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दिल्ली: वेतन न मिलने पर शिक्षकों की हड़ताल जारी, डॉक्टरों की सामूहिक इस्तीफ़ा देने की चेतावनी
कोरोना संकट में भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने आठ हजार शिक्षकों और कई अस्पतालों के डॉक्टरों को तीन महीने से वेतन नहीं दिया है। जिससे परेशान होकर शिक्षक भूख हड़ताल पर हैं। जबकि डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफ़ा देने की चेतावनी दी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Jun 2020
 शिक्षकों की हड़ताल

कोरोना के समय भी कोरोना योद्धा कहे जाने वाले लोगों को दिल्ली में वेतन नहीं मिल रहा है। जिससे संकट गहराता जा रहा है। दिल्ली नगर निगम के करीब आठ हजार एमसीडी शिक्षकों को पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं दी गई है। यही हाल निगम के डॉक्टरों का भी है। नगर निगम के सबसे बड़े अस्पताल बड़ा हिंदूराव और कस्तूरबा अस्पताल में भी कई महीने से वेतन नहीं मिला है।

शिक्षकों का कहना है कि इस वायरस से पैदा हुए संकट और वेतन न मिलने की वजह से घर नहीं चला पा रहे हैं। इससे परेशान शिक्षकों ने अब भूख हड़ताल का रास्ता अपनाया है। लेकिन दिल्ली सरकार और निगम को इन कर्मचारियों की चिंता नहीं दिख रही है, दोनों के अपने दावे है लेकिन कर्मचारी बिना वेतन के इस महामारी में काम करने को मज़बूर हैं। दिल्ली सरकार कह ही है कि उसने पैसे दे दिए हैं लेकिन एमसीडी अधिकारी और नेता कहते हैं कि सैलरी के लिए कोई पैसा नहीं मिला है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है नगर निगम और दिल्ली सरकार के बीच यह खींचतान पिछले कई सालों से जारी है। खासतौर पर पिछले कुछ सालों में उत्तरी नगर निगम की हालत बहुत बुरी है। इस निकाय के कर्मचारियों के वेतन में अनियमितता और उनका प्रदर्शन आम हो गया है।

इसे भी पढ़ें : दिल्ली : क्या सरकार ने शिक्षकों को कोरोना की जंग में अकेला छोड़ दिया है?

वेतन न मिलने पर शिक्षकों की हड़ताल

तीन माह से वेतन न मिलने पर अब एनडीएमसी के कर्मियों ने हड़ताल का रास्ता अपना लिया है। निगम के शिक्षकों ने सोमवार से काम बंद करके हड़ताल शुरू कर दी। जिससे राशन वितरण का कार्य प्रभावित हुआ। शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के अध्यक्ष कुलदीप खत्री ने कहा कि निगम शिक्षक तीन माह से बिना वेतन के ही काम कर रहे हैं। इस दौरान कई शिक्षक कोरोना से संक्रमित भी हो गए फिर भी निगम प्रशासन उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। तीन माह से वेतन न मिलने की वजह से शिक्षक अपने बैंक की लोन की किस्त नहीं भर पा रहे है, इसके अलावा कई शिक्षकों के घर में खाने तक की दिक्कत हो रही है।

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शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के नेतृत्व में उत्तरी दिल्ली के कई स्कूलों में भूख हड़ताल जारी है, शिक्षक स्कtल आते है और वहां वो भूख हड़ताल पर रहते हैं।

ये अकेले शिक्षकों की समस्या नहीं है, दिल्ली में कस्तूरबा और हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों के साथ पिछले कई महीनों से ऐसा ही हो रहा है।

डॉक्टरो की चेतावनी अगर जल्द वेतन नहीं दिया तो देंगे सामूहिक इस्तीफ़ा

दिल्ली में नगर निगम का सबसे बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज हिंदूराव के डॉक्टरों को पिछले चार महीने से और दरियागंज स्थित कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। ये दोनों ही अस्पताल एनडीएमसी के अंतर्गत आते हैं। इसको लेकर डॉक्टरों ने कई बार शिकायत की है लेकिन कोई भी सुनवाई न होने पर रेज़िडेंट डॉक्टर्सों के संगठन ने अब अस्पताल प्रशासन को चिट्ठी लिखकर सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा देने की चेतावनी दी है।

आपको बता दें दिल्ली के नगर निगम में पिछले कई सालो ने भाजपा काबिज़ हैं। परन्तु जबसे  दिल्ली नगर निगम को तीन भागो में बाँट गया है तब से नगर निगमों की स्थति और भी बदतर हुई है। बहुत लोग कहते हैं कि नगर निगम के कार्यलय भ्रष्टाचार का अड्डा हैं, उससे अधिक कुछ भी नहीं। दिल्ली सहित पूरे देश में कोरोना महामारी है। ऐसे में देश के सभी संस्था इससे लड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन इस दौरन भी दिल्ली के नगर निगम की भूमिका सवालों के घेरे में है। दिल्ली में लगभग 3500 बेड नगर निगमों के अस्पतालों में है लेकिन उनके अस्पतालों में एक भी कोरोना मरीज़ का इलाज़ नहीं किया जा रहा है। इलाज़ छोड़िए वो कर्मचारी जो अपनी जान जोख़िम में डालकर लोगो की सेवा कर रहे है चाहे वो स्कूल के शिक्षक हों जो राशन और खाना बाँट रहे हों, या कोई डॉक्टर जिन्हे इस महामारी के दौरान योद्धा कहा जा रहा है, उनमें से किसी को भी वेतन नहीं दिया जा रहा है।

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नगर निगम में कर्मचारियों को वेतन न मिलना अब आम बात हो गई हैं। निगम के कर्मचारी ने कहा कि 'जो विभाग हड़ताल पर जाता है उन्हें वेतन दिया जाता है। बाक़ी कभी भी समय से वेतन नहीं दिया जाता है।'

हिंदूराव हॉस्पिटल में रेज़िडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अभिमन्यु सरदाना का कहना है कि एनडीएमसी के अस्पतालों में सही समय पर तनख़्वाह न मिलना आम बात है।

हिंदूराव हॉस्पिटल में न सिर्फ़ डॉक्टरों बल्कि नर्सों और अन्य स्वास्थकर्मियों को भी वेतन नहीं मिला है। डॉक्टर अभिमन्यु ने बताया कि यहां 500 से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मी हैं।

कस्तूरबा हॉस्पिटल के डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। यहां भी रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रशासन को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि अगर 16 जून तक वेतन न मिला तो उन्हें इस्तीफ़ा देने पर मजबूर होना पड़ेगा।

हर बार की तरह इसबार भी निगम फंड की कमी का हवाला दे रहा है। जब भी कर्मचारी अपना वेतन मांगते है निगम के अधिकारी दिल्ली सरकार से फंड रिलीज़ नहीं होने की बात कहते हैं। जबकि दिल्ली सरकार साफतौर पर कह रही है कि निगम का उसने कोई भी फंड नहीं रोका है। सरकार और निगम को चाहिए की इस समस्या का कोई स्थायी समाधान ढूंढे। जिससे कर्मचारियों को दिक्क्त का सामना न करना पड़े। 

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