NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
आंगनवाड़ी की महिलाएं बार-बार सड़कों पर उतरने को क्यों हैं मजबूर?
प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा घोषणाओं और आश्वासनों के बावजूद उन्हें अभी तक उनका सही बकाया नहीं मिला है। एक ओर दिल्ली सरकार ने उनका मानदेय घटा दिया है तो वहीं दूसरी ओर उनके काम का बोझ भी बढ़ा दिया है।
सोनिया यादव
23 Feb 2022
protest
image credit- Social media

दिल्ली में सैकड़ों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बीते 23 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। मानदेय में वृद्धि, पेंशन, बीमा जैसी सुविधाओं और सरकारी कर्मचारी के दर्जे की मांग को लेकर धरने पर बैठी इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा घोषणाओं और आश्वासनों के बावजूद उन्हें अभी तक उनका सही बकाया नहीं मिला है। एक ओर उन्हें 2018 में घोषित वेतन वृद्धि अभी तक नहीं मिली है, तो वहीं दिल्ली सरकार ने उनका मानदेय घटा दिया और उनके काम का बोझ भी बढ़ा दिया।

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब इन आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने विरोध प्रदर्शन किया है। अपने कम वेतन और बढ़ते काम के बोझ से परेशान होकर बीते साल सितंबर 2021 में भी हजारों आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतर आयी थीं। तब दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों पर एक सप्ताह के भीतर अमल किया जाएगा। हालांकि, तब से चार महीने बीत चुके हैं और अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। जिसके चलते अब एक बार फिर 31 जनवरी से लाल झंडा थामे ये हज़ारों आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां और सहायिकाएं सीएम आवास के पास धरना देने को मज़बूर हैं।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली राज्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ के अनुसार 58 दिनों की हड़ताल के बाद दिल्ली में मानदेय पिछली बार अगस्त 2017 में बढ़ाया गया था। तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से वेतन वृद्धि की अंतिम घोषणा 11 सितंबर 2018 को की गई थी। लेकिन यह घोषणा जुमला साबित हुई और आज तक इन कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को घोषित राशि नहीं मिली।

संघ के लिखित बयान में कहा गया है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मानदेय वृद्धि के बजाय सितंबर 2019 में एक अधिसूचना जारी कर इसमें कटौती का ऐलान कर दिया। सरकार ने श्रमिकों और सहायकों के मानदेय में अपने हिस्से से क्रमशः 900 और 450 रुपये की कटौती कर दी, जो उनके बढ़के काम के बोझ को और बोझिल बना रहा है।

प्रदर्शन में शामिल एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रजनी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि अभी दिल्ली मेें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को मासिक मानदेय केवल 9,678 रुपये मिलते हैं और सहायिका को 4,839 रुपये का भुगतान किया जाता है। साल 2018 में पीएम मोदी ने खुद घोषणा की थी कि 1 अक्टूबर से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 1500 रुपये अतिरिक्त और सहायिकाओं को 750 रुपये अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा लेकिन अब तक हमें कोई बढ़ा हुआ पैसा नहीं मिला है, उल्टा महामारी काल में हमारा कम बढ़ गया है।

एक अन्य प्रदर्शनकारी सहायिका ने कहा कि इस साल 6 जनवरी को एक दिन की हड़ताल की घोषणा की गई थी, लेकिन कोविड की तीसरी लहर के अलर्ट के कारण यूनियन के सदस्यों ने 6 जनवरी के बाद हड़ताल जारी नहीं रखी। लेकिन तब भी सरकार ने हमारी मांगों को अनसुना कर दिया था और अब भी वही कर रही है।

दिल्ली राज्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका संघ के मुताबिक दिल्ली सरकार महिला सशक्तिकरण की बात तो करती है, लेकिन एकीकृत बाल विकास परियोजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं में काम करने वाली महिला श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी तो दूर 'कर्मचारी' का दर्जा भी नहीं देती है।

मालूम हो कि दिल्ली सरकार ने अपनी हालिया जारी अधिसूचना में आंगनवाड़ी केंद्रों में महिला कार्यकर्ताओं के कार्य दिवसों को बढ़ाने और सहेली क्वार्डिनेटर सेंटर में भी उनसे काम लेने का निर्णय लिया था। ये उनके काम का विस्तार है, जो घटते मानदेय के साथ उन्हें कतई मंजूर नहीं है।

देशभर के कई राज्यों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

गौरतलब है कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं देशभर के कई राज्यों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपने मानदेय बढ़ोत्तरी और अन्य मांगों को लेकर समय-समय पर हड़ताल और प्रदर्शन करती रही हैं। ये कार्यकर्ता और सहायिका जाति, नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं से संबंधित सभी प्रकार के डेटा इकट्ठा करती हैं और घर-घर को जागरूक करने के काम भी करती हैं। महामारी काल के दौरान भी इनकी सेवाएं निरंतर जारी रहीं, जिसके चलते कई कार्यकत्रियों की मौत की खबर भी सामने आई। मुआवजे और मौत के बाद परिवार की अन्य महिला सदस्यों को नौकरी की मांग को लेकर भी इन कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया, हालांकि इन्हें तब भी कोई खास सफलता नहीं मिली।

हालांकि ये हमारी सरकारों की नाकामी ही थी कि महामारी के पहले दौर में इन महिलाओं को घर-घर राशन बांटने सहित तमाम अन्य कामों में बिना तैयारी यानी सैनिटाइज़र, मास्क या किट उपलब्ध कराए ही लगा दिया गया। जो कहीं न कहीं इनके साथ-साथ इनके परिवारों की जान को भी जोखिम में डालने जैसा था। इसके अलावा पोषण ट्रैकर ऐप, जिसे 2018 में पोषण संबंधी परिणामों की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक शासन उपकरण के रूप में लॉन्च किया गया था, उसकी खामियां भी इन कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए किसी मुसीबत से कम नही है।

लोकसभा में प्रस्तुत नवीनतम आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्र हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इन केंद्रों का संचालन 13 लाख 25 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 11 लाख 81 हजार सहायिकाओं के जरिए किया जाता है। ये कार्यकर्ता मुख्यतः देश के ग्रामीण इलाकों में काम करती हैं, ऐसे में पोषण ट्रैकर ऐप का उपयोग करने के बारे में कोई उचित प्रशिक्षण नहीं दिया जाना भी इनके लिए एक सिरदर्दी है।

बहरहाल, कुल मिलाकर देखें तो राष्ट्रीय स्तर पर 2016-17 में आंगनबाड़ियों के लिए 15,000 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया था। इसके बाद के कुछ सालों में मामूली इजाफे के अलावा 2018-19 में यह बढ़कर 16,882 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वर्ष 2019-20 में इसमें 3000 करोड़ रुपये से अधिक का उछाल देखा गया और यह बढ़ कर 20,000 करोड़ रुपये हो गया। आंकड़ों के मुताबिक यह आंकड़ा 2022-23 के ताजा बजट में भी इसके आसपास ही है। ऐसे में ये सोचने वाली बात है कि आखिर बजट का ये पैसा इन कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के काम कैसे नहीं आ रहा और ये बार-बार सड़कों पर उतरने को मजबूर क्यों हो रही हैं।

Anganwadi Workers
Arvind Kejriwal
Modi government
Indefinite Strike
Anganwadi Workers and Helpers Union

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़, यूनियन ने बताया ऐतिहासिक निर्णय

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License