NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
जलजमाव और जलवायु परिवर्तन से बिहार में महामारी बना डेंगू!
बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की तरफ से सात नवंबर को सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में कुल 6247 मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए गए। अब तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि, सरकारी तौर पर डेंगू से मृत्यु की पुष्टि नहीं की जा रही है।
उमेश कुमार राय
16 Nov 2019
dengue in bihar

मूल रूप से भोजपुर के रहने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल सुनील सिंह पटना में एक आईपीएस अफसर के गार्ड के तौर पर नियुक्त थे। पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में एक दिन अचानक उन्हें बुखार आ गया। उन्हें लगा कि आम बुखार होगा, तो मेडिकल दुकान (केमिस्ट) से दवाई खरीद कर खा ली, लेकिन बुखार ठीक नहीं हुआ।

बाद में उन्होंने खून की जांच कराई, तो पता चला कि उन्हें डेंगू हो गया है। उनके परिजनों ने आनन-फानन में उन्हें पाटलीपुत्र के निजी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन बहुत फायदा नहीं हुआ। खून में प्लेटलेट्स लगातार घट रहा था और एक दिन उनकी मौत हो गई।

इसी हफ्ते भागलपुर के कहलगांव में एनटीपीसी के एक कर्मचारी सत्येंद्र झा की मौत डेंगू के कारण हो गई। उनके परिजनों के अनुसार वे कुछ दिनों से डेंगू से पीड़ित थे। उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई।

डेंगू से मौत के ऐसे कई मामले बिहार में हुए हैं, लेकिन बिहार सरकार इन मौतों की वजह डेंगू नहीं मान रही है। सरकार के ऐसा नहीं मानने के पीछे अपनी मजबूरी हो सकती है, लेकिन सच ये है कि बिहार में इस साल डेंगू ने महामारी की शक्ल ले ली है।

सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि बिहार में अब तक डेंगू के छह हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं।

बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की तरफ से सात नवंबर को सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में कुल 6247 मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए गए। अब तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि, सरकारी तौर पर डेंगू से मृत्यु की पुष्टि नहीं की जा रही है।

बुधवार (13 नवंबर) को भी डेंगू के नए मरीज मिले हैं। बुधवार को पटना मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल में 129 मरीजों के सैंपलों की जांच में 72 मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि डेंगू के सबसे ज्यादा मामले पटना में दर्ज किए गए हैं। पटना के अलावा नेपाल से लगे बिहार के जिले मसलन मधुबनी, सुपौल जैसे जिलों में भी डेंगू का कहर बरपा है।

बिहार में इतने बड़े पैमाने पर डेंगू का प्रकोप नई व चिंताजनक घटना है। हालांकि, डेंगू के छिटपुट मामले पहले भी होते रहे हैं लेकिन इसने महामारी का शक्ल पहली बार अख्तियार किया है।

भागलपुर के कहलगांव के निवासी पंकज कुमार सिंह और उनके 12 वर्षीय पुत्र को छठ पूजा से पहले से बुखार था। जब बुखार कम न हुआ, तो चेक-अप करवाया। जांच में पता चला है कि उन्हें डेंगू है। कई दिनों तक अस्पताल में इलाज चला, तब जाकर वे ठीक हो पाए।

बिहार के स्वास्थ्य विभाग की एपिडेमिओलॉजिस्ट डॉ. रागिनी मिश्रा कहती हैं, “ये हमारे लिए चिंता का विषय है। वर्ष 2011-2012 से पहली बार बिहार में डेंगू के मामले सामने आने शुरू हुए थे, लेकिन इस बार ये मामले बहुत ज्यादा हैं।”

गौरतलब हो कि डेंगू के मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, लेकिन इसके लिए मौसम का गर्म होना जरूरी है। बिहार में ये दोनों स्थितियां बरकरार हैं, जिस कारण डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं।

इस बार बिहार में मानसून का आगमन जून के आख़िरी हफ्ते में हुआ था। लेकिन, इसकी विदाई से ठीक पहले बिहार में जोरदार बारिश हुई थी। महज दो दिन में 300 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश होने से पटना समेत अन्य जिलों में जलजमाव हो गया था। जलनिकासी की व्यवस्था फिसड्डी होने के कारण पानी कई दिनों तक जमा रहा। कई इलाकों में तो अब भी पानी ठहरा हुआ है।

