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डॉक्टरों के पास ही ज़रूरी सुरक्षा किट नहीं, केजीएमयू में काम बहिष्कार की चेतावनी
डॉक्टरों का कहना है अगर हम ही बीमार हो गए तो मरीज़ों का इलाज कौन करेगा? डॉक्टरों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा है अगर वक़्त रहते उनको किट मुहैया नहीं कराई गई तो वह काम का बहिष्कार कर देंगे।
असद रिज़वी
24 Mar 2020
KGMU
फाइल फोटो, साभार : नवभारत टाइम्स

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डॉक्टरों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए सुरक्षा किट भी नहीं है।  डॉक्टरों का कहना है अगर हम ही बीमार हो गए तो मरीज़ों का इलाज कौन करेगा? डॉक्टरों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा है अगर वक़्त रहते उनको किट मुहैया नहीं कराई गई तो वह काम का बहिष्कार कर देंगे।

जब देश की जनता अपने घरों में और सड़क पर डॉक्टरों को धन्यवाद कहने के लिए ताली और थाली पीट रही थी, उस समय लखनऊ केजीएमयू के डॉक्टर अपनी सुरक्षा के लिए (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विप्मन्ट किट) के लिए परेशान हो रहे थे। केजीएमयू प्रशासन से रेज़िडेंट डॉक्टर ऐसोसीएशन (आरडीए) से किट मुहैया कराने की गुहार लगाई है। संगठन ने कहा है की अगर वक़्त रहते किट नहीं मुहैया होती है तो वह काम का बहिष्कार कर देंगे।

केजीएमयू में प्रतिदिन प्रदेश भर से 200-300 संदिग्ध मरीज़ आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है मरीज़ों के भीड़ में किसको कोरोना है या नहीं यह जाँच से पहले नहीं मालूम होता है। ऐसे में न सिर्फ़ डॉक्टरों को बल्कि बिना किट के सारे हेल्थ कर्मचारियों और यूनिवर्सिटी में भर्ती दूसरे मरीज़ों को भी ख़तरा है।

आरडीए का कहना है अगर डॉक्टर ही बीमार हो गए तो केजीएमयू में मरीज़ों का इलाज कौन करेगा? यूनिवर्सिटी के कुलपति मदन लाल ब्रह्मा भट्ट को एक पत्र लिख कर डॉक्टरों के संगठन ने कहा है की केजीएमयू के सभी विभागों के डॉक्टर डरे हुए है। डॉक्टरों ने अपने पत्र में लिखा है कि वह भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तनाव से गुज़र रहे हैं।

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उनको डर है अगर किसी डॉक्टर या कर्मचारी को संक्रमण हुआ तो वह बड़े समूह में फैल सकता है, क्यूँकि प्रतिदिन वह सैकड़ों लोगों से चिकित्सा सेवाओं के चलते मिलते हैं। बता दें कि पिछले सप्ताह केजीएमयू के एक जूनियर डॉक्टर की जाँच में कोरोना (पॉज़िटिव) पाया गया था। जिसको तुरंत छुट्टी देकर (आइसोलेशन में) रखा गया था।

न्यूज़क्लिक ने रेज़िडेंट डॉक्टरों के संगठन के पदाधिकारियों से बात की तो उनका कहना है अभी तक यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा डॉक्टरों को आवश्यक किट मुहैया नहीं कराई गई है। संगठन के अध्यक्ष डॉक्टर राहुल भरत ने कहा कि कोरोना ओपीडी और फ़ीवर (बुखार) ओपीडी दोनो में (पर्सनल प्रोटेकशन इक्विप्मन्ट किट) होना चाहिए।इसके अलवा जनरल ओपीडी में मास्क और सैनिटाइज़र आवश्यक तौर पर होना चाहिए है। क्यूँकि जब मरीज़ आता है उस समय किसी को नहीं मालूम होता है की इसको कोरोना है या नहीं, इसकी पुष्टि जाँच के बाद होती है। ऐसे में बिना सुरक्षा किट के मरीज़ों की स्क्रीनिंग करने वाले डॉक्टरों और नर्सिंग कर्मचारियों को बड़ा ख़तरा होता है।

डॉ. राहुल भरत के अनुसार अभी तक अलग-अलग विभागों से किट मुहैया नहीं होने कि शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। जिन से यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी अवगत कराया जा रहा है। उन्होंने कहा आज शाम तक अगर केजीएमयू प्रशासन ने कोई क़दम नहीं उठाया तो डॉक्टर अपने अगले क़दम पर विचार करेंगे।

सुरक्षा किट में हेड कवर, शूज़ कवर, दस्ताने (ग्लव्ज़), मास्क (N-95) और सैनिटाइज़र होता है।

उधर राजधानी के डॉक्टर राम मनहोर लोहिया संस्थान के नर्सिंग स्टाफ़ ने भी मास्क और किट नहीं मिलने कि शिकायत की है। कई नर्सिंग कर्मचारियों ने अपनी शिकायत के वीडियो सोशल मीडिया पर भी डाले हैं और सरकार से किट मुहैया कारने की माँग की है। हालाँकि वहाँ का प्रशासन ऐसी किसी समस्या से इंकार कर रहा है।

संजय गांधी पोस्ट स्नातोकोत्तर संस्थान के प्रशासन से नर्सिंग स्टाफ़ ने सुरक्षा किट की कमी शिकायत की थी। वहाँ के प्रशासन के तुरंत नर्सिंग स्टाफ़ की माँग पर उनको किट मुहैया करा दी।

केजीएमयू के सूत्र बताते हैं कि वहाँ निरीक्षण पर आये प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉक्टर रजनीश दुबे की मौजूदगी में भी डॉक्टरों ने सुरक्षा किट का मुद्दा उठाया था और इसकी कमी को लेकर अक्रोश भी व्यक्त किया था। सूत्र बताते हैं कि डॉक्टरों की माँग पर शासन द्वारा केरल से 3500 किट और 4500 (N-95) मास्क मंगाए थे। हालाँकि डॉक्टरों के अनुसार यह संख्या ज़रूरत से बहुत कम है।

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