NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
बिजली के निजीकरण के ख़िलाफ़ कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रदर्शन 
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि कॉरपोरेट घरानों के हितों के लिए विद्युत क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है, जिसके कारण बिजली के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। किसानों को सिंचाई के लिए मिल रही सस्ती बिजली तो पूर्णतया खत्म हो जायेगी। इससे देश में पूरे बिजली क्षेत्र के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Jun 2020
कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रदर्शन 

सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के लाखो कर्मचारियों ने विद्युत संशोधन बिल के ख़िलाफ़ सोमवार को पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधी और अपना विरोध जताया। यह प्रदर्शन बिजली कर्मचारियों के संयुक्त मंच नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पायलर & इंजीनियर्स (NCCOEEE) के तहत हुआ। कर्मचारी संगठन ने देश के सभी 680 जिलों में 9895 जगहों पर प्रदर्शन किया।  

इस प्रदर्शन में  ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF), ऑल इंडिया पॉवर्स फेडरेशन (AIPF), ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स (AIFOPDE), ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज का प्रतिनिधित्व किया (AIFEE), बिजली कर्मचारी महासंघ (EEFI), भारतीय राष्ट्रीय विद्युत कर्मचारी महासंघ  और अन्य यूनियनों ने भाग लिया। इन सभी यूनियनों का ही साझा मंच है NCCOEEE इसी के तहत यह आंदोलन किया जा रहा है।  

विरोध प्रदर्शन का दायरा उत्तर-पूर्व में सिक्किम, मेघालय से लेकर हिमाचल प्रदेश, गुजरात , पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र,  असम, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर समेत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदशों में रहा।

IMG-20200602-WA0008.jpg

 कर्मचारी क्यों कर रहे हैं विरोध?

आपको बता दें कि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण की योजना की घोषणा की थी। बिजली मंत्रालय ने बिजली संशोधन विधेयक का मसौदा भी 17 अप्रैल 2020 को जारी किया। विधेयक में 2003 के बिजली कानून में कुछ नीतिगत संशोधन और कायार्त्मक संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। तब से कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब समयबद्ध तरीके से क्रास सब्सिडी समाप्त करने और ऐसे ग्राहकों के लिए राज्य सरकारों द्वारा डीबीटी व्यवस्था लागू करने की बात कही जा रही है। इससे उनके लिए सस्ती बिजली की पहुंच का अधिकार खत्म होगा। यह किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के ख़िलाफ़ है।

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि कॉरपोरेट घरानों के हितों के लिए विद्युत क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है, जिसके कारण बिजली के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। किसानों को सिंचाई के लिए मिल रही सस्ती बिजली तो पूर्णतया खत्म हो जायेगी। इससे देश में पूरे बिजली क्षेत्र के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा।

विरोध कर रहे कर्मचारियों  का कहना है कि "निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है। अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुकसान होगा जबकि क्रास सब्सिडी समाप्त होने से उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा।"

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने सोमवार को कहा कि विधेयक के पारित होने के बाद किसानों को हर महीने 5,000 से 6,000 रुपये बिजली शुल्क देने होंगे जबकि घरेलू उपभोक्ताओं को 300 रुपये यूनिट तक की खपत के लिये प्रति यूनिट कम-से-कम 8-10 रुपये का भुगतान करना होगा।

IMG-20200602-WA0009.jpg

गुप्ता ने कहा कि बिजली मंत्रालय ने ऐसे समय विधेयक को अधिसूचित किया है जब ‘लॉकडाउन’ के कारण सभी सभी प्रकार की बैठकें, बातचीत, परिचर्चा और विरोध रूका पड़ा है। सस्ती बिजली ग्राहकों का अधिकार है। किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले (बीपीएल) उपभोक्ताओं पर बिजली की उच्च दर का बोझ डालना प्रतिगामी कदम है।

एआईपीईएफ के बयान में कहा गया है कि बिजली समवर्ती सूची में है लेकिन केंद्र ने इस मामले में राज्यों की परवाह नहीं की और एक की कीमत पर दूसरे को सब्सिडी (क्रास सब्सिडी), किसानों और बीपीएल ग्राहकों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) , ईसीईई (विद्युत न्यायाधिकरण) और बिजली वितरण की फ्रेंचांइजी जैसे मामलों में अपनी बातों को थोपने का प्रयास कर रहा है। इतना ही नहीं एक कदम आगे बढ़ते हुए सरकार ने केंद्रशासित प्रदेशें में बिजली व्यवस्था के निजीकरण का आदेश दे दिया है।

एआईपीईएफ ने कहा कि केंद्र राज्यों के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है जो स्वीकार्य नहीं है। ऐसे कानून लाने का कोई मतबल नहीं है जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां समाप्त हो जाए और पूरा बिजली आपूर्ति क्षेत्र निजी कंपनियों पर आश्रित हो जाए।’’

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रीसिटी इंप्लाईज एवं इंजीनियर्स के संयोजक सुभाष लांबा ने बिजली निजीकरण के संशोधन बिल 2020 के ख़िलाफ़ सोमवार को आयोजित काला दिवस पर हुए प्रर्दशनों की सफलता का दावा किया। उन्होंने बताया कि "काला दिवस पर आयोजित प्रर्दशनों में बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों के अलावा अनेक स्थानों पर अखिल भारतीय किसान सभा से जुड़े किसानों ने भी भाग लिया। उन्होंने "केन्द्र सरकार को आगाह किया कि सोमवार को देशभर में काला दिवस पर आयोजित सफल प्रदर्शनों के बावजूद संख्या बल पर इस किसान,गरीब घरेलू उपभोक्ताओं व कर्मचारी और संविधान विरोधी बिल को आगामी लोकसभा के मानसून सत्र में पारित करवाने का प्रयास किया तो देशभर के 15 लाख बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर राष्ट्रव्यापी हड़ताल जैसा कठोर फैसला लेने पर मजबूर हो सकतें हैं। जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। "

electricity
Privatization of Electricity
Nationwide Protest
NCCOEEE
AIPEF
AIFOPDE
EEFI
AIFEE

Related Stories

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

डीजेबी: यूनियनों ने मीटर रीडर्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई वापस लेने की मांग की, बिलिंग में गडबड़ियों के लिए आईटी कंपनी को दोषी ठहराया

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

निर्माण मज़दूरों की 2 -3 दिसम्बर को देशव्यापी हड़ताल,यूनियन ने कहा- करोड़ों मज़दूर होंगे शामिल

मंत्री अजय मिश्रा की बर्ख़ास्तगी की मांग को लेकर किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन

किसान आंदोलन: करनाल हिंसा के विरोध में देश भर में आंदोलन, 5 सितंबर की महापंचायत की तैयारी ज़ोरों पर

भारत बचाओ: जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन

‘अगस्त क्रांति’ के दिन मज़दूर-किसानों का ‘भारत बचाओ दिवस’, देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन!

बिजली कर्मचारियों ने किया चार दिवसीय सत्याग्रह शुरू


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License