NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीर के डोमिसाईल क़ानून में संशोधन से 'जनसांख्यिकी परिवर्तन' का डर बढ़ेगा
कई लोगों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर को शक्तिहीन बनाने की अंतिम मुहर 5 अगस्त को लगाई गई थी, जबकि कई अन्य लोगों का कहना है कि नया क़ानून भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में संभावित ‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ की दिशा में एक और क़दम है।
अनीस ज़रगर
06 Apr 2020
Translated by महेश कुमार
जम्मू-कश्मीर

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर जो अब एक केंद्र शासित प्रदेश है, के लिए एक नया डोमिसाईल क़ानून लागू किए जाने के कुछ दिनों बाद, सरकार ने शुक्रवार देर रात क़ानून में संशोधन किया और क्षेत्र के डोमिसाईल क़ानून को पुनर्भाषित करते हुए सभी नौकरियों को आरक्षित कर दिया।

जितना महत्वपूर्ण यह क़ानून दिखाई देता है, वह लोगों लोगों में किसी भी तरह का उत्साह जगाने में विफल रहा, क्योंकि लोग समझते हैं कि मुद्दा इससे अधिक गहरा है और इस समस्या को नए क़ानून में किए गए परिवर्तनों के जरिए संबोधित नहीं किया जा सकता है।

भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित करने के लगभग आठ महीने बाद, 31 मार्च को जारी एक राज्य गजट अधिसूचना में, डोमिसाईल क़ानून को पेश किया गया, जिसके तहत केवल निम्न-स्तरीय नौकरियों को विशेष रूप से क्षेत्र के निवासियों के लिए आरक्षित रखा जाएगा लेकिन उच्च स्तर की नौकरियां सभी के लिए खुली रहेंगी। इस संशोधन के साथ, सभी नौकरियां अब जम्मू-कश्मीर के हर निवासी के लिए आरक्षित हैं, अब ये केवल उन निवासियों तक सीमित नहीं हैं जिन्हे इस क्षेत्र के मूल निवासी या "स्टेट सबजेक्ट" माना जाता था।

इस निर्णय ने क्षेत्र के डोमिसाईल क़ानून को फिर से परिभाषित कर दिया है और इस निर्णय के अनुसार जो लोग पिछले 15 वर्षों से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं और इसमें सभी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चे भी शामिल हैं, जिन्होंने 10 वर्षों तक यहाँ नौकरी की है और जिनके बच्चों ने 10 वीं कक्षा या 12 की परीक्षाएं यहाँ से दी है। इस तरह के सभी लोग अब डोमिसाईल प्रमाणपत्र के हकदार होंगे। अधिसूचना के तहत, डोमिसाईल प्रमाण पत्र तहसीलदार या फिर तहसीलदार स्तर के राजस्व अधिकारी जारी करेंगे।

इस क़ानून के पहले, अनुच्छेद 35 ए के तहत सुरक्षा उपायों, जिसे अनुच्छेद 370 के साथ निरस्त कर दिया गया था, सभी नौकरियां जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों के लिए आरक्षित थी जिसे 1927 में तत्कालीन डोगरा शासन के दौरान लागू किया गया था और जिन्हे स्टेट सबजेक्ट के नियमों के रूप में परिभाषित किया गया था।

यह क़ानून कश्मीरी हिंदुओं द्वारा डोगराओं के ख़िलाफ़ किए आगे आंदोलन का परिणाम था, क्योंकि जम्मू के हिन्दू सरकारी सेवाओं में अपने हिस्से को सुरक्षित रखना चाहते थे। उस समय, वे सभी लोग जो डोगरा शासन शुरू होने से पहले पैदा हुए थे और यहीं रहते थे और जिन्होंने अचल संपत्ति अर्जित की थी, उन्हें स्टेट सबजेक्ट के रूप में परिभाषित किया गया था।

इस क्षेत्र में ये नियम “विशेष दर्जे” के तहत अब तक कायम रहे, जिन्हें डोगराओं द्वारा भारत के साथ विलय संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा इन "सुरक्षा उपायों" को पिछले साल 5 अगस्त को हटाए जाने तक जारी रहे।

कश्मीर में, स्टेट सबजेक्ट के क़ानून को बदलने का विरोध केवल नौकरियों और सुरक्षा के चश्मे के भीतर नहीं देखा जा सकता है। इस क्षेत्र के लोगों को लंबे समय से भारत सरकार के इरादों पर संदेह रहा है क्योंकि वह देश के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य की "जनसांख्यिकी को बदलने" का प्रयास कर रही है।

जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच इस संदेह को कई लोगों ने आवाज दी, विशेष रूप से अलगाववादी समूहों ने, जिन्होंने इस असुरक्षा के खतरे को बताया था। इसे व्यापक रूप से महसूस किया गया था कि जनसांख्यिकीय परिवर्तनों में कोई भी बदलाव प्रस्तावित जनमत संग्रह के माध्यम से कश्मीर के बड़े राजनीतिक मुद्दे के समाधान को प्रभावित करेगा, जो फैंसला केवल अविभाजित जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों या स्टेट सबजेक्ट के लिए आरक्षित था।

हालांकि कई लोगों का मानना है कि क्षेत्र को शक्तिहीन बनाने पर अंतिम मुहर 5 अगस्त को लगाई गई थी, लेकिन कई अन्य लोग कहते हैं कि नया डोमिसाईल क़ानून केवल "हेरफेर" के डर को मजबूत करता है और संभवत "जनसांख्यिकीय परिवर्तन" की दिशा में एक बढ़ता कदम है।

राजनीतिक विश्लेषक नूर मोहम्मद बाबा, जिन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाया है, का कहना है कि डोमिसाईल पर निर्णय के तत्काल और दीर्घकालिक दोनों नतीजे होंगे। वे कहते हैं, "जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के लोगों के सामने डोमिसाईल क़ानून में बदलाव के साथ अपने अलग मुद्दे भी हैं। कश्मीर तत्काल नतीजे से आशंकित हैं, जबकि जम्मू इस क़ानून के दीर्घकालिक पतन से आशंकित हैं।"

बाबा बताते हैं कि तत्काल पतन का संबंध जम्मू क्षेत्र में किए गए चुनावी वादों, नौकरियों और पहचान की राजनीति से है। कश्मीरियों के लिए,वे बताते हैं, कि मुद्दे अधिक जटिल और उलझे हुए हैं और इसलिए इसके बुरे नतीजे भी हैं।

बाबा के मुताबिक, "लोग (कश्मीर में) जनसांख्यिकीय परिवर्तन को लेकर अधिक आशंकित या चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सब राजनीतिक प्रक्रिया और क्षेत्र की पहचान को खतरे में डाल सकते हैं,"।

सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाली हुर्रियत ने अपने बयान में इस फैंसले को एक "सोची-समझी चाल" कहा है, जिसकी चेतावनी वे वर्षों से दे रहे थे। बयान में कहा गया है कि, "क़ानून को अमल में लाने और डोमिसाईल को परिभाषित करने के लिए यह एक सोची-समझी चाल है, ताकि आने वाले वर्षों में जम्मू और कश्मीर राज्य के मूल निवासियों की संख्या को पछाड़ा जा  सकें"।

अब तक अलगाववादी दलों की रही राय को अब मुख्यधारा के राजनीतिक दलों, जैसे कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) भी मानने लगी है।

नेकां ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि, "डोमिसाईल क़ानून में संशोधन करके केंद्र सरकार जेएंडके और उसके लोगों के साथ खेल खेल रही है, और यहां जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के खिलाफ कोई भी गारंटी नहीं दे रही है।"

एक कश्मीरी इतिहास के विद्वान ने फिलिस्तीन मुद्दे के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि डोमिसाईल के फैसले की जड़ "बसने वालों का उपनिवेशवाद" के सिद्धान्त में निहित है।

"फिलिस्तीन में, 20 वीं शताब्दी की पहली छमाही में कई लोगों ने पहले ही जमीन खरीद ली थी। यहाँ, ऐसा नहीं हुआ है, लेकिन यह नीति कश्मीर को इस तरफ बहुत तेज़ी से आगे बढ़ा सकती है, क्योंकि लोग पहले से ही कई मोर्चों पर गहरे संकट में हैं।" एक विद्वान ने नाम न छपने की शर्त पर उक्त बातें बताई।

