NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एल्गार मामला: अदालत का स्वामी की मेडिकल जमानत अर्जी पर एनआईए को नोटिस
बम्बई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को एल्गार-परिषद माओवादी संबंध मामले के आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मेडिकल जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 May 2021
एल्गार मामला: अदालत का स्वामी की मेडिकल जमानत अर्जी पर एनआईए को नोटिस

मुंबई: बम्बई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को एल्गार-परिषद माओवादी संबंध मामले के आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मेडिकल जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के प्राधिकारियों को स्वामी के वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति पर 15 मई तक एक रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया।

84 वर्षीय स्वामी ने इस साल मार्च में एक विशेष एनआईए अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था जब विशेष एनआईए अदालत ने मेडिकल आधार और मामले के गुणदोष के आधार पर उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

स्वामी के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने पीठ को बताया कि स्वामी को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह तलोजा जेल के अस्पताल में हैं।

देसाई ने कहा, ‘‘वह पार्किंसंस रोग से ग्रसित हैं। वह सुनने की क्षमता खो चुके हैं। कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए, हमारा अनुरोध है कि उन्हें कम से कम अस्थायी जमानत दी जाए।’’
पीठ ने तब कहा कि स्वामी ‘‘निश्चित रूप से जमानत के हकदार हैं’’ और पूछा कि स्वामी के खिलाफ क्या आरोप हैं और विशेष एनआईए अदालत के समक्ष एल्गार-परिषद मामले की सुनवाई किस स्तर पर है।

देसाई ने कहा कि स्वामी पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई कठोर धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि विशेष अदालत के समक्ष मामले में आरोप अभी तय नहीं किए गए हैं।

देसाई ने कहा, ‘‘हालांकि यह मामला नहीं है कि हथियार या कोई आपत्तिजनक सामग्री उनके (स्वामी के) कब्जे से पाई गई थी, हालांकि वह 84 वर्षीय पादरी हैं जो झारखंड में काम कर रहे थे, उन पर यूएपीए और आईपीसी की सभी संभव धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।’’

एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने उच्च न्यायालय को बताया कि जांच एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी ने मेडिकल जमानत के मामलों में अपील दाखिल करने की वैधानिक समय सीमा के 152 दिन बाद अपील दायर की है।

पीठ ने यह भी कहा कि स्वामी ने अपनी अपील दायर करने में देरी करके "कुछ हासिल नहीं किया।’’

अदालत ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे और चिकित्सा रिपोर्ट मांगेगे। हम आपको अवकाश पीठ के समक्ष अपील का उल्लेख करने की अनुमति देंगे।’’

स्वामी ने एक अलग अपील भी दायर की है, जिसमें उन्होंने विशेष एनआईए अदालत के गुणदोष पर आदेश को चुनौती दी है।

इस अपील पर 14 जून को उच्च न्यायालय की नियमित पीठ के समक्ष सुनवायी होगी।

एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में राव, स्वामी और कई अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।

इस तरह के मामलों में देश के कई बुद्धजीवियों, पत्रकारों, लेखकों सहित समाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है।  हालांकि, किसी भी मामले में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसमें आनन्द तेलतुम्बड़े के अतिरिक्त, सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले वरवरा राव, रोना विल्सन, गौतम नवलखा, जैसे बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। यह सभी, आम लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के हक के पक्ष में, कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्षशील रहे हैं। ये लोग स्वास्थ्य-शिक्षा मुफ्त मिले, इसके लिए निजीकरण का विरोध करते रहे हैं और उन आदिवासियों के साथ खड़े हुए जिनकी जीविका के संसाधन को छीन कर पूंजीपतियों के हवाले किया जाता रहा है। इसलिए ये लोग शासक वर्ग के आंखों के किरकिरी बने हुए थे।

सुधा भरद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले, वरवरा राव, रोना विल्सन भीमा कोरेंगांव केस में जून और सितम्बर, 2018 से ही महाराष्ट्र के जेलों में बंद हैं। जबकि उस केस के असली गुनाहगार संभाजी भिंडे और मिलिन्द एकबोटे बाहर हैं।

महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद केन्द्र सरकार ने इस केस को एनआईए के हाथों में सुपुर्द कर दिया था। 18 माह बाद लम्बी कानूनी प्रक्रिया झेलने के बाद 14 अप्रैल 2020, को गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बड़े को एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। तब से ही ये दोनों भी जेल में है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Stan Swamy
NIA
Elgar Parishad case
Bombay HC
Stan Swamy Bail
Bhima Koregaon

Related Stories

मोदी जी, देश का नाम रोशन करने वाले इन भारतीयों की अनदेखी क्यों, पंजाबी गायक की हत्या उठाती बड़े सवाल

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

भीमा कोरेगांव: HC ने वरवर राव, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा को जमानत देने से इनकार किया

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती

अदालत ने वरवर राव की स्थायी जमानत दिए जाने संबंधी याचिका ख़ारिज की

भीमा कोरेगांव: बॉम्बे HC ने की गौतम नवलखा पर सुनवाई, जेल अधिकारियों को फटकारा

फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत 'हमेशा के लिए दाग': संयुक्त राष्ट्र समूह

सामाजिक कार्यकर्ताओं की देशभक्ति को लगातार दंडित किया जा रहा है: सुधा भारद्वाज

2021 में सुप्रीम कोर्ट का मिला-जुला रिकॉर्ड इसकी बहुसंख्यकवादी भूमिका को जांच के दायरे में ले आता है!


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License