NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
आर्थिक सर्वे पेश, अगले वित्त वर्ष में विकास दर छह से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान
देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में सुधरकर 6 से साढ़े छह फीसदी रह सकती है। चालू वित्त वर्ष में इसके 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा है कि मजबूत जनादेश के साथ सत्ता में आयी सरकार के पास सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने की क्षमता है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Jan 2020
budget session

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा पेश कर दिया है। इसमें कहा गया है कि वृद्धि दर में जारी सुस्ती का दौर अब समाप्त हो चुका है और अगले वित्त वर्ष 2020- 21 में वृद्धि दर सुधर कर 6 से 6.5 प्रतिशत के दायरे में पहुंच जायेगी।

चालू वित्त वर्ष के दौरान वृद्धि दर के 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश समीक्षा में कहा गया है, ‘सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में मौजूदा सुस्ती को वृद्धि के चक्रीय ढांचे के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिये। इसमें रीयल एस्टेट क्षेत्र पर वित्तीय क्षेत्र की समस्याओं का प्रभाव भी शामिल है।’

इसमें कहा गया है, ‘सरकार को अपने मजबूत जनादेश का इस्तेमाल आर्थिक क्षेत्र के सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने में करना चाहिये। इससे अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।’

वर्ष 2019-20 की आर्थिक समीक्षा को दो भागों में हल्के बेंगनी रंग के आवरण के साथ प्रकाशित किया गया है। 100 रुपये के नये नोट का रंग भी इसी तरह का है।
 
आम बजट से एक दिन पहले पेश की गई आर्थिक समीक्षा में देश में संपत्ति सृजन पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि संपत्ति का वितरण होना चाहिये लेकिन वितरण से पहले संपत्ति का सृजन करने की आवश्यकता होती है। समीक्षा में संपत्ति सृजित करने वालों को सम्मान दिए जाने पर बल दिया गया है।

सर्वेक्षण में प्याज के ऊंचे दाम का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि ऐसी उपभोक्ता जिंसों के दाम स्थिर रखने में सरकारी हस्तक्षेप लगता है कि प्रभावी नहीं है। आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के वास्ते समीक्षा में विनिर्माण क्षेत्र में नये विचारों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इसमें गया है कि ‘दुनिया भर के कारखानों में तैयार कलपुर्जों को भारत में जोड़ने’ का बड़ा केन्द्र बनाया जा सकता है। इससे देश में रोजगार सृजन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

देश में कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के लिये भी समीक्षा में नये सुझाव दिये गये हैं। इसमें कहा गया है कि निर्यात प्रोत्साहन के लिये बंदरगाहों पर लालफीताशाही समाप्त होनी चाहिये। इसके साथ ही नया कारोबार शुरू करने, संपत्ति के पंजीकरण, कर भुगतान और अनुबंधों को आगे बढ़ाने जैसे कार्यों में भी सुगमता के उपाय किये जाने चाहिये।

समीक्षा में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में संचालन कार्यों में सुधार लाने और विश्वास बढ़ाने के वास्ते अधिक खुलासे की जरूरत पर जोर दिया गया है। इसमें बैंकिंग क्षेत्र में बौनेपन को लेकर उल्लेख किया गया है।  समीक्षा में अर्थव्यवस्था के साथ साथ बाजारों के फायदे के लिये 10 नई सोच की भी वकालत की गई है।

आर्थिक समीक्षा 2019-20 की प्रमुख बातें

लोकसभा में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2019-20 की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

-आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष में कम से कम पांच प्रतिशत रहेगी। अगले वित्त वर्ष में बढ कर 6-6.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान।

-आर्थिक वृद्धि को गति देरे के चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सीमित करने के लक्ष्य में देनी पड़ सकती है ढील।

-चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि के गति पकड़ने का अनुमान। यह उम्मीद विदेशी निवेश के प्रवाह, मांग के बढ़ते दबाव तथा जीएसटी संग्रह सकारात्मक वृद्धि समेत 10 कारकों पर आधारित।

-समीक्षा में आर्थिक सुधार तेज करने पर बल। वर्ष 2025 तक भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में नैतिक तरीके से संपत्ति सृजन महत्वपूर्ण।

-नियमित क्षेत्र का विस्तार। संगठित/नियमित क्षेत्र के रोजगार का हिस्सा 2011-12 के 17.9 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 22.8 प्रतिशत पर।

