NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिशा रवि गिरफ़्तारी प्रकरण: हमवतनों के ख़िलाफ़ उतरी सरकार
बात बोलेगी: पढ़ा-लिखा-तर्कशील मध्यम वर्ग का नौजवान तबका, जिसमें बड़ी संख्या हिंदुओं की है—वह अब सरकार के निशाने पर है। उन्हें अपने ही वतन में, वतन से बेवतन करने की साज़िश पर तेजी से काम हो रहा है।
भाषा सिंह
15 Feb 2021
दिशा रवि
दिशा रवि की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ बेंगलुरु में छात्रों और नागरिक समाज का प्रदर्शन। फोटो साभार : ट्विटर

लिस्ट तो बहुत लंबी है और लगातार लंबी ही होती जा रही है। सरकारी लिस्ट में `देशद्रोहियों’ की संख्या जिस तरह से बढ़ रही है उससे लगता है कि `कमलछाप’ को छोड़कर बहुत ही कम लोग इस सूची से बाहर रह पाएंगे। ध्यान से देखिये तो इस सूची में नौजवानों की तादाद अच्छी खासी है। अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े हुए नौजवान राजद्रोह से लेकर तमाम आपराधिक मामलों में या तो गिरफ्तार किये जा रहे हैं या फिर उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। चाहे वह उत्तर प्रदेश में हाथरस बलात्कार मामले की रिपोर्टिंग करने जा रहे पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी हो या फिर युवा पत्रकार मनदीप पुनिया की गिरफ्तारी...या दलित-लेबर एक्टिविस्ट नोदीप कौर की गिरफ्तारी या फिर ऐसे अनगिनत मामले – सबमें विरोध के स्वर या फिर निर्भीक ढंग से अपना पेशेगत काम करने वालों को सबक सिखाने पर सरकार उतारू नजर आ रही है। पढ़ा-लिखा-तर्कशील मध्यम वर्ग का नौजवान तबका, जिसमें बड़ी संख्या हिंदुओं की है—वह अब सरकार के निशाने पर है। उन्हें अपने ही वतन में, वतन से बेवतन करने की साज़िश पर तेजी से काम हो रहा है।

बेंगलुरु की 21 वर्षीय, जलवायु परिवर्तन एक्टिविस्ट दिशा रवि की ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट मामले में हुई गिरफ्तारी और आनन-फानन में उन्हें पुलिस रिमांड पर भेजने का मामला देश की जनता के खिलाफ छेड़े जा रहे युद्ध की जीती-जागती मिसाल है। और, निश्चित तौर पर यह सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है क्योंकि इसी मामले में मुंबई की युवा वकील निकिता जैकब और महाराष्ट्र के शांतुनु की गिरफ्तारी की तैयारी चल रही है। इस पूरे मामले को जिस तरह से देश के खिलाफ साज़िश और वह भी अंतर्राष्ट्रीय साज़िश में जांच एजेंसियां और सरकारों ने तब्दील किया है—उससे यह साफ हो गया है कि एक ही फॉर्मूला का इस्तेमाल हर आंदोलन और हर विरोध को अपराध में तब्दील करने के लिए किया जा रहा है।

इस प्रकरण में भाजपा और केंद्र सरकार की रणनीति का पूरी बेशर्मी से खुलासा करता है हरियाणा के मंत्री अनिल विज का ट्वीट, जिस पर ट्वीटर ने उन्हें नोटिस भी जारी किया। उन्होंने लिखा था, देशविरोध का बीज जिसके भी दिमाग में हो उसका समूल नाश कर देना चाहिए, फिर चाहे वह दिशा रवि हो या कोई और...

उन्होंने एक न्यूज चैनल के प्रोग्राम में कहा, “देशविरोधियों के भीतर जो देश विरोधी विचार होता है, अगर उसका समूल नाश नहीं करेंगे तो देश के लिए खतरा है, यह छूत की बीमारी है... उनके (देशद्रोहियों) समर्थन में आने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.. ये लोग विदेशी ताकतों के साथ साठगांठ करके देश में विरोध को उकसाना चाहते हैं.. कोई भी छोटी-मोटी घटना होती है..देश के खिलाफ कोई भी ताकत आवाज उठाती है तो उसे कुचल दिया जाना चाहिए... यह सरकार का धर्म बनता.. ग्रेटा जैसे लोग का साथ देते हैं तो विदेशी शक्तियों के हाथ मिलाना अपराध है…” 