जलजमाव के साथ ही इस बार बिहार में सर्दी का पदार्पण भी देर से हो रहा है और इस बीच तापमान में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।

कभी गर्मी बढ़ जा रही है, तो कभी मौसम सर्द हो रहा है। जानकार बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर दुनियाभर में दिख रहा है। बिहार भी इससे अछूता नहीं है।

मौसम पर लंबे समय से काम कर रहे दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एनवायरमेंटल साइंस विभाग से जुड़े प्रो. प्रधान पार्थ सारथी कहते हैं, “इस बार सर्दी के आने में देर हो रही है और मौसम के गर्मी से सर्दी में प्रवेश करने के दौरान की जो अवधि है, उसमें अधिकतम और न्यूनतम तापमान में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। साथ ही अभी तापमान जितना होना चाहिए, उससे ज्यादा दर्ज किया जा रहा है।”

प्रो. प्रधान पार्थ सारथी आगे कहते हैं कि साल-दर-साल मौसम का पैटर्न बदल रहा है और ये जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है।

जलजमाव के साथ गर्म मौसम डेंगू के मच्छरों के लिए वरदान साबित हो रहा है। एपिडेमिओलॉजिस्ट डॉ. रागिनी मिश्रा ने बताया, “सर्दी की अवधि का कम होना और गर्मी का बढ़ना रोगवाहक किटाणुओं को पनपने का सकारात्मक माहौल देता है।”

जलजमाव व मौसम में बदलाव का असर बिहार से सटे यूपी, पूर्वोत्तर व नेपाल में भी दिख रहा है। इन क्षेत्रों में भी डेंगू के मामलों में प्रत्याशित इजाफा देखा जा रहा है। अकेले नेपाल में अब तक डेंगू के 9000 से ज्यादा सामने आ चुके हैं और आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। नेपाल में भी अगस्त में सामान्य ज्यादा बारिश हुई थी, जिस कारण जलजमाव हुआ था।

जानकारों का कहना है कि हालात भले ही डेंगू के मच्छरों के पनपने के अनुकूल बन गए हों, अगर सरकार ने समय रहते एहतियाती कदम उठाया होता, तो आज डेंगू के आंकड़े 5 हजार के ऊपर नहीं पहुंचते।

पटना के जान-माने चिकित्सक व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बिहार चैप्टर के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ अजय कुमार कहते हैं, “एक तो मानसून की विदाई के वक्त ज्यादा बारिश हो गई और दूसरा आर्द्रता बरकरार रही। इन दोनों के कारण बीमारी बढ़ गई। लेकिन, ये भी सच है कि अगर सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किया। मच्छर मारने की दवाइयों का छिड़काव नाकाफी रहा और डेंगू के खिलाफ सरकार बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी नहीं चला सकी। जो भी कदम उठाए गए, वे शहरी इलाकों में सिमट कर रह गए। मुफस्सिल इलाकों व गांवों में जागरूकता अभियान नाकाफी रहे।”

कहलगांव निवासी पंकज कुमार सिंह भी डॉ. अजय कुमार की बातों से इत्तेफाक रखते हुए कहते हैं, “हमारे इलाके में सरकार की तरफ से जागरूकता का कोई कार्यक्रम नहीं चलाया गया था। बस, कभी-कभार नाम के लिए ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव व फॉगिंग कर दिया गया।”

Bihar
dengue
climate change
health system
Nitish Kumar
Nitish Kumar Government
water logging

Related Stories

गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी

बिहारः पिछले साल क़हर मचा चुके रोटावायरस के वैक्सीनेशन की रफ़्तार काफ़ी धीमी

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

बिहार की राजधानी पटना देश में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर

लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है फ्लोराइड युक्त पानी

बिहार में फिर लौटा चमकी बुखार, मुज़फ़्फ़रपुर में अब तक दो बच्चों की मौत

शर्मनाक : दिव्यांग मरीज़ को एंबुलेंस न मिलने पर ठेले पर पहुंचाया गया अस्पताल, फिर उसी ठेले पर शव घर लाए परिजन

नक्शे का पेचः भागलपुर कैंसर अस्पताल का सपना अब भी अधूरा, दूर जाने को मजबूर 13 ज़िलों के लोग

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License