इस बीच, जम्मू और कश्मीर पुलिस ने डोमिसाईल क़ानून के खिलाफ लोगों को "उकसाने" के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे दी है। इसके बावजूद, जम्मू क्षेत्र में दक्षिणपंथी दलों सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने नए डोमिसाईल क़ानून का विरोध किया है।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, सैकड़ों नेताओं, वकीलों, कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और व्यापारिक प्रमुखों को "विशेष दर्जे" को के निरस्त करने का विरोध या विरोध करने की संभावनों के लिए "निवारक उपायों" के तहत गिरफ्तार किया गया था। जैसा कि हिरासत में रखे गए सभी मुख्यधारा के राजनेताओं ने दावा किया है कि वे अगस्त के पूर्व की स्थिति को वापस लाने के लिए काम करना जारी रखेंगे, मार्च में, श्रीनगर में एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई गई, जिसमें सभी मौजूदा पार्टियों के दूसरे और तीसरे दर्ज़े के नेताओं का बोलबाला है, जिन्होंने अब राज्य के बदले दर्जे के साथ सुलह कर ली है। 

नई जम्मू-कश्मीर ‘अपनी पार्टी’ के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारिसैद नए डोमिसाईल क़ानून के बारे में काफी आश्वस्त थे जो नौकरियों और भूमि पर लोगों के अधिकार की रक्षा करेगा। सरकारी सेवाओं में कार्यरत कई कश्मीरियों ने भी बुखारी पर अपनी उम्मीद जताई है।

हालाँकि, नवगठित पार्टी ने नए क़ानून को भारत सरकार द्वारा गलत वक़्त पर लाया क़ानून बताया है और इसे हल्का प्रयास बताया है।

बाबा का कहना है कि डोमिसाईल क़ानून 5 अगस्त से बने हालत को नहीं बदलेगा। "कई लोग, खासकर राजनेता, राज्य के लोगों के हितों की रक्षा के बारे में कम से कम आशान्वित थे, लेकिन ऐसा लगता है कि अब वे सभी निराश हो गए हैं।”

डोमिसाइल क़ानून के कारण "निराशा" से लगता है कि पूरे क्षेत्र में नए सिरे से चिंताएं पैदा हो गई हैं।

कश्मीर विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ कश्मीर स्टडीज (IKS) में पढ़ाने वाले मोहम्मद इब्राहिम वाणी कहते हैं, "स्थायी निवासी की परिभाषा के मामले में डोमिसाईल प्रतिस्थापन को दो आगामी प्रक्रियाओं जिसमें परिसीमन और जनगणना शामिल है की पृष्ठभूमि में भी देखना  होगा।”

वाणी कहते हैं, "मतदाता सूची में बदलाव मुख्यधारा की राजनीति पर दबाव बनाने के इरादे से किए गए हैं। बीजेपी का कश्मीर घाटी में कुछ सीटें जीतना अब कोई असंभाव बात नहीं होगी।”

वाणी के मुताबिक, हालांकि, कई लोगों की चर्चा का मुख्य केंद्र जम्मू-कश्मीर में "केंद्र सरकार की नौकरशाही और उनके बच्चों की विशेष स्थिति" से है, उनकी चिंता 15 साल के नियम में  स्पष्टता की कमी है। इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि डोमिसाईल प्रमाण पत्र कैसे जारी किए जाएंगे और किन दस्तावेजों के आधार पर ऐसा किया जाएगा।

वाणी कहते हैं, "यह तहसीलदार के स्तर पर उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा। इस क़ानून को विकास और लोकतंत्र के दलदल के पूर्ण विरोधाभास के रूप में देखा जाना चाहिए, वह विकास और लोकतंत्र जिसकी पीठ पर केंद्र सरकार सवार थी।”

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

Domicile Law for Kashmir Reinforces Fears of 'Demographic Changes’ Despite Amends

J&K Domicile Law
J&K Demography
Kashmir Lockdown
Article 370
Article 35A
Hurriyat
National Conference
Kashmir Jobs
Jammu Dogras

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है

जम्मू-कश्मीर के भीतर आरक्षित सीटों का एक संक्षिप्त इतिहास

जम्मू-कश्मीर: बढ़ रहे हैं जबरन भूमि अधिग्रहण के मामले, नहीं मिल रहा उचित मुआवज़ा

जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया

कश्मीर में एक आर्मी-संचालित स्कूल की ओर से कर्मचारियों को हिजाब न पहनने के निर्देश

केजरीवाल का पाखंड: अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया, अब एमसीडी चुनाव पर हायतौबा मचा रहे हैं

जम्मू-कश्मीर में उपभोक्ता क़ानून सिर्फ़ काग़ज़ों में है 


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License