1930 से लेकर 1940 तक देश में हुए उतार चढ़ाव ने ही गाँधी के मृत्यु की रचना रची और उस घटना की आज के भारत से सीधी प्रासंगिकता है।
"गाँधी के हत्यारे की छवि को सुधारने की जो प्रक्रिया जारी है, वह कभी भी सफल नहीं होंगी", "Gandhi's Assassin: The Making of Nathuram Godse and his Idea of India," के लेखक धीरेन्द्र कुमार झा का ये मानना है। देखें ये खास इंटरव्यू धीरेन्द्र कुमार झा का न्यूज़क्लिक के साथ