालत में एक स्पष्टीकरण आवेदन दायर किया जिसमें दावा किया गया कि नए ठेकेदार ने श्रमिकों को "ड्यूटी फिर से शुरू करने" की अनुमति नहीं दी है, उन्होंने अदालत से अपने पिछले आदेश को "स्पष्ट" करने के लिए कहा है। आवेदन में कहा गया है कि श्रमिकों ने आखिरी बार अपने "मुख्य नियोक्ता" सीडब्ल्यूसी के साथ 5 जनवरी तक काम किया था।

दूसरी ओर, सीडब्ल्यूसी ने 8 फरवरी को कामगारों के स्पष्टीकरण आवेदन के जवाब में अदालत को बताया कि उसके और श्रमिकों के बीच "नियोक्ता और कर्मचारी का कोई संबंध नहीं है" और इन्हे पूर्व मज़दूर ठेकेदार द्वारा "नियोजित" किया गया था।

सोमवार को मामले में सभी पक्षों के जवाब दर्ज करने के बाद हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में बदलाव किया। आदेश में कहा गया है कि सीडब्ल्यूसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो कर्मचारी 05.01.2021 तक एसएफपीएल (सुमन फॉरवर्डिंग एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड) के रोल में थे यानी वो काम कर रहे थे,  वे अपने संबंधित प्रतिष्ठान में वापस काम रखेंगे।  वो भी … समान नियम और शर्तों पर… ही उनकी वापसी होगी।  

मज़दूरों ने सोमवार को तर्क दिया कि चूंकि श्रमिकों के नियमितीकरण से संबंधित विवाद वर्तमान में केंद्र सरकार के औद्योगिक न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल)के समक्ष लंबित है, इसलिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 33 को लागू किया जाना चाहिए। इस प्रावधान के अनुसार, सुलह प्रक्रिया के लंबित रहने के दौरान नियोक्ता को कामगारों की सेवाओं की शर्तों में "बदलाव" नहीं कर सकता है।

विभिन्न ठेकेदारों के तहत 30-35 वर्षों से सीडब्ल्यूसी में काम कर रहे श्रमिकों के एक वर्ग ने 2015 में ट्रिब्यूनल से संपर्क किया और तर्क दिया कि उनके द्वारा किए गए कर्तव्य "बारहमासी" प्रकृति के हैं और इस आधार पर नियमितीकरण की मांग की।

ठेका श्रमिक (विनियमन और उन्मूलन) (Contract Labour (Regulation and Abolition)) अधिनियम, 1970 के तहत ठेका श्रमिकों का रोजगार प्रतिबंधित है।

न्यायलय  ने सोमवार को सीडब्ल्यूसी को आदेश का पालन करने का निर्देश दिया और कहा जब तक कि ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित कार्यवाही में अंतिम निर्णय नहीं हो जाता है तब तक मज़दूरों को नहीं निकला जा सकता है ।

वकील अग्रवाल ने मंगलवार को न्यूज़क्लिक से बात की और फैसले के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा “यह देश में अनुबंध कार्यबल (ठेका श्रमिकों ) के लिए एक बहुत ही सकारात्मक निर्णय है। यह विशेष रूप से अनुबंध के आधार पर भी औद्योगिक विवाद अधिनियम (1947 के) की धारा 33 को लागू करने के लिए एक मिसाल कायम करता है।”

उन्होंने कहा कि यह देश भर के प्रतिष्ठानों में ठेका श्रमिकों की "कई अवैध छंटनी" को कानूनी रूप से चुनौती देने में मदद करेगा।

न्यूज़क्लिक ने सीडब्ल्यूसी के दिल्ली कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से भी संपर्क किया, जिन्होंने दावा किया कि यह "गलत आदेश" है। उन्होंने कहा, "हम इसे उच्च न्यायलय की डिवीजनल बेंच के सामने चुनौती देंगे," उन्होंने जोर देकर कहा कि यह "यथास्थिति बनाए रखने के लिए सीडब्ल्यूसी की जिम्मेदारी नहीं है।"

सीटू-दिल्ली के महासचिव अनुराग सक्सेना ने फैसले का स्वागत किया। यह पूछे जाने पर कि यदि श्रमिकों को अभी भी बहाल नहीं किया गया तो क्या किया जाएगा, उन्होंने कहा, "यूनियन कानूनी उपायों के माध्यम से और आंदोलनों के माध्यम से भी इन श्रमिकों के अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी।"

59 वर्षीय बरसाती, जो सीडब्लूसी के एक ठेका कर्मचारी और वो मज़दूर यूनियन के नेता भी हैं। जिन्होंने पहले अदालत का दरवाजा खटखटाया था,  मंगलवार को चिंतित थे।  उन्होंने कहा “जनवरी से, हमारा मासिक वेतन बंद हो गया है। कोई स्थायी नौकरी नहीं है - हममें से कई लोग अपना गुज़ारा करने के लिए दैनिक मजदूरी का काम मिलने पर कर लेते है। लेकिन वह भी अब तालाबंदी के कारण बंद हो गया है। ऐसे में अभी हमारे सामने गंभीर संकट है।  

सोमवार के फैसले पर, उन्होंने कहा, “यह अच्छा है कि फैसला हमारे पक्ष में आया परन्तु मज़दूरों को उनकी बहाली के बाद ही राहत मिलेगी । बरसती ने अफसोस जताया और कहा "अगर ऐसा हो भी जाता है तब भी  हमारा संघर्ष यहीं नहीं रुकेगा क्योंकि हमें नियमित नौकरियों की जरूरत है।"

Delhi High court
cwc
Central Ware Housing Corporation
CITU
Contract Labour
Regulation and Abolition

Related Stories

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License