NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
मंडी हाउस से हटाए गए विकलांगों का सवाल- हम तो मजबूर हैं, पुलिस को किसने बर्बरता के लिए मजबूर किया?
दिल्ली के मंडी हाउस पर पिछले 16 दिनों से प्रदर्शन कर रहे शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को ‘जबरन’ हटाए जाने का मुद्दा गुरुवार को राज्यसभा में भी उठा।
सोनिया यादव
12 Dec 2019
protest

नई दिल्ली: 'हमें दया नहीं अधिकार चाहिए, हमें कागजों पर नहीं हकीकत में विकास चाहिए।' इन शब्दों के साथ रेलवे भर्ती-2018 में नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों विकलांगों को आखिरकार 16 दिन बाद दिल्ली पुलिस ने जबरन मंडी हाउस से हटा दिया है।

इन विकलांगों का आरोप है कि पुलिस और सीआपीएफ जवानों ने इनके साथ मारपीट की। महिलाओं के साथ बदसलूकी की और जबरन इन लोगों को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बसों में भर कर छोड़ दिया गया। हालांकि पुलिस ने इन तमाम आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि सभी प्रदर्शनकारियों को बहुत संवेदनशीलता के साथ और शांतिपूवर्क तरीके से हटाया गया है और किसी प्रकार का कोई बल प्रयोग नहीं किया गया है।

इस प्रदर्शन में शामिल विकलांग अभ्यर्थी पुरूराज मोयल ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘हम लोग रेलवे में नियुक्ति की अपनी मांग को लेकर 26 नवंबर सुबह 5 पांच बजे से धरने पर बैठे थे। लेकिन कल यानी 11 दिसंबर को पुलिस ने दोपहर 3 बजे के बाद हमें जबरन बसों में भरकर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में छोड़ दिया।'

उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान पुलिस ने भारी बलप्रयोग का इस्तेमाल किया। कई विकलांगों के साथ मारपीट हुई। प्रदर्शनकारी महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए गए। कई लोगों के फोन तोड़ दिए गए। इस प्रकार की पुलिस बर्बर्ता के खिलाफ हम आगे दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

एक अन्य प्रदर्शनकारी पंकज ने कहा, ‘हमें प्रशासन द्वारा ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी। हम लोग शांति से प्रदर्शन कर रहे थे, हमने रेलवे को कल तक फैसले का समय दिया था, इसलिए हम बाराखंभा रोड़ की ओर शांति से बढ़े क्योंकि हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। लेकिन पुलिस ने जबरन हमें उठाकर बसों में भरना शुरू कर दिया। कई लोगों के समान वहीं छूट गए, कई लोगों को चोटें आई हैं। हम तो मज़बूर हैं, लेकिन पुलिस को किसने मज़बूर किया हमारे साथ मार-पीट करे?’

उधर दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता की ओर से मीडिया को बताया गया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 दिसंबर, सोमवार को दिल्ली पुलिस को यह निर्देश दिया था कि वह यह सुनिश्चित करे कि दिव्यांगों के धरने की वजह से ट्रैफिक के मूवमेंट में किसी तरह का कोई अवरोध पैदा ना हो। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए समझाने की काफी कोशिश की। उन्हें साइड में बैठकर विरोध जारी रखने का विकल्प भी दिया गया, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सही फोरम पर जाकर अपनी बात रखने का भी सुझाव दिया, लेकिन दिव्यांग प्रदर्शनकारी कुछ भी सुनने और रास्ते से हटने के लिए तैयार नहीं थे।

उन्होंने आगे बताया कि 11 दिसंबर, बुधवार को दोपहर में जब पुलिस ने दिव्यांगों को चेतावनी दी कि अगर वे रास्ते से नहीं हटे, तो फिर उन्हें हटाना पड़ेगा, तो प्रदर्शनकारी भड़क उठे। वे उठकर दूसरी तरफ बाराखंभा रोड और तानसेन मार्ग के सामने जाकर बीच सड़क पर बैठ गए और हाथों में नारे लिखे पोस्टर बैनर लेकर नारेबाजी करने लगे। इसकी वजह से कुछ देर के लिए ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ा। इस दौरान लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

विकलांगों को जबरन हटाए जाने की गूंज 12 दिसंबर गुरुवार को राज्यसभा में भी सुनाई दी। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया कि दिव्यांगों के साथ बर्बर व्यवहार किया गया।

सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि उन लोगों का रेलवे में नौकरियों के लिए चयन हो गया था और उन्हें नियुक्तियां नहीं मिल रही हैं। वे अपने हक के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन अर्धसैनिक बल द्वारा उन्हें हटा दिया गया और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।

इस संबंध में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में रेल मंत्री से मुलाकात की थी और बाद में उनके विभाग के अधिकारियों ने रेल अधिकारियों से भेंट की। उन्होंने कहा कि वह फिर से रेल मंत्री से इस संबंध में गौर करने का आग्रह करेंगे।

समाजिक न्याय के लिए काम करने वाली गैरसरकारी संगठन मुस्कान की आरती सिंह ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, 'विकलांग प्रदर्शनकारियों और पुलिस के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं लेकिन हमें इस मर्म को समझना होगा कि वो लोग शारिरिक रूप से पीड़ित हैं, उन्हें रोज़ाना कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वो लोग इतनी विसम परिस्थितियों में यहां डटे हुए थे, जाहिर है उनके लिए ये सब बहुत मुश्किल है। लेकिन एक सरकार के तौर पर, एक प्रशासन के तौर पर आपका उनके साथ ऐसा व्यवहार बेहद दुखद है।'

आरती आगे कहती हैं कि हम किस संवेदनहीन समाज की ओर बढ़ रहे हैं, जहां लोगों को, प्रशासन को ट्रैफिेक जाम की तो परवाह है लेकिन जीते-जागते इंसानों की नहीं है।

गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर विकलांग अभियार्थी पहले भी कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। साल 2018 में अलग-अलग राज्यों के रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से 6200 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे। इनमें विकलांगों के लिए नियमानुसार तीन फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था, लेकिन बाद में इसमें भी बदलाव कर दिया गया। विकलांग प्रदर्शनकारियों का आरोप है जिन विकलांग अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में चयनित किया गया, उन्हें बाद में बिना कारण डीसक्वालिफाई कर दिया गया।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

इसे भी पढ़े: रेलवे भर्ती से नाराज़ विकलांग बोले- 'सरकार हमें नाम नहीं काम दे'

Disable People Protest
CRPF
delhi police
BSP
Satish Mishra
विकलांग अभियार्थी
railway board

Related Stories

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

लखीमपुर खीरी अपडेट: किसानों के साथ विपक्षी दलों ने खोला मोर्चा, हड़बड़ी में सरकार 

दिल्ली: सिविल डिफेंस वालंटियर की निर्मम हत्या शासन-प्रशासन के दावों की पोल खोलती है!

न्यायपालिका को बेख़ौफ़ सत्ता पर नज़र रखनी होगी

दिल्ली बच्ची दुष्कर्म और हत्या मामला: चारों आरोपी तीन दिन के पुलिस रिमांड पर

दिल्ली बलात्कार कांड: जनसंगठनों का कई जगह आक्रोश प्रदर्शन; पीड़ित परिवार से मिले केजरीवाल, राहुल और वाम दल के नेता

दिल्ली में महिलाओं से बलात्कार एवं उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी

छत्तीसगढ़ : सिलगेर में प्रदर्शन कर रहे आदिवसियों से मिलने जा रहे एक प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने रोका


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License