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आंदोलन
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राजनीति
दिल्ली : स्वतंत्र पत्रकार मनदीप की रिहाई की मांग को लेकर पत्रकारों ने छेड़ा अभियान
युवा पत्रकार मनदीप पुनिया किसान आंदोलन को शुरुआत से ग्राउंड से रिपोर्ट कर रहे हैं। बताया जा रहा कि पुलिस ने उनपर कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Jan 2021
मनदीप

दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन को कवर कर रहे स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को शनिवार को हिरासत में ले लिया। कई घंटों तक पता ही नहीं चला की पुलिस उन्हें कहाँ ले गई लेकिन अभी मिल रही जानकारी के मुताबिक पुलिस उन्हें स्वरूप नगर ठाणे से अलीनगर थाने लेकर आई है। बताया जा रहा है कि मनदीप पुनिया पर कई धाराओं में पुलिस ने मुक़दमा दर्ज किया है। पुलिस ने उन पर सिंघु बॉर्डर पर दिल्‍ली पुलिस के एसएचओ से अभद्रता करने और सरकारी काम में बाधा पहुँचाने के आरोप लगाए गए हैं।

आपको बता दें कि युवा पत्रकार मनदीप पुनिया किसान आंदोलन के शुरुआती दौर से ग्राउंड से रिपोर्ट कर रहे हैं। वो अधिकांशत ‘जनपथ’ और ‘कारवां’ वेबसाइट के लिए रिपोर्ट करते थे। क्योंकि वो स्वतंत्र पत्रकार थे तो उनके पास किसी संस्थान का आईडी कार्ड नहीं था।

जानकरी के मुताबिक ऑनलाइन इण्डिया के पत्रकार धर्मेंद्र को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। जबकि मनदीप अभी भी पुलिस हिरासत में हैं। पुलिस का कहना है कि धर्मेंद्र सिंह नाम के एक अन्‍य पत्रकार को भी कुछ समय के लिए प‍कड़ा गया था, लेकिन उन्‍होंने अपना प्रेस आईडी कार्ड दिखाया तो उन्‍हें जाने दिया गया।

घटना का एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें दिख रहा है कि बड़ी संख्‍या में पुलिसकर्मी मनदीप पुनिया को लाठी के बल पर जबरन ले जा रहे हैं।

हिरासत में लिए जाने से कुछ घंटे पहले पत्रकार पुनिया ने शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई हिंसा के संबंध में फेसबुक पर एक लाइव वीडियो शेयर किया था। इसमें उन्‍होंने जानकारी दी थी कि कैसे खुद को स्‍थानीय लोग होने का दावा करने वाली भीड़ ने आंदोलनस्‍थल पर पुलिस की मौजूदगी में पथराव किया था।

दिल्ली और देश के कई पत्रकार सोशल मिडिया के माध्यम से मनदीप की रिहाई की मांग उठा रहे हैं। आज रविवार को दिल्ली मुख्यालय में इसको विरोध प्रदर्शन का भी आह्वान किया गया है।

सोशल मीडिया पर जो संदेश है उसके मुताबिक किसान आंदोलन को कवर कर रहे निष्पक्ष पत्रकारों की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ जनसरोकार से जुड़े पत्रकारों का समूह दिल्ली पुलिस के नए हेडक्वॉर्टर (पटेल चौक) पर इकट्ठा हो रहा है।

कहा गया है कि “आप किसानों को बॉर्डर पर रोक सकते हैं पत्रकारों को नहीं। अन्याय के ख़िलाफ़ इस खुले युद्ध में चौतरफ़ा घेराव की ज़रूरत आन पड़ी है।”

पत्रकार की गिरफ़्तारी के साथ ही ट्विटर पर हैशटैग #releasemandip #releasemandippunia लगातर ट्रेंड कर रहा है। पत्रकार समुदाय पुलिस की इस कार्रवाई की लगातार निंदा कर रहा है। इसे स्वतंत्र आवाज़ को दबाने के कोशिश कहा जा रहा है।

हाल की कई घटनाएं दिल्ली पुलिस के रवैये पर सवाल उठाती हैं। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और हिंसा पर रिपोर्टिंग को लेकर छह वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों के खिलाफ देशद्रोह जैसे आरोप में मामले दर्ज किये जाने की मीडिया संगठनों ने शनिवार को निंदा की और आरोप लगाया कि देश में ‘अघोषित आपातकाल’ जैसे हालात हैं।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, इंडियन वीमेन्स प्रेस कोर, दिल्ली पत्रकार संघ और भारतीय पत्रकार संघ समेत अनेक मीडिया संगठनों ने विरोध स्वरूप बैठक की और पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज किये जाने की निंदा की है।

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