NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली दंगा: मीडिया लीक की पुलिस सतर्कता जांच रिपोर्ट को लेकर अदालत ने लगाई फटकार
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘यह सतर्कता जांच चोरी के एक मामले की एक सामान्य जांच से भी बदतर है।’’
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
02 Mar 2021
दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली पुलिस की उस सतर्कता जांच रिपोर्ट पर असंतोष जताया जो जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय के एक छात्र का इकबालिया बयान मीडिया को लीक करने के आरोप को लेकर की गई थी। उक्त छात्र को पिछले साल उत्तर पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।

यह कोई पहला मामला नहीं है जब पुलिस पर दिल्ली दंगे मामले में गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र नेताओं के बारे में सेलेक्टिव जानकारियां मीडिया में लीक किए जाने का आरोप हो। इससे पहले उमर खालिद और देवांगना कलिता सहित अन्य कई कथित आरोपियों ने ऐसे ही आरोप लगाए थे। उन मामलों में भी कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई थी। उसके बाद भी लगातार ऐसी घटना हो रही है। जिसके बाद सोमवार को ऐसे ही मामला सामने आने के बाद कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर नाराजगी जाहिर की और कई गंभीर सवाल उठाए।

सोमवार को कोर्ट  में क्या हुआ

उच्च न्यायालय ने जांच को चोरी के एक मामूली मामले की सामान्य जांच से भी बदतर करार देते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से निरुत्तर है। अदालत ने विशेष पुलिस आयुक्त (सतर्कता) को मामले में 5 मार्च को ऑनलाइन सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, ‘‘यह सतर्कता जांच चोरी के एक मामले की एक सामान्य जांच से भी बदतर है।’’

पुलिस द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि उसने केस फाइल दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय को भेज दी है।

इस पर अदालत ने कहा, ‘‘ये वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। आपने जांच कहां की, आपने किससे पूछताछ की? फाइलें कहां भेजी गईं थीं? कौन उन्हें दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय ले गया और कौन उन्हें वापस लाया, रिपोर्ट में कुछ नहीं है। यह पूरी तरह से निरुत्तर है। ये सड़क पर पड़े दस्तावेज़ नहीं हैं।’’

उच्च न्यायालय जेएमआई के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें जांच के दौरान जांच एजेंसी द्वारा दर्ज उसके बयान को मीडिया में लीक को लेकर पुलिस अधिकारियों पर कदाचार के आरोप लगाये गए हैं।

इससे पहले अदालत ने पुलिस को आरोपी के इकबालिया बयान के लीक होने की सतर्कता जांच रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था।

सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर सतर्कता जांच यह पता लगाने में असमर्थ है कि क्या हुआ, तो कठोर आदेश पारित किए जाएंगे और पुलिस को यह पता लगाना होगा कि लीक कहां से हुआ था।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सतर्कता जांच रिपोर्ट कहती है कि आरोप के संबंध में सबूत नही हैं। न ही, आरोप पुष्ट हैं। आपको पता लगाना था कि यह किसने किया है।’’

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अमित महाजन ने कहा कि पुलिस सूचना के लीक होने से उतनी ही व्यथित है और यह अवांछनीय था।

इस पर अदालत ने कहा कि यह सिर्फ अवांछनीय नहीं था, यह आरोपी के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण था और निष्पक्षता और जांच की शुचिता के लिए इन चीजों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

तन्हा की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि समाचार चैनल द्वारा प्रसारण का उद्देश्य तन्हा की छवि धूमिल करना था।

उन्होंने दलील दी कि यदि दिल्ली पुलिस ईमानदार, पारदर्शी होती और अपना इरादा दिखाया होता, तो यह एक ऐसी एजेंसी हो सकती है जिस पर भरोसा किया जा सकता है, लेकिन उसे केवल अपने लोगों को बचाने की चिंता है।

अदालत ने तन्हा के वकील की दलीलें पूरी होने पर दिल्ली पुलिस और मीडिया हाउस, ज़ी न्यूज़ मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के वकीलों की दलीलें सुनने के लिए मामले को 5 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

तन्हा के वकील ने पहले कहा था कि दस्तावेजों के लीक होने के संबंध में पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर सवाल की जांच के अलावा, एक संज्ञेय अपराध भी किया गया है और उचित कार्रवाई करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा था कि मीडिया घरानों - ज़ी न्यूज़ मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड और ओपइंडिया - के कदम ने मीडिया में इस तरह के दस्तावेज़ रखने के लिए प्रोग्राम कोड का उल्लंघन किया और इस संबंध में एक लिखित बयान दायर करने के लिए समय मांगा।

उच्च न्यायालय ने इससे पहले दंगा मामले में तन्हा के कथित कबूलनामे के प्रसारण पर ज़ी न्यूज़ से सवाल किया था और कहा था कि इस तरह के दस्तावेज़ों को बाहर लाकर प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने मीडिया हाउस को निर्देश दिया था कि वह एक हलफनामा दाखिल करे जिससे उस स्रोत का नाम पता चले जिससे संबंधित पत्रकार को दस्तावेज मिले थे।

इससे पहले, पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) ने एक हलफनामे में कहा था कि दिल्ली पुलिस भी उस समाचार रिपोर्ट से व्यथित है जिसमें तन्हा का कथित इकबालिया बयान लीक हुआ था।

समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ 

Delhi Violence
Delhi riots
Delhi High court
delhi police

Related Stories

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

जहांगीरपुरी : दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर ही सवाल उठा दिए अदालत ने!

अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’

मोदी-शाह राज में तीन राज्यों की पुलिस आपस मे भिड़ी!


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License