NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
समाज
भारत
लगातार मोर्चे पर डटे हैं डीयू के एडहॉक शिक्षक, धरना जारी, फिर मार्च की तैयारी
पुलिस से झड़प और वाटर कैनन झेलने के बाद भी डीयू के तदर्थ शिक्षक परमानेंट की मांग को लेकर अपने आंदोलन पर डटे हैं। बुधवार को भी उनका धरना जारी है और एक बार फिर वे मार्च निकालने के लिए तैयार हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Dec 2019
Duta

देश में शिक्षा व्यवस्था के हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। एक ओर मंहगी शिक्षा को लेकर छात्र सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं शिक्षक भी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर चुके हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक बीते 4 दिसंबर से हड़ताल पर हैं और स्थायी समायोजन की मांग कर रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन यानी डूटा के नेतृत्व में सोमवार 9 दिसंबर के बाद मंगलवार 10 दिसंबर को भी महारैली का आयोजन किया गया। इस दौरान शिक्षकोंं ने कुलपति कार्यालय पर बड़ी संख्या में एकत्र होकर मार्च निकाला और पुलिस के रोकने पर दो जगहों पर बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढ़ गए। इस दौरान पुलिस के साथ झड़प की भी खबरेंं आईं। जिसके बाद शिक्षकों को हटाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग के साथ पानी की बौछार की। इस दौरान 12 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। प्रदर्शन के बाद शिक्षक खालसा कॉलेज होते हुए फिर डीयू कुलपति कार्यालय के बाहर पहुंच गए और देर शाम तक वहीं डटे हुए थे।

प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि सरकार अपने वायदे को पूरा करे, सभी एडहॉक यानी तदर्थ शिक्षकों का समायोजन करने के साथ उन्हें स्थायी किया जाए। शिक्षकों की वर्षों से रुकी हुई पदोन्नति हो और सरकार नई शिक्षा नीति रद्द करे।

प्रदर्शन में शामिल मैत्री कॉलेज की शिक्षिका अनीता सिंह ने बताया, ‘सरकार और प्रशासन हमारी मांगे सुनने को तैयार नहीं है। हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। हमारी मांग है कि डीयू कुलपति को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। हम कई सालों से यहां पढ़ा रहे हैं, इसके बावजूद हमें स्थायी करने के बजाय समय-समय पर नौकरी से निकालने का डर दिखाया जाता है।'

79660181_2669036793190624_3928875991769808896_n.jpg

हिंदू कॉलेज के एक अन्य शिक्षक आशुतोष सिंह ने न्यूज़क्लिक से कहा, ‘यहां शिक्षकों पर पानी की बौछारें की गईं, पुसिल हमारे साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। हम अपराधी नहीं हैं, हम केवल अपना हक़ चाहते हैं। सरकार सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर क्यों नहीं कर रही, उल्टा शिक्षकों से गैर कानूनी रिकवरी हो रही है।'

आक्रोशित शिक्षकों का कहना है कि आखिर पुलिस हमें किस बात की सज़ा दे रही है। शिक्षकों पर बल प्रयोग किया जा रहा है। हम यह बर्बरता नहीं सहेंगे। आखिर शिक्षकों की नियुक्तियां क्यों नहीं शुरू की गई?

डूटा के संयुक्त सचिव प्रेमचंद ने कहा, 'आज डीयू की इस दयनीय स्थिति के लिए केंद्र सरकार और डीयू के कुलपति जिम्मेदार हैं। अस्थायी शिक्षकों का आंदोलन अब थमने वाला नहीं है। यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक कि कोई निश्चित समाधान नहीं निकल जाता।

डीयू शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडेय ने बताया कि शिक्षक शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे थे लेकिन पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की। 12 से अधिक शिक्षक घायल हुए, ये निंदनीय है।

इस संबंध में दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ अनिल मित्तल ने कहा कि करीब 500 से अधिक टीचर रिंग रोड की ओर बढ़ रहे थे। जिन्हें डीयू कैंपस एरिया में बैरिकेड लगाकर रोक लिया था। रिंग रोड पर आने से जाम लगने का डर था।

डीयू के ईसी मेंबर डॉ. राजेश झा ने बताया कि पुलिस के वॉटर कैनन के इस्तेमाल करने से कुछ टीचर्स को चोट भी आईं। डॉ. पंकज गर्ग ने बताया कि करीब 4:45 पर उन पर हमला किया। शांति से प्रदर्शन कर रहे टीचर्स पर यह बल प्रयोग निंदनीय है। प्रदर्शन के बाद टीचर्स वापस वीसी ऑफिस पहुंच गए। धरना अभी भी जारी है।

78645248_10157815809108245_9168023712434225152_n.jpg

दयाल सिंह कॉलेज के प्रोफेसर राजीव कुँवर ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘ सरकार ने 28 अगस्त के सर्कुलर को वापस ले लिया है, जिसमें गेस्ट टीचर नियुक्ति की बात थी। लेकिन अभी हमारा संघर्ष एडहॉक शिक्षकों को परमानेंट करने की मांग को लेकर जारी है। सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है, हम इसका विरोध कर रहे हैं। हमारा धरना अभी जारी है और आज, बुधवार, 11 दिसंबर की शाम को हम दोबारा मार्च निकालेंगे।'

गौरतलब है कि डीयू में मंगलवार को शिक्षकों का मार्च पूर्व निर्धारित था। बड़ी संख्या में शिक्षक डीयू कुलपति कार्यालय के बाहर जमा हो गए। शिक्षकों ने तीन नंबर गेट से नारेबाजी करते हुए मार्च निकाला। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन शिक्षक बैरिकेड तोड़कर कुलपति आवास की तरफ बढ़ने लगे। यहां मजबूत बैरिकेडिंग कर पुलिस ने उन्हें रोक दिया तो शिक्षक एसओएल के रास्ते ग्वायर हॉल हॉस्टल की तरफ मुड़ गए। वहां भी शिक्षकों ने बैरिकेड को तोड़ दिया और माल रोड की तरफ बढ़ने लगे। पुलिस ने शिक्षकों को रोकने के लिए पानी की बौछार शुरू कर दी। लेकिन, इससे शिक्षक रुके नहीं और खालसा कॉलेज होते हुए फिर डीयू कुलपति कार्यालय के बाहर जमा हो गए।

Delhi University
Delhi University Teachers Association
DUTA
Ad-hoc Teachers
Prakash Javadekar
ramesh pokhriyal
BJP
Teachers’ Protest
Higher Education Institutes
Absorption
Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank
Narendra modi

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License