NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बावल: प्रदर्शन करतीं महिलाओं की वेतन वृद्धि की मांग और शोषक कंपनी प्रशासन
महिलाएं अपने ''कमेटी सदस्यों" को निकाले जाने का विरोध कर रही हैं और साथ ही पिछले साल मई से लंबित वेतन समझौते के निपटारे की भी मांग कर रही हैं। कंपनी ने प्रस्तावित वेतन वृद्धि लागू न करने का दोष "कोरोना प्रभाव" को दिया है।
मुकुंद झा, रौनक छाबड़ा
25 Feb 2021
बावल

बावल/हरियाणा : साल के दूसरे महीने की एक दोपहर के 12:30 ही बजे थे, मगर हरियाणा के बावल शहर के बाहरी इलाक़ों में बनी इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप के ऊपर सूरज की चिलचिलाती गर्मी को महसूस किया जा सकता था।

स्थानीय भाषा में एक महिला ने फ़ोन पर बात करते हुए कहा, "सुन, मम्मी ने भूल जा थोड़े दिनां के लिये। वो नी घर आ री अभी।"

यह महिला जिनकी उम्र 30 के दशक में है, ने बाद में बताया कि उनका नाम आशा देवी है और वह अपने 3 साल के बच्चे से बात करके उसे सांत्वना देने की कोशिश कर रही थीं। यह गर्म बुधवार दसवां दिन था कि देवी अपने घर नहीं गई थीं, क्योंकि वह सैंकड़ों महिलाओं के साथ ऑटो-मोबाइल निर्माता कंपनी के दरवाज़े पर कैम्प लगा कर प्रदर्शन कर रही हैं।

यह महिलाएँ जिनमें से क़रीब सबके पास 10 साल से ज़्यादा का अनुभव है, और वह इसी कंपनी में "स्थायी कर्मचारी" की तरह काम कर रही हैं, वह अपने ''कमेटी सदस्यों" को निकाले जाने का विरोध कर रही हैं और साथ ही पिछले साल मई से लंबित वेतन समझौते के निपटारे की भी मांग कर रही हैं।

13 फ़रवरी को, जापान की प्राइवेट कंपनी Keihin Fie Private Limited के बावल प्रशासन ने 10 "कमेटी सदस्यों" को निष्कासित कर दिया था।

कंपनी की 164 स्थायी महिला कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई यूनियन नहीं है, इसलिये एक कमेटी का गठन किया गया था जो प्रशासन से 3 साल के वेतन समझौते पर चर्चा कर रही थी- यह समझौते कर्मचारियों के निष्कासन के बाद बंद हो गए हैं।

देवी, जो निष्कासित हुए कर्मचारियों में से एक हैं, का कहना है, "उस दिन हम सबने प्रशासन के साथ वेतन निपटारे पर बैठक की थी। जैसे ही मीटिंग ख़त्म हुई, हमें सिक्योरिटी गार्ड और महिला बाउंसरों ने फ़ैक्टरी एरिया से बाहर निकाल दिया। उन्होंने बिना कोई वजह दिए बताया कि हमें निष्कासित किया जा रहा है।"

उन्होंने ज़ोर दे कर कहा कि हालांकि बैठक में  कोई नतीजा नहीं निकला था, मगर कुछ ग़लत भी नहीं हुआ था।

न्यूज़क्लिक को बताया गया कि यह महिलाएँ, जिनकी मासिक आय 25,000 रुपये है, वह अगले 3 सालों में वेतन में इतनी ही वृद्धि की मांग कर रही हैं। प्रशासन ने 6000 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।

कर्मचारियों के निष्कासन के साथ ही कंपनी प्रशासन ने बाक़ी महिला कर्मचारियों के लिए एक "सुव्यवहार अंडरटेकिंग" पर हस्ताक्षर करना आवश्यक कर दिया था, जिसे उस दिन फ़ैक्टरी में घुसने से पहले, कर्मचारियों की आवाज़ और ग़ुस्सा दबाने के लिए उठाए गए क़दम के रूप में देखा गया- इस क़दम की वजह से ही फ़ैक्टरी गेट के बाहर प्रदर्शन शुरू हुए।

पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कहा, "हम उस दिन के बाद से हर रोज़ यहाँ प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें यहाँ टेंट लगाने की इजाज़त नहीं है। कंपनी प्रशासन ने हमें अपने टॉयलेट इस्तेमाल करने की भी इजाज़त नहीं दी, शुरू के कुछ दिन हमें खुले में शौच करना पड़ा था।"

न्यूज़क्लिक जब बुधवार को प्रदर्शन स्थल पर गया था, तब वहाँ एक मोबाइल टॉयलेट वैन, और कंपनी की एम्बुलेंस मौजूद थी। महिलाएँ अपने घरों से राशन लेकर आई थीं, और प्रदर्शन स्थल पर ही खाना बनाने की व्यवस्था की गई थी।

नौकरी जाने के डर से नाम न बताने वाली एक अन्य महिला ने कहा, "पिछली बार प्रशासन 11,750 रुपये की वृद्धि को लेकर राज़ी हो गया था, हमें कम से कम उतना ही मिल जाये।"

उन्होंने दुखी मन से कहा, "इतनी मेहंगाई में कंपनी को थोड़ा तो हमारा भी सोचना चाहिये। 8-9 घंटे काम करने पर भी बच्चों का पेट पालना मुश्किल हो रहा है।"

Keihin Fie के बावल प्रशासन के एक अधिकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि कंपनी कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में असमर्थ है जिसके "कई कारण" हैं, इनमें से एक "कोरोना प्रभाव" है।

व्हाट्सएप पर भेजे सवालों के जवाब में अधिकारी ने कहा, "प्रोडक्शन शटडाउन की वजह से प्रोडक्शन में 50% तक कि गिरावट आई थी, जिसकी वजह से कंपनी को काफ़ी आर्थिक नुक़सान हुआ था।" कर्मचारियों के निष्कासन पर अधिकारी ने कहा कि यह "अनुशासनात्मक मसलों की वजह" से किया गया है, उन्होंने यह नहीं बताया कि वह मसले क्या हैं।

इसके अलावा जैसे जैसे प्रदर्शन बढ़ रहा है, महिलाएँ अब फ़ैक्टरी में काम करने की "अमानवीय" स्थिति के भी मुद्दे उठा रही हैं। उनके मुताबिक़, कर्मचारियों को "काम के दबाव" की वजह से "उचित ब्रेक" लेने की भी अनुमति नहीं मिलती है। हालांकि इन इल्ज़ामों को कंपनी प्रतिनिधियों ने "झूठा" और "बेबुनियाद" बताया है।

बुधवार को, एक प्रदर्शनकारी महिला को गर्मी लगने की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जबकि बाक़ी महिलाओं के एक वर्ग ने कथित तौर पर काम पर जाना शुरू कर दिया है, क्योंकि प्रशासन उनके परिवार पर दबाव बना रहा था।

देवी ने कहा, "हमने इस कंपनी के लिए इतने सालों से काम किया है, और प्रशासन हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है। हमारे साथ ऐसा नहीं होना चाहिये।"

Keihin Fie Private Limited
Bawal
Haryana
Protest
Wage Settlement
Women Workers Protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज

दिल्ली: लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, छंटनी के ख़िलाफ़ निकाला कैंडल मार्च

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

हड़ताल के कारण हरियाणा में सार्वजनिक बस सेवा ठप, पंजाब में बैंक सेवाएं प्रभावित


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License