NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था की बिगड़ती सेहत का इलाज क्या है?
कोरोना महामारी ने आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसने छोटे और मझोले उद्योगों की कमर तोड़कर रख दी है। वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में इस साल गिरावट निश्चित है। उसका अनुमान है कि जीडीपी में 4.5 फीसदी तक की गिरावट आएगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Jul 2020
covid-19
image courtesy : The Economic Times

दिल्ली: सरकार ने भी माना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा व जीडीपी का आकार चालू वित्त वर्ष में 4.5 फीसदी घट जाएगा। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग (डीडीए) की ओर से सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

गौरतलब है कि अभी देश की जीडीपी का आकार करीब 203 लाख करोड़ रुपये है। इस तरह 4.5 फीसदी की गिरावट का मतलब है कि इसमें 9.13 लाख करोड़ रुपये की कमी आएगी।  अप्रैल तक सरकार को उम्मीद थी कि विकास दर 1.9 फीसदी तक रहेगी। लेकिन अभी इसमें और कमी आई है। डीडीए ने जून महीने के आकलन पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की प्रभावी वैक्सीन मिलने में आ रही देरी अर्थव्यवस्था पर बेहद गंभीर असर डाल सकती है। डीडीए के मुताबिक बाजार और कारोबारी माहौल पर अनिश्चितता के गहरे बादल छाए हैं। राजस्व वसूली भी सालाना औसत के मुकाबले आधी रह गई है। डीडीए के अनुसार व्यापार घाटा भी 11 साल के निचले स्तर पर आ गया है।

500 कंपनियों पर बढ़ेगा 1.67 लाख करोड़ का बैड लोन

अर्थव्यवस्था के मसले पर चिंता करने की सिर्फ यही वजह नहीं है। सोमवार को ही आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव के चलते शीर्ष- 500 कंपनियों द्वारा लिये गये कर्ज में से 1.67 लाख करोड़ रुपये का ऋण मार्च 2022 तक बैंकों की चिंता बढ़ा सकता है। कंपनियां समय पर कर्ज चुकाने से पीछे रह सकती हैं और यह फंसे ऋण की श्रेणी में आ सकता है।

इंडिया रेटिंग्स एण्ड रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस राशि को मिलाकर ऐसे फंसे कर्ज की कुल राशि 4.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है जो कि कुल कर्ज का 11 प्रतिशत होगी। इस साल की शुरुआत में जब कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ उस समय भी बैंकों के कर्ज की स्थिति उसकी गुणवत्ता को लेकर चिंता व्यक्त की जाती रही थी।

रिजर्व बैंक ने कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को देखते हुये विभिन्न कर्जों के भुगतान पर अगस्त 2020 तक के लिये छूट दे दी जो कि दबाव को बढ़ायेगा। सरकार ने महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिये 21 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज भी घोषित किया है। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि महामारी और इसके साथ ही अन्य नीतिगत कदमों से शीर्ष 500कंपनियों द्वारा लिये गये कर्ज में से 1.67 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बैंकों के लिये अतिरिक्त दबाव वाला साबित हो सकता है।

एजेंसी ने कहा है कि महामारी की शुरुआत के समय उसने मार्च 2022 तक 2.54 लाख करोड रुपये के कर्ज के फंसे ऋण में परिवर्तित होने का अनुमान लगाया था। अब 1.67 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज के इसमें परिवर्तित होने से यह आंकड़ा कुल 4.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह समूचे कंपनी क्षेत्र के कुल कर्ज का 18.21 प्रतिशत तक होगा।

यह आंकड़ा वर्तमान में दबाव वाला माने जाने वाले 11.57 प्रतिशत के आंकड़े से ऊंचा है। एजेंसी ने चेतावनी देते हुये कहा है कि आने वाले समय में पुनर्वित्त का दबाव बढ़ सकता है और कंपनियों के लिये समय पर वित्तीय संसाधन जुटाना लगातार चुनौतीपूर्ण बना रह सकता है।

70 प्रतिशत स्टार्टअप प्रभावित, 12 फीसदी बंद

इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि कोविड-19 महामारी ने भारतीय व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) और स्टार्टअप्स पर अभूतपूर्व प्रभाव डाला है। फिक्की और इंडियन एंजल नेटवर्क (आईएएन) के संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार, महामारी ने लगभग 70 प्रतिशत स्टार्टअप के कारोबार को प्रभावित किया है।

सर्वे में कहा गया है कि कारोबारी माहौल में अनिश्चितता के साथ ही सरकार और कॉर्पोरेट्स की प्राथमिकताओं में अप्रत्याशित बदलाव के कारण कई स्टार्टअप जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 'भारतीय स्टार्टअप्स पर कोविड-19 के प्रभाव' विषय पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया गया, जिसमें 250 स्टार्टअप को शामिल किया गया।

सर्वे में 70 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उनके कारोबार को कोविड-19 ने प्रभावित किया है और लगभग 12 प्रतिशत ने अपना परिचालन बंद कर दिया है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि अगले तीन से छह महीनों में निर्धारित लागत खर्चों को पूरा करने के लिए केवल 22 प्रतिशत स्टार्टअप के पास ही पर्याप्त नकदी है और 68 प्रतिशत परिचालन और प्रशासनिक खर्चों को कम कर रहे हैं।

