NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
भारत
राजनीति
दिल्ली: बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फिर फैक्ट्री में लगी आग, मज़दूरों ने उठाए गंभीर सवाल
प्लास्टिक दाना बनाने की फैक्ट्री में हुए इस हादसे में किसी भी मज़दूर के हताहत होने की सूचना नहीं है। मज़दूरों के मुताबिक जिस फैक्ट्री में यह हादसा हुआ वहां लगभग 35 लोग काम करते थे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 Oct 2020
फैक्ट्री में लगी आग

दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में एकबार फिर प्लास्टिक का दाना बनाने की फैक्ट्री में सोमवार दोपहर आग लग गई। आग लगने की सूचना पर पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की 30 से अधिक गाड़ियों को मौके पर लगाया गया। परन्तु आग इतनी भयावह थी कि खबर लिखे जाने तक यानि मंगलवार दोपहर 12 बजे तक इस पर काबू नहीं पाया जा सका था। हालांकि राहत भरी खबर यह रही कि इस हादसे में किसी भी मज़दूर की हताहत होने की सूचना नहीं है।

आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। दमकलकर्मियों के अनुसार मौके पर फिलहाल ऑपरेशन चल रहा है कुछ भी कहा जा सकता है।

आपको बता दें बवाना औद्योगिक क्षेत्र यह कोई पहली घटना नहीं है। यहां इस तरह की घटना लगातार घटित होती रहती है लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इस औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्लास्टिक दाने का काम होता है। मज़दूरों के मुताबिक जिस फैक्ट्री में यह हादसा हुआ वहां लगभग 35 मज़दूर काम करते थे। जिस वक्त आग लगी थी, उस समय सारे मज़दूर फैक्ट्री में ही थे। लेकिन आग बेसमेंट में लगी थी इस वजह से मज़दूरों को निकलने का थोड़ा समय मिल गया।

इसे भी पढ़ें :-दिल्ली : राजधानी में भी अमानवीय स्थितियों में जीने को मजबूर हैं मज़दूर

मजदूरों और दमकलकर्मियों के मुताबिक जिस फैक्ट्री में आग लगी वह लगभग 500 गज में है और वहां एक ही बिल्डिंग में कपड़े और प्लास्टिक दोनों की फैक्ट्री थी। जहाँ किसी आपात स्थिति के लिए कोई भी इमरजेंसी गेट नहीं था और न ही वहां आग से निपटने के लिए कोई पुख्ता सुरक्षा के उपकरण थे। इस हादसे में समय रहते मज़दूर निकल गए वरना फिर वही घटना दोहराई जाती, जैसी पटाखा फैक्ट्री में आग लगी थी जिसमें 50 से ज्यादा मज़दूर मारे गए थे। दिल्ली में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये आग लग क्यों रही है?

मजदूर यूनियन ने उठाए गंभीर सवाल

बवाना औद्योगिक क्षेत्र मज़दूर यूनियन ने इस हादसे और लगातार दिल्ली हो रही घटनाओं को लेकर गंभीर सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा है कि "आखिर क्यों बवाना से लेकर पूरी दिल्ली के कारखानों में आग लगती रहती है? क्यों इसपर कोई कारवाई नही होती? जवाब साफ है! आज बवाना से लेकर पूरे दिल्ली के कारखानों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नही है। मालिकों द्वारा हर रोज अपने मुनाफे की हवस को पूरा करने के लिए मज़दूरों की जान को जोखिम में डाला जाता है।"

122007625_792843971282040_2152500840873833508_n.jpg

उन्होंने आगे कहा "अगर बवाना की बात करें तो, यहाँ दाना लाइन के ही सबसे अधिक कारखाने है और यहाँ काम करते वक़्त जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। आये-दिन यहां आग लगने से लेकर, दाने की मशीन में हाथ कटने की खबरें आती रहती हैं। मालिकों द्वारा श्रम कानून लागू करना तो दूर की बात है, अभी कोरोना के समय में भी मॉस्क व सेनेटाइजर तक भी उपलब्ध नहीं कराए जाते। जब महामारी के समय में बुनियादी सुरक्षा के ये हाल है तो अन्य समय बात ही क्या।"

इसे भी पढ़ें :-दिल्ली : फैक्ट्रियों में हो रहे आग हादसों के खिलाफ मज़दूरों का प्रदर्शन  

यूनियन नेताओं ने दिल्ली सरकार पर भी गंभीर सवाल किये और कहा "केजरीवाल सरकार जो खुद को मज़दूरों का मसीहा मानती है परन्तु इन सब घटनाओं पर चुप्पी मार लेती है।"

दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों की कड़वी सच्चाई है कि सरकार के लाख घोषणाओं के बाद भी मज़दूर को न सुरक्षा और न ही न्यूनतम वेतन मिलता है। इस पर सवाल करते हुए मज़दूर नेता भारत कहते हैं कि "जब श्रम कानून लागू करवाने की बात आती है तो, उनके श्रम मंत्री बड़े बेशर्मी से बोल देते है कि पूरे दिल्ली में सिर्फ चौसठ औद्योगिक यूनिट में श्रम कानून लागू नहीं हो रहा। मालिकों के खिलाफ कभी इनका मुंह नही खुलता, क्योंकि इन्हीं मालिकों के हितों की रक्षा करने के लिए तो ये "आम आदमी" मुख्यमंत्री बना है। दूसरी तरफ ये फ़ासीवादी मोदी सरकार जो भी कागज़ों पर श्रम कानून बचे हैं, उन्हें भी खत्म करने की योजना को अमलीजामा पहना चुकी है। "

delhi fire
factory fire in Bawana
Bawana industrial area
workers safety
Labor union

Related Stories

बनारस: आग लगने से साड़ी फिनिशिंग का काम करने वाले 4 लोगों की मौत

दिल्ली में एक फैक्टरी में लगी आग, नौ लोग झुलसे

हरियाणा का डाडम पहाड़ी हादसाः"मुनाफे की हवस में गई मज़दूरों की जान"

मुज़फ़्फ़रपुर: हादसा या हत्याकांड!, मज़दूरों ने कहा- 6 महीने से ख़राब था बॉयलर, जबरन कराया जा रहा था काम

भीलवाड़ा में अवैध खदान का मलबा ढहने से सात मज़दूरों की मौत

बसों में जानवरों की तरह ठुस कर जोखिम भरा लंबा सफ़र करने को मजबूर बिहार के मज़दूर?

दर्दनाक: औद्योगिक हादसों में एक ही दिन में कम से कम 11 मज़दूरों ने गंवाई जान, कई घायल

पहाड़ की खदान में पत्थर गिरने से मजदूर की मौत, भाई घायल

दिल्ली: सेप्टिक टैंक सफ़ाई के दौरान जान गंवाते मज़दूर, 15 दिन के भीतर दूसरा हादसा

क्या गाज़ियाबाद मोमबत्ती फैक्ट्री में हुई मौतों का ज़िम्मेदार प्रशासन है!


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License