-समीक्षा में संपत्ति सृजन, कारोबार के अनुकूल नीतियों को बढ़ावा, अर्थव्यवस्था में भरोसा मजबूत करने पर जोर।

-वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये इस दौरान बुनियादी संरचना पर 1,400 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत।

-नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों के हिसाब से 2011-12 से 2017-18 के दौरान शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के 2.62 करोड़ नये अवसरों का हुआ सृजन।

-वित्त वर्ष 2011-12 से 2017-18 के दौरान नियमित रोजगार में महिलाण श्रमिलाएं आठ प्रतिशत बढ़ीं।

-बाजार में सरकार के अधिक दखल से आर्थिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है। कर्जमाफी से खराब होती है ऋण संस्कृति, उन्हीं किसानों के औपचारिक ऋण वितरण पर पड़ता है असर।

- सरकार को उन क्षेत्रों की बाकायदा पहचान करनी चाहिए जहां सरकारी दखल अनावश्यक है और उससे व्यवधान होता है।

-सरकारी बैंकों में बेहतर कंपनी संचालन, भरोसा तैयार करने के लिये अधिक खुलासों पर ध्यान देने की वकालत।

- नया कारोबार शुरू करना, संपत्ति का पंजीयन कराने, कर का भुगतान, करार करने आदि को सुगत बनाने पर ध्यान देने की मांग।

-कच्चा तेल की कीमतें कम होने से चालू खाता घाटे में आयी कमी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निर्यात की तुलना में आयात में अधिक तेजी से हुए गिरावट का भी हाथ।

-मुद्रास्फीति के अप्रैल 2019 के 3.2 प्रतिशम से गिरकर दिसंबर 2019 में 3.2 प्रतिशत पर आना मांग में नरमी का संकेत।

-चालू वित्त वर्ष में नवंबर माह तक केंद्रीय माल एवं सेवा कर के संग्रह में हुई 4.1 प्रतिशत की वृद्धि।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

Presenting economic survey
Growth rate
BJP
Nirmala Sitharaman
union budget
modi sarkar 2.O
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • sever
    रवि शंकर दुबे
    यूपी: सफ़ाईकर्मियों की मौत का ज़िम्मेदार कौन? पिछले तीन साल में 54 मौतें
    06 Apr 2022
    आधुनिकता के इस दौर में, सख़्त क़ानून के बावजूद आज भी सीवर सफ़ाई के लिए एक मज़दूर ही सीवर में उतरता है। कई बार इसका ख़ामियाज़ा उसे अपनी मौत से चुकाना पड़ता है।
  • सोनिया यादव
    इतनी औरतों की जान लेने वाला दहेज, नर्सिंग की किताब में फायदेमंद कैसे हो सकता है?
    06 Apr 2022
    हमारे देश में दहेज लेना या देना कानूनन अपराध है, बावजूद इसके दहेज के लिए हिंसा के मामले हमारे देश में कम नहीं हैं। लालच में अंधे लोग कई बार शोषण-उत्पीड़न से आगे बढ़कर लड़की की जान तक ले लेते हैं।
  • पटनाः डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ ऑटो चालकों की हड़ताल
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पटनाः डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ ऑटो चालकों की हड़ताल
    06 Apr 2022
    डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध के बाद ऑटो चालकों ने दो दिनों की हड़ताल शुरु कर दी है। वे बिहार सरकार से फिलहाल प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं।
  • medicine
    ऋचा चिंतन
    दवा के दामों में वृद्धि लोगों को बुरी तरह आहत करेगी – दवा मूल्य निर्धारण एवं उत्पादन नीति को पुनर्निर्देशित करने की आवश्यता है
    06 Apr 2022
    आवश्यक दवाओं के अधिकतम मूल्य में 10.8% की वृद्धि आम लोगों पर प्रतिकूल असर डालेगी। कार्यकर्ताओं ने इन बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेने और सार्वजनिक क्षेत्र के दवा उद्योग को सुदृढ़ बनाने और एक तर्कसंगत मूल्य…
  • wildfire
    स्टुअर्ट ब्राउन
    आईपीसीसी: 2030 तक दुनिया को उत्सर्जन को कम करना होगा
    06 Apr 2022
    संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम जलवायु रिपोर्ट कहती है कि यदि​ ​हम​​ विनाशकारी ग्लोबल वार्मिंग को टालना चाहते हैं, तो हमें स्थायी रूप से कम कार्बन का उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा-विकल्पों की तरफ तेजी से बढ़ना…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License