करीब 30 फीसदी कंपनियों ने कहा कि अगर लॉकडाउन को बहुत लंबा कर दिया गया तो वे कर्मचारियों की छंटनी करेंगे। इसके अलावा 43 प्रतिशत स्टार्टअप ने अप्रैल-जून में 20-40 प्रतिशत वेतन कटौती शुरू कर दी है।

वहीं 33 प्रतिशत से ज्यादा स्टार्टअप्स ने कहा कि निवेशकों ने निवेश के फैसले को रोक दिया है और 10 प्रतिशत ने कहा है कि सौदे (डील) खत्म हो गए हैं। सर्वेक्षण में सामने आया कि कोविड-19 के फैलने से पहले केवल आठ प्रतिशत स्टार्टअप्स को ही सौदे के अनुसार धनराशि मिली थी।

कम फंडिंग ने स्टार्टअप्स को व्यावसायिक विकास और विनिर्माण गतिविधियों को आगे बढ़ाने को फिलहाल टालने पर मजबूर किया है। उन्हें अनुमानित ऑर्डर का नुकसान हुआ है, जिससे स्टार्टअप कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

जून तिमाही में आए महज चार आईपीओ

कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक गतिविधियों का असर आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों पर भी पड़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के कारण जून तिमाही में घरेलू शेयर बाजार में महज चार आईपीओ देखने को मिले।

ईवाई इंडिया ने रविवार एक रिपोर्ट में कहा कि ये चार आईपीओ भी छोटे एवं मध्यम उपक्रम (एसएमई) श्रेणी के और औसतन 3.8 लाख डॉलर के थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय गतिविधियां बढ़ नहीं पा रही हैं, ऐसे में कंपनियां लंबी अवधि की वृद्धि योजनाओं पर विचार कर रही हैं। इस दौर में कंपनियों ने आईपीओ की तैयारियों को लेकर बातचीत शुरू की है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारतीय शेयर बाजार 2020 की दूसरी तिमाही में आईपीओ की संख्या के आधार पर दुनिया में सातवें स्थान पर रहा। इस दौरान मुख्य बाजार मंच पर कोई बड़ा आईपीओ नहीं आया और कोई अंतरराष्ट्रीय सौदा भी नहीं हुआ।’

बदहाल अर्थव्यवस्था, लाचार सरकार

अर्थव्यवस्था के बदहाल हालात ने छोटे और मझोल उद्योगों की कमर तोड़ दी है। लॉकडाउन में मध्यवर्ग पर आर्थिक मार पड़ी है। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं लेकिन सरकारी राहत की पहुंच से अब भी एक बड़ा वर्ग दूर है। वैसे तो सरकार ने लॉकडाउन में लोगों और उद्योगों को राहत पहुंचाने के लिए 21 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम पैकेज घोषित किया। लेकिन सरकार की सूची से मध्यवर्ग को राहत देने की कोई योजना सामने नहीं आई।

अभी सरकार ने सोमवार को कहा कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। उसे कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनरूद्धार एवं वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिये अनुकूल नीतिगत उपायों के साथ आने वाले समय में और तेजी से पुनरूद्धार की उम्मीद है। लेकिन इसका असर दिखने में अभी वक्त लगेगा। फिलहाल सरकार अभी लाचार नजर आ रही है। अर्थव्यवस्था की सेहत बिगड़ी हुई है और सरकार के पास इसका कोई इलाज नहीं है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)  

Coronavirus
COVID-19
economic crises
Economic Recession
GDP
GDP growth-rate
modi sarkar
Narendra modi

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • Inflation
    सौम्या शिवकुमार
    महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए
    01 Mar 2022
    केंद्रीय बैंकों द्वारा महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दर को प्रबंधित किया जाता है, लेकिन यह तरीक़ा अप्रभावी साबित हुआ है। इतना ही नहीं, इस उपकरण का जब इस्तेमाल किया जाता है, तब यह भी ध्यान नहीं रखा…
  • russia ukrain
    एपी/भाषा
    यूक्रेन-रूस घटनाक्रम: रूस को अलग-थलग करने की रणनीति, युद्ध अपराधों पर जांच करेगा आईसीसी
    01 Mar 2022
    अमेरिका ने जासूसी के आरोप में 12 रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की है। रूस की कई समाचार वेबसाइट हैक हो गईं हैं जिनमें से कुछ पर रूस ने खुद रोक लगाई है। तो वहीं संयुक्त राष्ट्र के दुलर्भ…
  •  Atal Progress Way
    बादल सरोज
    अटल प्रोग्रेस वे से कई किसान होंगे विस्थापित, चम्बल घाटी का भी बदल जाएगा भूगोल : किसान सभा
    01 Mar 2022
    "सरकार अपनी इस योजना और उसके असर को छुपाने की कोशिश में है। ना तो प्रभावित होने वाले किसानों को, ना ही उजड़ने और विस्थापित होने वाले परिवारों को विधिवत व्यक्तिगत नोटिस दिए गए हैं। पुनर्वास की कोई…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर एक लाख से कम हुई 
    01 Mar 2022
    पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के क़रीब 7 हज़ार नए मामले सामने आए हैं। देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 92 हज़ार 472 हो गयी है।
  • Imperialism
    प्रभात पटनायक
    साम्राज्यवाद अब भी ज़िंदा है
    01 Mar 2022
    साम्राज्यवादी संबंध व्यवस्था का सार विश्व संसाधनों पर महानगरीय या विकसित ताकतों द्वारा नियंत्रण में निहित है और इसमें भूमि उपयोग पर नियंत्रण भी शामिल है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License