NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कोविड-19
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
कोविड-19 के डर से भी प्रदर्शन नहीं रुक सकता, आंदोलनकारी किसानों ने कहा
‘‘हमारी जान पहले ही खतरे में है। हम ठिठुरती सर्दी से डरे, गर्मी से डर रहे हैं और हां हम इस बीमारी से भी डरे हुए हैं लेकिन और कोई विकल्प नहीं है।’’
भाषा
09 Apr 2021
कोविड-19 के डर से भी प्रदर्शन नहीं रुक सकता, आंदोलनकारी किसानों ने कहा
फाइल फोटो

नयी दिल्ली: दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के बावजूद किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना वायरस का डर भी उन्हें केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकता।

किसान संगठन पिछले चार महीने से अधिक समय से बारिश, भीषण सर्दी और अब गर्मी में भी अपना आंदोलन चला रहे हैं।

सर्दी के मौसम में प्रदर्शनकारी किसानों को गर्म कपड़ों की आपूर्ति की गयी, बारिश में जमीन से ऊंचाई पर उनके रहने का बंदोबस्त किया गया और अब गर्मी के लिए उन्होंने प्रदर्शन स्थलों पर छायादार ढांचे बनाना तथा एसी, कूलर और पंखों का बंदोबस्त शुरू कर दिया है।

किसानों ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटना भी उनके लिए मुश्किल नहीं होगा। वे प्रदर्शन स्थलों पर बुनियादी सावधानियों के साथ इसके लिए भी तैयार हैं।

ऑल इंडिया किसान सभा के उपाध्यक्ष (पंजाब) लखबीर सिंह ने कहा, ‘‘हम सिंघु बॉर्डर पर मंच से मास्क पहनने और हाथ बार-बार धोने की आवश्यकता के बारे में लगातार घोषणा कर रहे हैं। हम प्रदर्शनकारियों को टीका लगवाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।’’

प्रदर्शन स्थलों पर अनेक स्वास्थ्य शिविर भी चल रहे हैं, ऐसे में बुखार या सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण सामने आने पर प्रदर्शनकारियों को तत्काल चिकित्सा सहायता मिल सकती है।

भारतीय किसान यूनियन (दाकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘अगर किसी को बुखार या खांसी है या कोविड का अन्य कोई लक्षण है तो यहां डॉक्टर देखते हैं और फैसला करते हैं। रोगी को या तो अस्पताल में भर्ती कराया जाता है या 8-10 दिन के लिए गांव वापस भेज दिया जाता है।’’

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव के अनुसार किसान महामारी को ‘कुछ उदासीनता’ के साथ देखते हैं लेकिन अभी तक कोई प्रदर्शन स्थल कोविड-19 का हॉटस्पॉट नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप देखेंगे तो इनमें से हर जगह डॉक्टर, क्लीनिक हैं। वे कोविड जांच नहीं कर रहे लेकिन अगर अधिक लोग बुखार या ऐसे लक्षणों की शिकायत करते हैं तो उन्हें पता चल जाएगा क्योंकि हर मोर्चा में योग्य डॉक्टर हैं।’’

यादव ने कहा, ‘‘उनमें से कुछ के तो अस्पताल हैं। अगर बुखार और सांस लेने में परेशानी बढ़ती है तो तत्काल ध्यान जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि किसानों में मास्क पहनने और हाथ धोने की आदत कम हो रही है और दूरी भी नहीं रह पा रही और देश में अधिकतर स्थानों पर ऐसी ही स्थिति है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसान अन्य किसी भारतीय नागरिक की तरह ही हैं। वे भी अन्य नागरिकों की तरह ही सतर्क हैं या अधिकतर नागरिकों की तरह असावधान हैं।’’

यादव ने कहा कि अगर सरकार प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए कोरोना वायरस की आड़ लेती है तो इससे पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनाव प्रचार को देखते हुए उनका ‘पाखंड’ ही सामने आएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में उन्हें बंगाल में चुनाव प्रचार बंद कर देना चाहिए। पहले तो उन्हें भाजपा की ही रैलियों को बंद कर देना चाहिए जहां गृह मंत्री भीड़ को संबोधित कर रहे हैं।’’

देशभर से और खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आये हजारों किसान पिछले साल नवंबर के आखिर से तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) पंजाब के महासचिव परमजीत सिंह के अनुसार अगर किसान उस बीमारी से डरते भी हैं जो देश में पहले ही 1.6 लाख से अधिक लोगों की जान ले चुकी है तो उनके पास विकल्प भी क्या है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जान पहले ही खतरे में है। हम ठिठुरती सर्दी से डरे, गर्मी से डर रहे हैं और हां हम इस बीमारी से भी डरे हुए हैं लेकिन और कोई विकल्प नहीं है।’’

COVID-19
Coronavirus
farmers protest
Farm Bills

Related Stories

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे

दिल्ली: कोविड वॉरियर्स कर्मचारियों को लेडी हार्डिंग अस्पताल ने निकाला, विरोध किया तो पुलिस ने किया गिरफ़्तार

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License