NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विवादित जीसीटीओसी से पुलिस को अधिक अधिकार मिले, निजता को भी ख़तरा!
वर्ष 2004 से, जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे,  इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। इस नए अधिनियम का सबसे विवादित पहलू यह है कि अब टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को एक वैध सबूत माना जाएगा, जबकि अब तक ऐसा नहीं था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
08 Nov 2019
vijay rupani
Image courtesy: Governance Now

‘गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण (जीसीटीओसी) विधेयक’ के पास होनेे पर गुजरात सरकार और पुलिस के पास और ज़्यादा अधिकार आ गए हैं। विपक्ष इसके दुरुपयोग की आशंका जता रहा है। कांग्रेस का कहना है कि यह नया कानून लोगों की निजता के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है।

आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विवादित विधेयक जीसीटीओसी को अपनी स्वीकृति दे दी है। भाजपा शासित इस राज्य में इस विधेयक को मार्च 2015 में पारित किया गया था। लेकिन यह काफी विवादों में रहा।
इस नए अधिनियम का सबसे विवादित पहलू यह है कि अब टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को एक वैध सबूत माना जाएगा, जबकि अब तक ऐसा नहीं था।
गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गांधीनगर में मंगलवार को इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के संबंध में घोषणा की।

पहले इस विधेयक को गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (जीयूजेसीओसी) नाम दिया गया था। वर्ष 2004 से, जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे,  इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। गुजरात सरकार 2015 में इस विधेयक को फिर लेकर आई और इसका नाम बदलकर जीसीटीओसी किया गया, लेकिन पुलिस को टेलीफोन बातचीत टैप करने और सबूत के तौर पर उसे अदालत में सौंपने जैसे विवादास्पद प्रावधानों को इसमें बनाए रखा।

गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कहा कि विधेयक के प्रावधान आतंकवाद और संगठित अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी का सपना आखिरकार पूरा हो गया।’ जडेजा ने कहा, ‘इस विधेयक की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक टेलीफोन बातचीत को अब वैध सबूत समझा जाएगा। इस विधेयक में एक विशेष न्यायालय के निर्माण के साथ-साथ विशेष सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति का भी प्रावधान है। अब हम संगठित अपराधों के माध्यम से अर्जित संपत्तियों को कुर्क कर सकते हैं। हम संपत्तियों के हस्तांतरण को भी रद्द कर सकते हैं।’

बताया जा रहा है कि इस कानून के मुताबिक, पुलिस को चार्जशीट फाइल करने के लिए 90 दिन की बजाय 180 दिन का समय मिलेगा। जबतक सरकारी वकील जमानत याचिका के विरोध में अपना पक्ष नहीं रखते, तब तक आरोपी को ज़मानत नहीं दी जाएगी। यही नहीं आमतौर पर पुलिस को दिए गए बयानों को न्यायालय में स्वीकार्य नहीं माना जाता, लेकिन जीसीटीओसी के अंतर्गत ऐसे बयानों को भी स्वीकार्य मान लिया गया है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Gujrat
Disputed GCTOC
VIJAY RUPANI
Narendera Modi
BJP
Ram Nath Kovind

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License