कुल मिलाकर अनिल विज ने केंद्र सरकार का एजेंडा बिल्कुल साफ कर दिया कि जो भी विरोध में आवाज़ें उठ रही हैं, वे साज़िश का हिस्सा है, अंतर्राष्ट्रीय साज़िश का हिस्सा है, यह देशद्रोही हैं और यह छूत की बीमारी है...ये सारे शब्द बहुत ही खतरनाक संदेश दे रहे हैं। जिस देश के प्रधानमंत्री विदेश दौरों और विदेश में दूसरे राष्ट्रपतियों के लिए प्रचार अभियान करने के लिए मशहूर हों, वहां एक 18-19 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट को अंतर्राष्ट्रीय साज़िश बता देना कितना हास्यास्पद है। लेकिन जिन लोगों को यह मज़ाक लग रहा है, वह यह सब कह कर सरकार के कैम्पेन का असल मकसद नहीं समझ पा रहे हैं। सरकार की कोशिश है अपने ही लोगों को अपनों के खिलाफ खड़ा करना। मुख्यधारा का मीडिया लगातार यह कैम्पन प्रचारित-प्रसारित करता रहता है और आम नागरिकों के भीतर संदेह पैदा करता है। उनके लिए इस समय सबसे बड़ी जरूरत है किसान आंदोलन को बदनाम करना और इसके लिए देश के प्रधानमंत्री सदन में आंदोलनजीवी-परजीवी-विदेशी विनाशकारी विचारधारा आदि शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और आज उनकी पार्टी के नेता, हरियाणा के मंत्री दिशा रवि सहित बाकी लोगों के समूल नाश की बात करते हैं। ...फर्क सिर्फ डिग्री का है—मकसद और इरादा एक ही है।

इस मामले में जिस तरह से दिशा रवि को अदालत ने पुलिस रिमांड पर भेजा इसकी भी तीखी आलोचना हो रही है। होनी भी चाहिए, क्योंकि यह जो नया नॉर्मल बनाया जा रहा है, इससे लोकतंत्र और न्यायिक प्रणाली की धज्जियां उड़ जाएंगी।

फ्राइडे फ्यूचर फॉर इंडिया कैम्पेन चलाने वाली 21 वर्षीय दिशा पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने गूगल ड्राइव पर एक डॉक्यूमेंट को एडिट किया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्य़ावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट किया था। इस पूरे मामले को दिल्ली पुलिस स्पेशल ब्रांच ने अंतर्राष्ट्रीय साज़िश और खालिस्तान समर्थक समूह के अभियान का हिस्सा मानते हुए दिशा के ऊपर राजद्रोह सहित अन्य आपराधिक मामले दर्ज किये। उन्हें बेंगलुरु जाकर गिरफ्तार किया, दिल्ली लेकर आए औऱ बिना उनके वकील के अदालत में उपस्थित हुए दिशा रवि को पांच दिन की पुलिस रिमांड में अदालत ने भेज दिया। इस पर जमकर विरोध हुआ। दिल्ली में वरिष्ठ वकील रेबिका ज़ॉन का कहना है कि जिस तरह से दिशा के वकील की मौजूदगी के बिना पुलिस रिमांड दी गई, वह न्यायिक कर्तव्यों को पूरी तरह से तिलांजलि देने की वाली शर्मनाक घटना है। इसी तरह से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसालविस ने न्यूज़क्लिक को बताया कि जब पुलिस ने दिशा रवि के अपराध का कोई भी साक्ष्य अदालत में पेश नहीं किया तो कैसे उसे पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। यह एक गलत नज़ीर बनाई जा रही है, जिसे चेक किया जाना चाहिए।

पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने भी दिशा की गिरफ्तारी को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि इस तरह से नौजवानों पर हमला, लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। सरकार यह संदेश दे रही है कि सच के लिए, सच के साथ कोई काम न करे।

फिलहाल, तमाम विरोध के बीच केंद्र सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसे एक साज़िश—अंतर्राष्ट्रीय साज़िश में तब्दील करने पर आमादा नज़र आ रही है। कोई भी किसी भी धर्म का क्यों न हो—उसे खुलेआम खालिस्तानी समर्थक बनाया जा रहा है। 

(भाषा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Disha Ravi
Greta Thunberg
delhi police
Greta Toolkit
Supreme Court of India

Related Stories

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

जहांगीरपुरी : दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर ही सवाल उठा दिए अदालत ने!

अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’

मोदी-शाह राज में तीन राज्यों की पुलिस आपस मे भिड़ी!

पंजाब पुलिस ने भाजपा नेता तेजिंदर पाल बग्गा को गिरफ़्तार किया, हरियाणा में रोका गया क़ाफ़िला

नफ़रती भाषण: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को ‘बेहतर हलफ़नामा’ दाख़िल करने का दिया निर्देश


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License